
शिक्षक दखल
June 11, 2025 at 01:21 PM
यह चित्र हमें यह नहीं सिखाता कि ईश्वर कितना अच्छा पैकर है, बल्कि यह हमसे पूछता है – तुम खुद को कैसे रख रहे हो? तुमने अपने भीतर कितनी व्यवस्था बचा रखी है? तुम्हारे आचरण और विचारों की ‘पैकिंग’ कितनी साफ, कितनी जिम्मेदार, और कितनी सुंदर है?
यह मूंगफली की छवि नहीं, एक दर्पण है – जो कहती है कि जो बोल नहीं सकते, वे भी ईश्वर की योजना में व्यवस्थित हैं, और जो सबसे अधिक बोलते हैं, वही सबसे ज्यादा अव्यवस्थित हो चुके हैं। यह चेतावनी है कि यदि अब भी हमने अपने खोल को नहीं पहचाना, तो हम दाना नहीं, बस एक छिलका बनकर रह जाएंगे – फेंका गया, कुचला गया, और भुला दिया गया।
*प्रवीण त्रिवेदी*
चित्र : व्हाट्सएप पर प्राप्त
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