शिक्षक दखल
शिक्षक दखल
June 17, 2025 at 11:47 AM
व्यवस्था की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि स्कूलों के एकीकरण (Merger) से शिक्षकों की उपलब्धता बेहतर हो सकेगी, और उन्हें एक ही स्थान पर समायोजित करके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकेगी। लेकिन इस तर्क की जड़ें दरअसल उसी विफलता में हैं जिसमें व्यवस्था एक लंबे अरसे से प्रति कक्षा एक अध्यापक देने में असफल रही है। सामान्य समझ कहती है कि प्रत्येक कक्षा के लिए एक प्रशिक्षित अध्यापक होना चाहिए, परंतु वर्षों से हजारों विद्यालयों में शिक्षक न होने, या एक शिक्षक से दो से तीन कक्षाएं पढ़वाने की प्रवृत्ति ने इस प्रावधान की गंभीर अवहेलना की है। अब उसी विफलता को तर्क बनाकर स्कूल मर्ज किए जा रहे हैं। यानी जब व्यवस्था अपने कर्तव्य में असफल रही, तो समाधान यह निकाला गया कि स्कूल ही घटा दिए जाएं? यह एक अपरिपक्व सोच है, जिसमें असफलता का बोझ बच्चों पर डाला जा रहा है। *यह कह देना आसान है कि 'कम बच्चों वाले स्कूल व्यर्थ हैं', पर कोई यह क्यों नहीं कहता कि 'प्रति कक्षा एक शिक्षक नहीं दे पाने वाली व्यवस्था भी विफल है'?* व्यवस्था को अपने कर्तव्यों के निर्वहन की समीक्षा करनी चाहिए, न कि बच्चों के अधिकारों में कटौती करनी चाहिए। ✍️ *प्रवीण त्रिवेदी* 🤝 *फेसबुक* पर करें *फॉलो* 👉 https://www.facebook.com/share/p/12Hr4CELaDG/?mibextid=oFDknk 🤝 *व्हाट्सएप* पर करें *फ़ॉलो* https://whatsapp.com/channel/0029VaAZJEQ8vd1XkWKVCM3b 🤝 *इंस्टाग्राम* पर करें *फ़ॉलो* 👉 https://www.instagram.com/praveentrivedi009

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