
प्राचीन सनातन संस्कृति
June 4, 2025 at 04:51 PM
🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞
⛅️ दिनांक:- 05 जून 2025
⛅️ दिन:- गुरुवार
⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 (कालयुक्त)
⛅️ शक संवत्:- 1947 (विश्वावसु)
⛅️ अयन:- उत्तरायण
⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म
⛅️ मास:- ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष:- शुक्ल
⛅️ तिथि:- दशमी (रात 02:16 बजे तक, उपरांत एकादशी)
⛅️ नक्षत्र:- हस्त (पूरे दिन-रात)
⛅️ योग:- सिद्धि (सुबह 09:13 बजे तक, उपरांत व्यतीपात)
⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- सुबह 09:13 बजे के बाद
⛅️ करण:- तैतिल (दोपहर 01:03 बजे तक), गर (रात 02:16 बजे तक, उपरांत वणिज)
⛅️ भद्रा:- नहीं है
⛅️ पंचक:- नहीं है
⛅️ राहुकाल:- दोपहर 02:04 बजे से शाम 03:48 बजे तक
☀️ सूर्योदय:- सुबह 05:24 बजे
☀️ सूर्यास्त:- शाम 07:14 बजे
🌙 चन्द्रोदय:- दोपहर 02:00 बजे
🌙 चन्द्रास्त:- रात 02:16 बजे
⛅️ दिशा शूल:- दक्षिण
⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 04:19 बजे से सुबह 05:07 बजे तक
⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 11:58 बजे से दोपहर 12:51 बजे तक
⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात 11:17 बजे से रात 12:09 बजे तक (06 जून)
⛅️ शुभ वेला:- सुबह 05:44 बजे से सुबह 07:28 बजे तक
⛅️ चंचल वेला:- दोपहर 12:51 बजे से दोपहर 02:35 बजे तक
⛅️ लाभ वेला:- दोपहर 03:48 बजे से शाम 05:32 बजे तक
⛅️ अमृत वेला:- शाम 06:21 बजे से रात 08:05 बजे तक
⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- सुबह 03:35 बजे से सुबह 05:44 बजे तक (हस्त नक्षत्र और गुरुवार)
☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में
🌙 चन्द्रमा:- कन्या राशि में (पूरे दिन-रात)
⛅️ व्रत पर्व विवरण:- गंगा दशहरा, विश्व पर्यावरण दिवस।
⛅️ विशेष:- गंगा दशहरा के दिन माँ गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। इस दिन गंगा स्नान और पूजा का विशेष महत्व है। विष्णु जी की विशेष पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है।
🔹विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 2025🔹
🌹आँवला के लाभ🌹
🔹आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
🔹जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
🔹मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सदगति होती है ।
(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)
🔹प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🔹आँवला-सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।
🔹बेल (बिल्व)🔹
🔸स्कंद पुराण के अनुसार रविवार और द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🔸जिस स्थान में बिल्ववृक्षों का घना वन है, वह स्थान काशी के समान पवित्र है ।
🔸बिल्वपत्र छः मास तक बासी नहीं माना जाता ।
🔸चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।
🔸40 दिन तक बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है ।
🔸घर के आँगन में बिल्ववृक्ष लगाने से घर पापनाशक और यशस्वी होता है । बेल का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है, उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है ।
@PrachinSanatanSanskirti