प्राचीन सनातन संस्कृति WhatsApp Channel

प्राचीन सनातन संस्कृति

55 subscribers

About प्राचीन सनातन संस्कृति

🕉️🌹प्राचीन सनातन संस्कृति🌹🕉️ पर 🙏🌹आपका स्वागत है,🌹🙏 प्राचीन सनातन संस्कृति (PRACHIN SANATAN SANSKIRTI) का app आ गया है । सभी सनातनी भाईयो, बहेनों और मित्रों से अनुरोध है धार्मिक और राष्ट्रवादी सभी लोग ज्वाइन करें सभी सदस्य नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके तुरंत ही जुड़ें और अपना सदस्य ID कार्ड प्राप्त करे - Powered by Kutumb App जय श्री राम जय हिन्द 🙏धन्यवाद🙏 लिंक पर क्लिक करें 👇 https://kutumb.app/d06f45e120d2?ref=LMH10&screen=star_share YouTube 👇👁️‍🗨️https://www.youtube.com/@PrachinSanatanSanskirti Teligram को भी ज्वाइन करें 👇 https://t.me/PrachinSanatanSanskirti

Similar Channels

Swipe to see more

Posts

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
5/27/2025, 5:24:31 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 28 मई 2025 ⛅️ दिन:- बुधवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 (कालयुक्त संवत्सर) ⛅️ शक संवत्:- 1947 (विश्वावसु संवत्सर) ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ ⛅️ पक्ष:- शुक्ल पक्ष ⛅️ तिथि:- द्वितीया (01:54 बजे सुबह तक, उपरांत तृतीया) ⛅️ नक्षत्र:- मृगशिरा (12:29 बजे सुबह तक, उपरांत आर्द्रा) ⛅️ योग:- धृति (07:08 बजे शाम तक, उपरांत शूल) ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- नहीं है ⛅️ करण:- बालव (03:25 बजे दोपहर तक, उपरांत कौलव, फिर तैतिल) ⛅️ भद्रा:- नहीं है ⛅️ पंचक:- नहीं है ⛅️ राहुकाल:- 12:24 बजे दोपहर से 02:03 बजे दोपहर तक ☀️ सूर्योदय:- 05:25 बजे सुबह ☀️ सूर्यास्त:- 07:12 बजे शाम 🌙 चन्द्रोदय:- 07:05 बजे सुबह 🌙 चन्द्रास्त:- 09:36 बजे रात ⛅️ दिशा शूल:- उत्तर ⛅️ ब्रह्म मुहूर्त:- 04:03 बजे सुबह से 04:44 बजे सुबह ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- नहीं है ⛅️ निशिता मुहूर्त:- 11:58 बजे रात से 12:39 बजे रात (29 मई) ⛅️ शुभ वेला:- 05:25 बजे सुबह से 07:08 बजे सुबह ⛅️ चंचल वेला:- 02:02 बजे दोपहर से 03:45 बजे दोपहर ⛅️ लाभ वेला:- 10:35 बजे सुबह से 12:19 बजे दोपहर ⛅️ अमृत वेला:- 04:33 बजे दोपहर से 05:59 बजे शाम ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- 05:45 बजे सुबह से 12:29 बजे सुबह (29 मई) ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- वृषभ राशि में (01:36 बजे दोपहर तक, उपरांत मिथुन राशि में) ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- चन्द्र दर्शन, अग्नि नक्षत्र समाप्त ⛅️ विशेष:- आज बुधवार का व्रत गणेश जी को समर्पित है। चन्द्र दर्शन अत्यंत शुभ माना जाता है; चन्द्रमा को अर्घ्य देकर प्रार्थना करने से मानसिक शांति और चन्द्र दोष की शांति होती है। अग्नि नक्षत्र के समाप्त होने पर शांतिपाठ, व्रत, जलदान और पवित्र स्नान श्रेष्ठ हैं। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। @PrachinSanatanSanskirti

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
5/26/2025, 4:53:23 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 27 मई 2025 ⛅️ दिन:- मंगलवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082, कालयुक्त ⛅️ शक संवत्:- 1947, विश्वावसु ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ (पूर्णिमांत), बैशाख (अमांत) ⛅️ पक्ष:- कृष्ण ⛅️ तिथि:- अमावस्या (सुबह 8:32 बजे तक), उपरांत शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ⛅️ नक्षत्र:- रोहिणी (सुबह 2:50 बजे तक), उपरांत मृगशिरा ⛅️ योग:- सुकर्मा (रात 10:54 बजे तक), उपरांत धृति ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- नहीं है ⛅️ करण:- नाग (सुबह 8:32 बजे तक), किंस्तुघ्न (शाम 6:45 बजे तक), बव (अगले दिन सुबह 5:02 बजे तक) ⛅️ भद्रा:- नहीं है ⛅️ पंचक:- नहीं है ⛅️ राहुकाल:- दोपहर 3:43 बजे से शाम 5:22 बजे तक ☀️ सूर्योदय:- सुबह 5:32 बजे ☀️ सूर्यास्त:- शाम 7:01 बजे 🌙 चन्द्रोदय:- अगले दिन (28 मई) सुबह 5:43 बजे 🌙 चन्द्रास्त:- अगले दिन (28 मई) शाम 6:35 बजे ⛅️ दिशा शूल:- उत्तर दिशा ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 4:10 बजे से सुबह 4:51 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- सुबह 11:53 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात 11:58 बजे से रात 12:39 बजे तक ⛅️ शुभ वेला:- सुबह 8:32 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक ⛅️ चंचल वेला:- दोपहर 1:30 बजे से दोपहर 3:43 बजे तक ⛅️ लाभ वेला:- सुबह 6:00 बजे से सुबह 8:32 बजे तक ⛅️ अमृत वेला:- शाम 6:20 बजे से शाम 7:44 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- सुबह 5:32 बजे से सुबह 5:45 बजे तक (रोहिणी नक्षत्र और मंगलवार) ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- वृषभ राशि में (पूरा दिन-रात) ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- ज्येष्ठ अमावस्या, शनि जयंती ⛅️ विशेष:- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं। भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी है। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ शुभ माना जाता है। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। 🍍गर्मिशामक, शक्तिप्रदायक व स्वास्थ्यरक्षक अनन्नास पेय🍍 🔹ग्रीष्म ऋतु में शरीर में जलीय अंश की कमी तथा दुर्बलता, थकान, जठराग्नि की मंदता आदि समस्याएँ होती हैं । इनसे सुरक्षित रखेगा अनन्नास पेय । 🔹आयुर्वेदानुसार अनन्नास मधुर, स्निग्ध, रुचिकर, शीतल, बलवर्धक, रक्तपित्त व वात-पित्त शामक, हृदय के लिए हितकर, पाचनशक्तिवर्धक तथा मूत्र खुलकर लानेवाला है । 🔹इसमें कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस जैसे अनेक खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । हड्डियों तथा उत्तकों ( टिश्यू ) के विकास में सहायक मैंगनीज भी प्रचुर मात्रा में होता है । विटामिन सी की प्रचुरता होने से यह रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है । 🔹यह भोजन में से लौह तत्व के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे खून की कमी दूर होती है । आधुनिक अनुसंधान के अनुसार यह टी.बी. में भी फायदेमंद है । यह आँतों की कीड़ों से रक्षा करता है तथा आँतों एवं गुर्दों (kidneys) को साफ रखता है । यह शरीर में से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे चयापचय ठीक  होता है । 🔹स्वास्थ्य-समस्याओं में :🔹 🔅 पेशाब-संबंधी समस्या हो तो 100 मि.ली. अनन्नास पेय में 4 - 5 ग्राम गुड़ मिलाकर पियें । 🔅 पीलिया हो तो 100 मि.ली. पेय में 2 ग्राम हल्दी का चूर्ण व 3 ग्राम मिश्री मिलाकर पियें । 🔅 पाचन के समस्या हो तो 100 मि.ली. पेय में 1 - 2 ग्राम सेंधा नमक और 2 - 3 चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिला के पियें । 🔅 अतः बेहतरीन स्वाद व पौष्टिकता से भरपूर अनन्नास पेय का ग्रीष्म ऋतु में अवश्य लाभ लें । यह आश्रम में व समितियों के सेवाकेंद्र से प्राप्त हो सकता है । ताजा अनन्नास ले के घर में बनायें तो अति उत्तम है ।

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
6/6/2025, 4:30:02 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 07 जून 2025 ⛅️ दिन:- शनिवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 ⛅️ शक संवत्:- 1947 ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ ⛅️ पक्ष:- शुक्ल ⛅️ तिथि:- द्वादशी दोपहर 2:05 बजे तक, उपरांत त्रयोदशी ⛅️ नक्षत्र:- चित्रा सुबह 6:16 बजे तक, उपरांत स्वाति ⛅️ योग:- वरीयान सुबह 7:27 बजे तक, उपरांत परिघ ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- नही है ⛅️ करण:- बव रात 12:45 बजे तक, उपरांत बालव ⛅️ भद्रा:- नहीं है ⛅️ पंचक:- नहीं है ⛅️ राहुकाल:- सुबह 9:00 बजे से दोपहर 10:45 बजे तक ☀️ सूर्योदय:- सुबह 5:23 बजे ☀️ सूर्यास्त:- शाम 7:16 बजे 🌙 चन्द्रोदय:- दोपहर 2:49 बजे 🌙 चन्द्रास्त:- रात 2:20 बजे (8 जून को) ⛅️ दिशा शूल:- पूर्व ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 4:00 बजे से 4:42 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात 11:58 बजे से 12:40 बजे तक ⛅️ शुभ वेला:- सुबह 9:00 बजे से 10:45 बजे तक ⛅️ चंचल वेला:- दोपहर 1:30 बजे से 3:15 बजे तक ⛅️ लाभ वेला:- दोपहर 3:15 बजे से 5:00 बजे तक ⛅️ अमृत वेला:- शाम 5:00 बजे से 6:45 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- नहीं है ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- तुला राशि में ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- वैष्णव निर्जला एकादशी, रामलक्ष्मण द्वादशी, सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 9:40 से प्रातः 05:53 जून 08 तक) ⛅️ विशेष:- शनिवार को शनिदेव की पूजा करें। तिल का दान करना शुभ माना जाता है। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। 🌹निर्जला एकादशी 07 जून 2025🌹 🔹एकदाशी में क्या करें, क्या ना करें ? 🔸1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करे । 🔸2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम पाठ करें । 🔸हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l 🔸राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।। एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l 🔸3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए । 🔸4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें । 🔸5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाएं । इस दिन फल आहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है । 🔸6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें । 🔸7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए । 🔸8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए । 🔸9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए । 🔸10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है । 🔸11. इस दिन बाल नहीं कटायें । 🔸12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*l 🔸13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1बजे तक) । 🔸14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है । 🔸 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है । @PrachinSanatanSanskirti

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
6/4/2025, 4:51:39 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 05 जून 2025 ⛅️ दिन:- गुरुवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 (कालयुक्त) ⛅️ शक संवत्:- 1947 (विश्वावसु) ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ ⛅️ पक्ष:- शुक्ल ⛅️ तिथि:- दशमी (रात 02:16 बजे तक, उपरांत एकादशी) ⛅️ नक्षत्र:- हस्त (पूरे दिन-रात) ⛅️ योग:- सिद्धि (सुबह 09:13 बजे तक, उपरांत व्यतीपात) ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- सुबह 09:13 बजे के बाद ⛅️ करण:- तैतिल (दोपहर 01:03 बजे तक), गर (रात 02:16 बजे तक, उपरांत वणिज) ⛅️ भद्रा:- नहीं है ⛅️ पंचक:- नहीं है ⛅️ राहुकाल:- दोपहर 02:04 बजे से शाम 03:48 बजे तक ☀️ सूर्योदय:- सुबह 05:24 बजे ☀️ सूर्यास्त:- शाम 07:14 बजे 🌙 चन्द्रोदय:- दोपहर 02:00 बजे 🌙 चन्द्रास्त:- रात 02:16 बजे ⛅️ दिशा शूल:- दक्षिण ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 04:19 बजे से सुबह 05:07 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 11:58 बजे से दोपहर 12:51 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात 11:17 बजे से रात 12:09 बजे तक (06 जून) ⛅️ शुभ वेला:- सुबह 05:44 बजे से सुबह 07:28 बजे तक ⛅️ चंचल वेला:- दोपहर 12:51 बजे से दोपहर 02:35 बजे तक ⛅️ लाभ वेला:- दोपहर 03:48 बजे से शाम 05:32 बजे तक ⛅️ अमृत वेला:- शाम 06:21 बजे से रात 08:05 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- सुबह 03:35 बजे से सुबह 05:44 बजे तक (हस्त नक्षत्र और गुरुवार) ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- कन्या राशि में (पूरे दिन-रात) ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- गंगा दशहरा, विश्व पर्यावरण दिवस। ⛅️ विशेष:- गंगा दशहरा के दिन माँ गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। इस दिन गंगा स्नान और पूजा का विशेष महत्व है। विष्णु जी की विशेष पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। 🔹विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 2025🔹 🌹आँवला के लाभ🌹 🔹आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । 🔹जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। 🔹मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सदगति होती है । (स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75) 🔹प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए । 🔹आँवला-सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए । 🔹बेल (बिल्व)🔹 🔸स्कंद पुराण के अनुसार रविवार और द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं । 🔸जिस स्थान में बिल्ववृक्षों का घना वन है, वह स्थान काशी के समान पवित्र है । 🔸बिल्वपत्र छः मास तक बासी नहीं माना जाता । 🔸चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें । 🔸40 दिन तक बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है । 🔸घर के आँगन में बिल्ववृक्ष लगाने से घर पापनाशक और यशस्वी होता है । बेल का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है, उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है । @PrachinSanatanSanskirti

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
5/22/2025, 5:33:23 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 23 मई 2025 ⛅️ दिन:- शुक्रवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 ⛅️ शक संवत्:- 1947 (विश्वावसु संवत्सर) ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ ⛅️ पक्ष:- कृष्ण ⛅️ तिथि:- एकादशी (रात्रि 10:29 बजे तक, तत्पश्चात् द्वादशी) ⛅️ नक्षत्र:- उत्तर भाद्रपद (शाम 04:02 बजे तक, तत्पश्चात् रेवती) ⛅️ योग:- प्रीति (शाम 06:36 बजे तक, तत्पश्चात् आयुष्मान) ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- नहीं है ⛅️ करण:- बव (सुबह 11:17 बजे तक, तत्पश्चात् बालव) ⛅️ भद्रा:- नहीं है ⛅️ पंचक:- नहीं है ⛅️ राहुकाल:- सुबह 10:44 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक ☀️ सूर्योदय:- सुबह 05:26 बजे ☀️ सूर्यास्त:- शाम 07:11 बजे 🌙 चन्द्रोदय:- सुबह 02:15 बजे 🌙 चन्द्रास्त:- दोपहर 02:45 बजे ⛅️ दिशा शूल:- पश्चिम ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 04:03 बजे से 04:44 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 11:58 बजे से 12:51 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात्रि 11:59 बजे से 12:40 बजे तक ⛅️ शुभ वेला:- सुबह 05:26 बजे से 07:04 बजे तक, दोपहर 12:24 बजे से 02:04 बजे तक ⛅️ चंचल वेला:- दोपहर 02:04 बजे से 03:44 बजे तक ⛅️ लाभ वेला:- सुबह 09:04 बजे से 10:44 बजे तक, शाम 05:31 बजे से 07:11 बजे तक ⛅️ अमृत वेला:- रात्रि 08:51 बजे से 10:29 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- शाम 04:02 बजे से अगले दिन सुबह 05:46 बजे तक (रेवती नक्षत्र और शुक्रवार) ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- मीन राशि में (पूरा दिन-रात) ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- अपरा एकादशी व्रत ⛅️ विशेष:- अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस व्रत से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है।

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
6/5/2025, 5:20:26 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक: 06 जून 2025 ⛅️ दिन: शुक्रवार ⛅️ विक्रम संवत्: 2082, ⛅️ शक संवत्: 1947, ⛅️ अयन: उत्तरायण ⛅️ ऋतु: ग्रीष्म ⛅️ मास: ज्येष्ठ ⛅️ पक्ष: शुक्ल ⛅️ तिथि: एकादशी (रात 4:25 बजे तक, उपरांत द्वादशी) ⛅️ नक्षत्र: हस्त (रात 1:37 बजे तक, उपरांत चित्रा) ⛅️ योग: व्यतिपात (सुबह 9:53 बजे तक, उपरांत वरीयान) ⛅️ व्यतिपात (मिति पात): सुबह 9:14 बजे से शुरू होकर सुबह 10:13 बजे तक ⛅️ करण: तैतिल (रात 4:25 बजे तक, उपरांत गर) ⛅️ भद्रा: नहीं ⛅️ पंचक: नहीं ⛅️ राहुकाल: सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक ☀️ सूर्योदय: सुबह 5:23 बजे ☀️ सूर्यास्त: शाम 7:16 बजे 🌙 चन्द्रोदय: दोपहर 3:28 बजे 🌙 चन्द्रास्त: रात 2:51 बजे (7 जून को) ⛅️ दिशा शूल: पश्चिम (यात्रा आवश्यक हो तो पान खाकर चौघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करें) ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त: सुबह 4:02 बजे से 4:42 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:56 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त: रात 11:59 बजे से 12:40 बजे तक ⛅️ शुभ वेला: सुबह 9:00 बजे से 10:30 बजे तक, दोपहर 3:00 बजे से 4:30 बजे तक, रात 10:59 बजे से 12:17 बजे तक ⛅️ चंचल वेला: सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक, दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक, रात 1:35 बजे से 2:53 बजे तक ⛅️ लाभ वेला: सुबह 10:30 बजे से 12:00 बजे तक, दोपहर 4:30 बजे से 6:00 बजे तक, रात 8:24 बजे से 9:42 बजे तक ⛅️ अमृत वेला: दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक, शाम 6:00 बजे से 7:18 बजे तक, रात 12:17 बजे से 1:35 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग: नहीं ☀️ सूर्य: वृष राशि में 🌙 चन्द्रमा: कन्या राशि में (पूरा दिन-रात) ⛅️ व्रत पर्व विवरण: निर्जला एकादशी, गायत्री माता जयंती ⛅️ विशेष: निर्जला एकादशी का व्रत रखें। इस दिन जल का त्याग कर व्रत करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। हनुमान चालीसा का पाठ और तुलसी माला अर्पित करना शुभ। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। 🔹निर्जला एकादशी महिमा🔹 🔸वर्षभर में जितनी एकादशीयाँ होती हैं, उन सबका फल निर्जला एकादशी के सेवन से मनुष्य प्राप्त कर लेता है । 🔸एकादशी व्रत करनेवाले पुरुष के पास विशालकाय, विकराल आकृति और काले रंगवाले दण्ड पाशधारी भयंकर यमदूत नहीं जाते । 🔸स्त्री हो या पुरुष, यदि उसने मेरु पर्वत के बराबर भी महान पाप किया हो तो वह सब इस एकादशी व्रत के प्रभाव से भस्म हो जाता है । 🔸जो मनुष्य उस दिन जल के नियम का पालन करता है, वह पुण्य का भागी होता है । उसे एक एक प्रहर में कोटि कोटि स्वर्णमुद्रा दान करने का फल प्राप्त होता है । 🔸मनुष्य निर्जला एकादशी के दिन स्नान, दान, जप, होम आदि जो कुछ भी करता है, वह सब अक्षय होता है । 🔸जिन्होंने निर्जला एकादशी को उपवास किया है, वे ब्रह्महत्यारे, शराबी, चोर तथा गुरुद्रोही होने पर भी सब पातकों से मुक्त हो जाते हैं । 🔸जो ‘निर्जला एकादशी’ के दिन  ब्राह्मण को पर्याप्त दक्षिणा और भाँति भाँति के मिष्ठान्नों द्वारा सन्तुष्ट करता है उन्हें भगवान श्रीहरि मोक्ष प्रदान करते हैं । 🔸जिन्होंने भगवान श्रीहरि की पूजा और रात्रि में जागरण करते हुए इस ‘निर्जला एकादशी’ का व्रत किया है, उन्होंने अपने साथ ही बीती हुई सौ पीढ़ियों को और आनेवाली सौ पीढ़ियों को भगवान वासुदेव के परम धाम में पहुँचा दिया है । 🔸जो निर्जला एकादशी के दिन श्रेष्ठ ब्राम्हण को अन्न, वस्त्र, गौ, जल, शय्या, सुन्दर आसन, कमण्डलु, जोता तथा छाता दान करता है, वह सोने के विमान पर बैठकर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है । 🔸जो इस एकादशी की महिमा को भक्तिपूर्वक सुनता अथवा उसका वर्णन करता है, वह स्वर्गलोक में जाता है । 🔸चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय श्राद्ध करके मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है, वही फल इसके श्रवण से भी प्राप्त होता है । 🔹 निर्जला एकादशी आसानी से कैसे करें ?🔹 🔸सुबह सूर्योदय से पहले-पहले भरपेट पानी पी लें । 🔸अगर घर में देशी गाय का घी है तो सूर्योदय से पहले ही 25 से 50 ग्राम गुनगुने पानी के साथ ले लें । इससे भूख-प्यास की उग्रता कम होगी, व्रत करने में आसानी होगी । 🔸सूर्योदय से पहले नींबू व मिश्री मिलाकर पानी पी लें तो प्यास कम लगेगी । 🔸दोपहर या शाम के समय मुल्तानी मिट्टी शरीर पर लगाकर आधा या एक घण्टे रखकर स्नान करें तो प्यास नही सताएगी । मुल्तानी में अगर पलाश के पाउडर अथवा छाछ, नींबू मिला ले अथवा इसमे से कोई भी एक चीज मिला ले तो प्यास नहीं सताएगी । 🔸अनावश्यक घर से बाहर न जाए, भागदौड़ न करें जिससे पसीना न बहे । जितना कम पसीना बहेगा उतनी प्यास कम लगेगी, सम्भव हो तो मौन रखें, जप ध्यान करें, सत्संग सुनें, शास्त्र पढ़ें । @PrachinSanatanSanskirti

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
6/8/2025, 5:54:23 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 09 जून 2025 ⛅️ दिन:- सोमवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 ⛅️ शक संवत्:- 1947 ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ ⛅️ पक्ष:- शुक्ल ⛅️ तिथि:- त्रयोदशी (सुबह 09:35 बजे तक, इसके बाद चतुर्दशी) ⛅️ नक्षत्र:- विशाखा (दोपहर 03:31 बजे तक, इसके बाद अनुराधा) ⛅️ योग:- परिघ (दोपहर 12:01 बजे तक, इसके बाद शिव योग) ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- नहीं ⛅️ करण:- कौलव (सुबह 09:35 बजे तक, इसके बाद तैतिल) ⛅️ भद्रा:- नहीं ⛅️ पंचक:- नहीं ⛅️ राहुकाल:- सुबह 07:07 बजे से सुबह 08:52 बजे तक ☀️ सूर्योदय:- सुबह 05:22 बजे ☀️ सूर्यास्त:- शाम 07:17 बजे 🌙 चन्द्रोदय:- शाम 05:36 बजे 🌙 चन्द्रास्त:- सुबह 03:34 बजे (10 जून को) ⛅️ दिशा शूल:- पूर्व दिशा ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 04:00 बजे से सुबह 04:42 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- सुबह 11:53 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात 11:45 बजे से रात 12:27 बजे तक ⛅️ शुभ वेला:- सुबह 05:22 बजे से सुबह 07:07 बजे तक ⛅️ चंचल वेला:- सुबह 08:52 बजे से सुबह 10:37 बजे तक ⛅️ लाभ वेला:- दोपहर 01:57 बजे से दोपहर 03:42 बजे तक ⛅️ अमृत वेला:- शाम 05:27 बजे से शाम 07:17 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- नहीं ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- तुला राशि में (सुबह 08:50 बजे तक, इसके बाद वृश्चिक राशि) ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- वैकासी विसाकम पर्व (भगवान मुरुगन का अवतरण दिवस) ⛅️ विशेष:- सोमवार का व्रत भगवान शिव को समर्पित। शिवलिंग का अभिषेक और शिव चालीसा पाठ से लाभ। वैकासी विसाकम के उपलक्ष्य में भगवान मुरुगन की पूजा शुभ। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। 🔹युवाधन सुरक्षा (वीर्यरक्षा के उपाय)🔹 🔸1. सादा रहन-सहन बनायें - लाल रंग के भड़कीले एवं रेशमी कपड़े नहीं पहनो । तेल-फुलेल और भाँति-भाँति के इत्रों का प्रयोग करने से बचो । जीवन में जितनी तड़क-भड़क बढ़ेगी, इन्द्रियाँ उतनी चंचल हो उठेंगी, फिर वीर्यरक्षा तो दूर की बात है । 🔸2. उपयुक्त आहार - आप स्वादलोलुप नहीं बनो । जिह्वा को नियंत्रण में रखो । क्या खायें, कब खायें, कैसे खायें और कितना खायें इसका विवेक नहीं रखा तो पेट खराब होगा, शरीर को रोग घेर लेंगे, वीर्यनाश को प्रोत्साहन मिलेगा और अपने को पतन के रास्ते जाने से नहीं रोक सकोगे । 🔸3. शिश्नेन्द्रिय स्नान - शौच के समय एवं लघुशंका के समय साथ में गिलास अथवा लोटे में ठंड़ा जल लेकर जाओ और उससे शिश्नेन्द्रिय को धोया करो । कभी-कभी उस पर ठंड़े पानी की धार किया करो । इससे कामवृत्ति का शमन होता है और स्वप्नदोष नहीं होता । 🔸4. उचित आसन एवं व्यायाम करो - जिसका शरीर स्वस्थ नहीं रहता, उसका मन अधिक विकारग्रस्त होता है । इसलिये रोज प्रातः व्यायाम एवं आसन करने का नियम बना लो । रोज प्रातः काल 3-4 मिनट दौड़ने और तेजी से टहलने से भी शरीर को अच्छा व्यायाम मिल जाता है । सूर्यनमस्कार 13 अथवा उससे अधिक किया करो तो उत्तम है । इसमें आसन व व्यायाम दोनों का समावेश होता है । 🔸5. ब्रह्ममुहूर्त में उठो - स्वप्नदोष अधिकांशतः रात्रि के अंतिम प्रहर में हुआ करता है । इसलिये प्रातः चार-साढ़े चार बजे यानी ब्रह्ममुहूर्त में ही शैया का त्याग कर दो । जो लोग प्रातः काल देरी तक सोते रहते हैं, उनका जीवन निस्तेज हो जाता है । 🔸6.दुर्व्यसनों से दूर रहो - शराब एवं बीड़ी-सिगरेट-तम्बाकू का सेवन मनुष्य की कामवासना को उद्यीप्त करता है । नशीली वस्तुओं के सेवन से फेफड़े और हृदय कमजोर हो जाते हैं, सहनशक्ति घट जाती है और आयुष्य भी कम हो जाता है ।अमरीकी डॉक्टरों ने खोज करके बतलाया है कि नशीली वस्तुओं के सेवन से कामभाव उत्तेजित होने पर वीर्य पतला और कमजोर पड़ जाता है । 🔸7.सत्संग करो - आप सत्संग नहीं करोगे तो कुसंग अवश्य होगा । इसलिये मन, वचन, कर्म से सदैव सत्संग का ही सेवन करो । 🔸8. शुभ संकल्प करो - दृढ़ संकल्प करने से वीर्यरक्षण में मदद होती है और वीर्यरक्षण से संकल्पबल बढ़ता है । विश्वासो फलदायकः । जैसा विश्वास और जैसी श्रद्धा होगी वैसा ही फल प्राप्त होगा । ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों में यह संकल्पबल असीम होता है । वस्तुतः ब्रह्मचर्य की तो वे जीती-जागती मुर्ति ही होते हैं । भाग 2 👇 https://t.me/PrachinSanatanSanskirti/833

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
6/7/2025, 5:44:48 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 08 जून 2025 ⛅️ दिन:- रविवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 ⛅️ शक संवत्:- 1947 ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ ⛅️ पक्ष:- शुक्ल ⛅️ तिथि:- द्वादशी ⛅️ नक्षत्र:- स्वाति (सुबह 05:44 बजे तक, उपरांत विशाखा) ⛅️ योग:- वरीयान (सुबह 06:07 बजे तक, उपरांत परिघ) ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- नहीं है ⛅️ करण:- बव (शाम 04:07 बजे तक, उपरांत बालव) ⛅️ भद्रा:- नहीं है ⛅️ पंचक:- नहीं है ⛅️ राहुकाल:- शाम 05:06 बजे से 06:45 बजे तक ☀️ सूर्योदय:- सुबह 05:23 बजे ☀️ सूर्यास्त:- शाम 07:16 बजे 🌙 चन्द्रोदय:- दोपहर 03:55 बजे 🌙 चन्द्रास्त:- देर रात 02:58 बजे (09 जून को) ⛅️ दिशा शूल:- पश्चिम ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 04:01 बजे से 04:42 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 11:58 बजे से 12:54 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात 11:59 बजे से 12:40 बजे तक ⛅️ शुभ वेला:- सुबह 07:02 बजे से 08:41 बजे तक ⛅️ चंचल वेला:- दोपहर 01:38 बजे से 03:17 बजे तक ⛅️ लाभ वेला:- दोपहर 03:17 बजे से 04:56 बजे तक ⛅️ अमृत वेला:- सुबह 05:23 बजे से 07:02 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- सुबह 09:39 बजे (07 जून) से सुबह 05:44 बजे तक ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- तुला राशि में (पूरा दिन-रात) ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- प्रदोष व्रत ⛅️ विशेष:- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन व्रत रखने और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र अर्पित करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। @PrachinSanatanSanskirti

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
5/24/2025, 4:58:19 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 25 मई 2025 ⛅️ दिन:- रविवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 (कालयुक्त) ⛅️ शक संवत्:- 1947 (विश्वावसु) ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ (पूर्णिमांत) / वैशाख (अमांत) ⛅️ पक्ष:- कृष्ण ⛅️ तिथि:- त्रयोदशी (दोपहर 3:51 बजे तक, उपरांत चतुर्दशी) ⛅️ नक्षत्र:- अश्विनी (सुबह 11:12 बजे तक, उपरांत भरणी) ⛅️ योग:- सौभाग्य (सुबह 11:06 बजे तक, उपरांत शोभन) ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- नहीं है ⛅️ करण:- वणिज (दोपहर 3:51 बजे तक, बाद विष्टि, फिर शकुनि) ⛅️ भद्रा:- नहीं है ⛅️ पंचक:- संपूर्ण दिन-रात ⛅️ राहुकाल:- शाम 5:22 बजे से शाम 7:01 बजे तक ☀️ सूर्योदय:- सुबह 5:46 बजे ☀️ सूर्यास्त:- शाम 7:01 बजे 🌙 चन्द्रोदय:- सुबह 3:21 बजे 🌙 चन्द्रास्त:- दोपहर 3:51 बजे ⛅️ दिशा शूल:- पश्चिम ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 4:09 बजे से सुबह 4:57 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात 11:54 बजे से रात 12:37 बजे तक ⛅️ शुभ वेला:- सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक, दोपहर 12:20 बजे से 2:00 बजे तक ⛅️ चंचल वेला:- सुबह 9:00 बजे से 10:30 बजे तक ⛅️ लाभ वेला:- दोपहर 2:00 बजे से 3:30 बजे तक ⛅️ अमृत वेला:- सुबह 5:46 बजे से 7:30 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- सुबह 5:46 बजे से सुबह 11:12 बजे तक (अश्विनी नक्षत्र और रविवार) ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- मेष राशि में (पूरा दिन-रात) ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- मासिक शिवरात्रि, ⛅️ विशेष:- राहुकाल, गुलिक काल, यमघंट काल जैसे अशुभ समय में शुभ कार्यों से बचें। सर्वार्थ सिद्धि योग शुभ कार्यों के लिए उत्तम। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। 🌹मासिक शिवरात्रि : 25 मई 2025🌹 🌹जिस तिथि का जो स्वामी हो उस तिथि में उसकी आराधना-उपासना करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी भगवान शिव है । अतः उनकी रात्रि में किया जानेवाला यह व्रत ‘शिवरात्रि' कहलाता है । प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि में गुरु से प्राप्त हुए मंत्र का जप करें । गुरुप्रदत्त मंत्र न हो तो पंचाक्षर (नमः शिवाय) मंत्र के जप से भगवान शिव को संतुष्ट करें । 🌹कर्ज मुक्ति हेतु - 🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी... 🌹1)  ॐ शिवाय नमः 🌹2) ॐ सर्वात्मने नमः 🌹3) ॐ त्रिनेत्राय नमः    🌹4) ॐ हराय नमः 🌹5) ॐ इन्द्रमुखाय नमः  🌹6) ॐ श्रीकंठाय नमः 🌹7) ॐ सद्योजाताय नमः 🌹8) ॐ वामदेवाय नमः 🌹9) ॐ अघोरहृदयाय नम: 🌹10) ॐ तत्पुरुषाय नमः 🌹11) ॐ ईशानाय नमः     🌹12) ॐ अनंतधर्माय नमः 🌹13) ॐ ज्ञानभूताय नमः 🌹14) ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः 🌹15) ॐ प्रधानाय नमः  🌹16) ॐ व्योमात्मने नमः 🌹17) ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम: 🌹जय श्री राम 🌹

प्राचीन सनातन संस्कृति
प्राचीन सनातन संस्कृति
5/21/2025, 4:13:41 PM

🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞 ⛅️ दिनांक:- 22 मई 2025 ⛅️ दिन:- गुरुवार ⛅️ विक्रम संवत्:- 2082 कालयुक्त ⛅️ शक संवत्:- 1947 शालिवाहन ⛅️ अयन:- उत्तरायण ⛅️ ऋतु:- ग्रीष्म ⛅️ मास:- ज्येष्ठ ⛅️ पक्ष:- कृष्ण पक्ष ⛅️ तिथि:- दशमी (रात 1:13 बजे तक, उसके बाद एकादशी) ⛅️ नक्षत्र:- पूर्वा भाद्रपद (शाम 5:47 बजे तक, उसके बाद उत्तरा भाद्रपद) ⛅️ योग:- विष्कम्भ (रात 9:58 बजे तक, उसके बाद प्रीति) ⛅️ व्यतिपात (मिति पात):- नही है ⛅️ करण:- गर (दोपहर 2:17 बजे तक, उसके बाद वणिज) ⛅️ भद्रा:- नहीं है ⛅️ पंचक:- नहीं है ⛅️ राहुकाल:- दोपहर 1:58 बजे से दोपहर 3:39 बजे तक ☀️ सूर्योदय:- सुबह 5:27 बजे ☀️ सूर्यास्त:- शाम 7:09 बजे 🌙 चन्द्रोदय:- रात 1:35 बजे (23 मई 2025 को) 🌙 चन्द्रास्त:- दोपहर 12:08 बजे ⛅️ दिशा शूल:- दक्षिण ⛅️ ब्राह्ममुहूर्त:- सुबह 4:03 बजे से सुबह 4:45 बजे तक ⛅️ अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 11:58 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक ⛅️ निशिता मुहूर्त:- रात 11:58 बजे से रात 12:40 बजे तक ⛅️ शुभ वेला:- सुबह 7:08 बजे से सुबह 8:49 बजे तक ⛅️ चंचल वेला:- सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:11 बजे तक ⛅️ लाभ वेला:- दोपहर 3:53 बजे से शाम 5:34 बजे तक ⛅️ अमृत वेला:- सुबह 5:27 बजे से सुबह 7:08 बजे तक ⛅️ सर्वार्थ सिद्धि योग:- नहीं है ☀️ सूर्य:- वृषभ राशि में 🌙 चन्द्रमा:- कुंभ राशि में (दोपहर 12:08 बजे तक, उसके बाद मीन राशि में) ⛅️ व्रत पर्व विवरण:- हनुमान जयंती (तेलुगु) ⛅️ विशेष:- इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें। अमृत कालम में अन्नप्राशन जैसे संस्कार शुभ माने जाते हैं। ⚠️नोट:- सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, और चन्द्रास्त के समय में स्थानीय भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। 🔹गर्मी के प्रभाव से सुरक्षा हेतु – प्रकृति के उपहार🔹 🥥🫒नारियल पानी :-  नारियल का पानी पित्तशामक, स्वादिष्ट, स्निग्ध और ताजगी प्रदान करनेवाला है । यह प्यास को शांत कर ग्रीष्म ऋतू की उष्णता से सुरक्षा करता है । अत: गर्मियों में नारियल पानी का सेवन विशेष लाभदायी हैं । 🔸लू लगने पर नारियल पानी के साथ काला जीरा पीस के शरीर पर लेप करने से लाभ होता है । 🔸प्रतिदिन नारियल खाने व नारियल पानी पीने से शारीरिक शक्ति का विकास होता है, वीर्य की तेजी से वृद्धि होती है । ( अष्टमी को नारियल न खायें । ) 🔸मूत्र में जलन होने पर पिसा हरा धनिया तथा मिश्री नारियल पानी में मिला के पीने से जलन दूर होती है । 🥒खीरा : -  खीरा शरीर को शीतलता प्रदान करता है । इसमें बड़ी मात्रा में पानी और खनिज तत्त्व पाये जाते हैं । अत: इसके सेवन से शरीर में खनिज तत्त्वों का संतुलन बना रहता हैं । यह मूत्र की जलन शांत करता है एवं यकृत ( लीवर ) के लिए भी हितकारी है । खीरा भूख बढाने के साथ ही आँतों को सक्रिय करता हैं । 🔸 अधिक पढने – लिखने, चित्रकला, संगणक व सिलाई का काम करने से आँखों में थकावट होने पर खीरे के दुकड़े काटकर आँखों पर रखें । इससे उनको आराम मिलता है तथा थकावट दूर होती है । 🔸नींबू  और खीरे का रस मिलाकर लगाने से धूप से झुलसी हुई त्वचा ठीक होती है । 🍉तरबूज : ग्रीष्म ऋतू में प्यास की अधिकता से मुक्ति दिलाता है तरबूज । इसके सेवन से शरीर में लू का प्रकोप कम होता है और बेचैनी से रक्षा होती है । 🔸 तरबूज के रस में सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर पीने से लू से सुरक्षा होती है । 🔸 गर्मी के प्रकोप से मूत्रावरोध होने पर तरबूज का रस पिलाने से मूत्र शीघ्र निष्कासित होता है । 🔸तरबूज के छोटे – छोटे टुकड़ों पर थोडा – सा  जीरा चूर्ण और मिश्री डाल के सेवन करने से शरीर की उष्णता दूर होती है । ☘️धनिया : - धनिया ग्रीष्म ऋतू में अधिक प्यास के प्रकोप को शांत करता है । 🔸१० ग्राम सूखा धनिया व ५ ग्राम आँवला चूर्ण रात को मिटटी के पात्र में  १ गिलास पानी में भिगो दें । प्रात: मसलकर मिश्री मिला के छान के पियें । यह गर्मी के कारण होनेवाले सिरदर्द व मूँह के छालों में हितकर हैं । धनिया पीसकर सिर पर लेप करने से भी आशातीत लाभ होगा । इससे पेशाब की जलन, गर्मी के कारण चक्कर आना तथा उलटी होना आदि समस्याएँ दूर होती हैं ।

Link copied to clipboard!