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June 18, 2025 at 08:40 AM
*आचरण में श्रेष्ठता का समावेश | Aacharan Mai Shresthata ka Samavesh*
*आत्मशांति की उपलब्धि संसार के सुखों और पदार्थों के भोग से संभव नहीं। उसकी प्राप्ति तो तब होती है, जब मनुष्य के जीवन और आचरण में श्रेष्ठता का समावेश होता है। श्रेष्ठता ही आत्मशांति का एकमात्र आधार है। श्रेष्ठ आत्मा वाले व्यक्ति कितने ही गरीब और एकाकी क्यों न हों, उन्हें असंतोष की यातना सहन नहीं करनी पड़ती। विद्वान, परमार्थी, भक्त तथा परोपकारी व्यक्ति श्रेष्ठ आत्मा वाले ही होते हैं। ........*
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