
awgpofficial Channel
June 18, 2025 at 05:43 PM
जिस तरह हर बात कहने की नहीं होती, उसी तरह हर बात सुनने की भी नहीं होती! हमें जो कचरा बाहर फेंकना होता है उसे ठुस्ते रहतें है और कबाड़खाना बना देते है दिमाग को। अक़्सर उल्टा करते है हम, जो बातें भूलने की होती है वो याद रखते हैं और जो याद रखना हो उसे भूल जाते हैं। धीरे धीरे दिमाग़ वैसा ही होने लगता है, गलत बातें घर बसाने लगती है और सही बातों को जगह नही मिलती।
गर ज़िन्दगी को सँवारना है, तो तनिक लापरवाह बनना होगा! कुछ बातों को इग्नोर करना सीखिए। रिश्तों में दिमाग़ का कम और दिल का इस्तेमाल ज्यादा करें। दिमाग जहाँ लगाना हो वहीं लगाएं, दिल से कही गई बात ही दिल तक पहुंचती है। दिमाग़ में फ़ालतू बातें न भरें...और हाँ इतना खाली भी ना रखें कि शैतान का घर बन जाये।

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