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June 19, 2025 at 09:24 AM
*मनोबल द्वारा रोग का निवारण भाग - 03 | Manobal Dwara Rog Ka Nivaran Part 03*
*पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य*
*भोजन करते समय जैसे विचार होंगे, तद्वत् भोजन का भी रूप बनता जाएगा। इसलिए भोजन करते समय अपने विचार बिलकुल सात्त्विक रखो। सात्त्विक आहार और सात्त्विक विचार से आप भी सात्त्विक बन जाएँगे। मनुष्य इच्छास्वरूप है और कुछ नहीं। अनेक इच्छाओं के समूह का नाम मनुष्य है। जैसे-जैसे- उसकी इच्छा विश्वास में परिवर्तित होती जाएगी, वैसे-वैसे उसका रूप भी एक विचित्र साँचे में ढलता जाएगा। लोग कहते हैं कि, “ईश्वर करे कि हम नीरोग रहकर अधिक दिन तक जीवित रहें।” मनुष्य अपनी तमाम इच्छाओं और आशाओं को दूसरे के बल पर छोड देते हैं। वे यह नहीं सोचते कि ईश्वर का वास कहाँ पर है? अगर वे जान जाएँ कि इच्छाशक्ति— विश्वास ही में ईश्वर रहता है, तो शायद वे ऐसी कायरता न दिखलाएँ। ......*
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