⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 12, 2025 at 02:53 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८२/आषाढ़/कृ./१-१८१९१*
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⛳🚩🚩🛕 *जय श्रीराम* 🛕🚩🚩⛳
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🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏
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🌞 *श्रीरामचरितमानस* 🌞
🕉️ *सप्तम सोपान* 🕉️
☸️ *उत्तर काण्ड*☸️
⛳ *चौपाई १ से ४, दोहा ७० क, ख*⛳
*बोलेउ काकभसुंड बहोरी । नभग नाथ पर प्रीति न थोरी ॥ सब बिधि नाथ पूज्य तुम्ह मेरे । कृपापात्र रघुनायक केरे ॥*
काकभुशुण्डिजी ने फिर कहा-पक्षिराज पर उनका प्रेम कम न था (अर्थात् बहुत था) - हे नाथ! आप सब प्रकार से मेरे पूज्य हैं और श्रीरघुनाथजी के कृपापात्र हैं ॥ १ ॥
*तुम्हहि न संसय मोह न माया । मो पर नाथ कीन्हि तुम्ह दाया ॥ पठइ मोह मिस खगपति तोही । रघुपति दीन्हि बड़ाई मोही ॥*
आपको न सन्देह है और न मोह अथवा माया ही है। हे नाथ! आपने तो मुझ पर दया की है। हे पक्षिराज ! मोह के बहाने श्रीरघुनाथजी ने आपको यहाँ भेजकर मुझे बड़ाई दी है ॥ २ ॥
*तुम्ह निज मोह कही खगसाईं । सो नहिं कछु आचरज गोसाईं ॥ नारद भव बिरंचि सनकादी। जे मुनिनायक आतमबादी ॥*
हे पक्षियों के स्वामी ! आपने अपना मोह कहा, सो हे गोसाईं! यह कुछ आश्चर्य नहीं है। नारदजी, शिवजी, ब्रह्माजी और सनकादि जो आत्मतत्त्व के मर्मज्ञ और उसका उपदेश करनेवाले श्रेष्ठ मुनि हैं ॥ ३ ॥
*मोह न अंध कीन्ह केहि केही। को जग काम नचाव न जेही ॥ तृस्त्राँ केहि न कीन्ह बौराहा । केहि कर हृदय क्रोध नहिं दाहा ॥*
उनमें से भी किस-किस को मोहने अंधा (विवेकशून्य) नहीं किया ? जगत् में ऐसा कौन है जिसे काम ने न नचाया हो ? तृष्णा ने किसको मतवाला नहीं बनाया? क्रोध ने किसका हृदय नहीं जलाया ? ॥ ४ ॥
*दोहा*
*ग्यानी तापस सूर कबि कोबिद गुन आगार। केहि कै लोभ बिडंबना कीन्हि न एहिं संसार ॥ ७० (क) ॥*
इस संसार में ऐसा कौन ज्ञानी, तपस्वी, शूरवीर, कवि, विद्वान् और गुणों का धाम है, जिसकी लोभ ने विडम्बना (मिट्टी पलीद) न की हो ॥ ७० (क) ॥
*श्रीमद बक्र न कीन्ह केहि प्रभुता बधिर न काहि। मृगलोचनि के नैन सर को अस लाग न जाहि ॥ ७० (ख) ॥*
लक्ष्मी के मद ने किसको टेढ़ा और प्रभुता ने किसको बहरा नहीं कर दिया? ऐसा कौन है, जिसे मृगनयनी (युवती स्त्री) के नेत्र-बाण न लगे हों? ॥ ७० (ख) ॥
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अपरेयमितस्त्वन्यां प्रकृतिं विद्धि मे पराम् ।
जीवभूतां महाबाहो ययेदं धार्यते जगत् ॥
*गुरु बृहस्पति देव जी की जय*
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