⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 14, 2025 at 02:37 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८२/आषाढ़/कृ./३-१८२११* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* ⛳🚩🚩🛕 *जय श्रीराम* 🛕🚩🚩⛳ ************************************** 🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏 ************************ 🌞 *श्रीरामचरितमानस* 🌞 🕉️ *सप्तम सोपान* 🕉️ ☸️ *उत्तर काण्ड*☸️ ⛳ *चौपाई १ से ४, दोहा ७२ क, ख*⛳ *जो माया सब जगहि नचावा । जासु चरित लखि काहुँ न पावा ॥ सोइ प्रभु भ्रू बिलास खगराजा । नाच नटी इव सहित समाजा ॥* जो माया सारे जगत्‌ को नचाती है और जिसका चरित्र (करनी) किसी ने नहीं लख पाया, हे खगराज गरुड़जी ! वही माया प्रभु श्रीरामचन्द्रजी की भुकुटी के इशारे पर अपने समाज (परिवार) सहित नटीकी तरह नाचती है ॥ १ ॥ *सोइ सच्चिदानंद घन रामा। अज बिग्यान रूप बल धामा ॥ ब्यापक ब्याप्य अखंड अनंता । अखिल अमोघसक्ति भगवंता ॥* श्रीरामजी वही सच्चिदानन्दघन हैं जो अजन्मा, विज्ञानस्वरूप, रूप और बलके धाम, सर्वव्यापक एवं व्याप्य (सर्वरूप), अखण्ड, अनन्त, सम्पूर्ण, अमोघशक्ति (जिसकी शक्ति कभी व्यर्थ नहीं होती) और छः ऐश्वर्यों से युक्त भगवान् हैं ॥ २ ॥ *अगुन अदभ्र गिरा निर्मम निराकार गोतीता। सबदरसी अनवद्य निरमोहा। नित्य निरंजन सुख अजीता ॥ संदोहा ॥* वे निर्गुण (माया के गुणों से रहित), महान्, वाणी और इन्द्रियों से परे, सब कुछ देखने वाले, निर्दोष, अजेय, ममता रहित, निराकार (मायिक आकार से रहित), मोह रहित, नित्य, माया रहित, सुख की राशि, ॥ ३ ॥ *प्रकृति पार प्रभु सब उर बासी । ब्रह्म निरीह बिरज अबिनासी ॥ इहाँ मोह कर कारन नाहीं । रबि सन्मुख तम कबहुँ कि जाहीं ॥* प्रकृति से परे, प्रभु (सर्वसमर्थ), सदा सबके हृदय में बसने वाले, इच्छारहित, विकार रहित, अविनाशी ब्रह्म हैं। यहाँ (श्रीराम में) मोह का कारण ही नहीं है। क्या अन्धकार का समूह कभी सूर्य के सामने जा सकता है ? ॥४॥ *दोहा* *भगत हेतु भगवान प्रभु राम धरेउ तनु भूप। किए चरित पावन परम प्राकृत नर अनुरूप ॥ ७२ (क) ॥* भगवान् प्रभु श्रीरामचन्द्रजी ने भक्तों के लिये राजा का शरीर धारण किया और साधारण मनुष्यों के-से अनेकों परम पावन चरित्र किये ॥ ७२ (क) ॥ *जथा अनेक बेष धरि नृत्य करइ नट कोइ। सोइ सोइ भाव देखावइ आपुन होइ न सोइ ॥ ७२ (ख) ॥* जैसे कोई नट (खेल करनेवाला) अनेक वेष धारण करके नृत्य करता है, और वही वही (जैसा वेष होता है, उसी के अनुकूल) भाव दिखलाता है, पर स्वयं वह उनमें से कोई हो नहीं जाता, ॥ ७२ (ख) ॥ 🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏🚩⛳ *समिति के सभी संदेश नियमित पढ़ने हेतु निम्न व्हाट्सएप चैनल को फॉलो किजिए ॥🙏🚩⛳* https://whatsapp.com/channel/0029VaHUKkCHLHQSkqRYRH2a ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय। मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव ॥ *भगवन शनिदेव जी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*
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