⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 14, 2025 at 08:50 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८२/आषाढ़/कृ./३-१८२१८*
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🚩⛳⛳ *हिंदू राष्ट्र*⛳
*हिंदु दुनिया के 110 से ज्यादा देशों में रहते हैं लेकिन इसे मानने वालों की सबसे बड़ी आबादी भारत और नेपाल में रहती है. नेपाल कभी दुनिया का एक मात्र हिंदू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन 2008 में नेपाल के संविधान में बदलाव करके उसे धर्म निरपेक्ष देश का दर्जा दे दिया गया. 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत के संविधान में भी 42वां संशोधऩ करके प्रस्तावना में Secular शब्द जोड़ दिया था. यानी पिछले कुछ दशकों में भारत और नेपाल जैसे देशों के बहुसंख्यक हिंदुओं पर तो धर्म निरपेक्षता की जिम्मेदारी डाल दी गई. जबकि मुसलमान देश Secular से Islamic repblic या Islamic को राष्ट्र धर्म मानने वाले देश में बनते गए.*
*1956 में पाकिस्तान, 1979 में ईरान, 1980 में बांग्लादेश, और 2005 में इराक, जैसे देश या तो पूरी तरह से इस्लामिक देश बन गए. या फिर इस्लाम को अपना राष्ट्र धर्म मान लिया. हैरानी की बात ये है कि इनमें से कई देश अपने आगे Republic लगाते हैं जिसका अरबी भाषा में अर्थ होता है जम्हूरियत यानी लोकतंत्र. अब आप ये सोचिए कि ये कैसे लोकतांत्रिक देश हैं. जहां गैर मुसलमानों पर अत्य़ाचार किए जाते हैं और उन्हें काफिर कहा जाता है. जबकि भारत अगर ऐसे ही देशों में सताए जा रहे अल्पसंख्यकों को एक कानून बनाकर नागरिकता देना चाहता है तो हमारे यहां के लोग ही इसे एक सांप्रदायिक कदम बताने लगते हैं. ऐसे लोग कहते हैं कि नए कानून में इन देशों से आए मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रावधान क्यों नहीं है? सवाल ये है कि जो देश खुद को इस्लामिक देश मानते हैं. या फिर जिन देशों का राष्ट्र धर्म ही इस्लाम है. वहां से आए मुसलमानों को किस आधार पर नागरिकता दी जानी चाहिये*
*1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो भारत एक धर्म निरपेक्ष देश बन गया. जबकि पाकिस्तान आगे चलकर एक इस्लामिक देश में बदल गया और फिर 1971 में भारत ने बांग्लादेश को आजादी दिलाई. लेकिन कुछ वर्षों के बाद बांग्लादेश ने भी इस्लाम को राष्ट्र धर्म के रूप में स्वीकार कर लिया. हालांकि 2018 में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान के खिलाफ बताया था. सवाल ये भी है कि भारत और नेपाल जैसे देशों पर तो Secular बनने का दबाव डाला जाता है..लेकिन ये दबाव मुसलमान देशों पर क्यों नहीं डाला जाता?*
*पूरी दुनिया में करीब 181 करोड़ लोग इस्लाम को मानते हैं. इनमें से करीब 160 करोड़ लोग इस्लामिक देशों में रहते हैं. इनमें से ज्यादातर देशों में धर्म का पालन करना Choice नहीं बल्कि मजबूरी होती है. क्योंकि लगभग सभी मुस्लिम देशों में धर्म के अपमान को अपराध माना जाता है और कुछ देशों में तो इसके लिए मौत की सज़ा का भी प्रावधान है. अब आप सोचिए धर्म निरपेक्ष भारत में एक कानून को लोग सांप्रदायिक बताने लगते हैं जबकि यही लोग जब इस्लामिक देशों की बात करते हैं तो वहां के कानून और धर्म का सम्मान करने की नसीहत देते हैं. ऐसी सोच रखने वालों से सावधान रहना बहुत ज़रूरी है*.
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*जय श्री राम*
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मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय।
मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव ॥
*भगवन शनिदेव जी की जय*
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