⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 18, 2025 at 02:34 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८२/आषाढ़/कृ./७-१८२५१*
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⛳🚩🚩🛕 *जय श्रीराम* 🛕🚩🚩⛳
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🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏
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🌞 *श्रीरामचरितमानस* 🌞
🕉️ *सप्तम सोपान* 🕉️
☸️ *उत्तर काण्ड*☸️
⛳ *चौपाई १ से ४, दोहा ७६*⛳
*कहइ भसुंड सुनहु खगनायक। राम चरित सेवक सुखदायक ॥ नृप मंदिर सुंदर सब भाँती । खचित कनक मनि नाना जाती ॥*
भुशुण्डिजी कहने लगे - हे पक्षिराज ! सुनिये, श्रीरामजी का चरित्र सेवकों को सुख देनेवाला है। [अयोध्या का] राजमहल सब प्रकार से सुन्दर है। सोने के महल में नाना प्रकार के रत्न जड़े हुए हैं ॥ १ ॥
*बरनि न जाइ रुचिर अँगनाई। जहँ खेलहिं नित चारिउ भाई ॥ बालबिनोद करत रघुराई । बिचरत अजिर जननि सुखदाई ॥*
सुन्दर आँगन का वर्णन नहीं किया जा सकता, जहाँ चारों भाई नित्य खेलते हैं। माता को सुख देनेवाले बाल विनोद करते हुए श्रीरघुनाथजी आँगन में विचर रहे हैं ॥ २ ॥
*मरकत मृदुल कलेवर स्यामा । अंग अंग प्रति छबि बहु कामा ॥ नव राजीव अरुन मृदु चरना। पदज रुचिर नख ससि दुति हरना ॥*
मरकत मणि के समान हरिताभ श्याम और कोमल शरीर है। अङ्ग अङ्ग में बहुत-से कामदेवों की शोभा छायी हुई है। नवीन [लाल] कमल के समान लाल-लाल कोमल चरण हैं। सुन्दर अँगुलियाँ हैं और नख अपनी ज्योति से चन्द्रमा की कान्ति को हरने वाले हैं ॥ ३ ॥
*ललित अंक कुलिसादिक चारी। नूपुर चारु मधुर रवकारी ॥ चारु पुरट मनि रचित बनाई। कटि किंकिनि कल मुखर सुहाई ॥*
[तलवे में] वज्रादि (वज्र, अंकुश, ध्वजा और कमल) के चार सुन्दर चिह्न हैं, चरणों में मधुर शब्द करने वाले सुन्दर नूपुर हैं, मणियों, रत्नों से जड़ी हुई सोने की बनी हुई सुन्दर करधनी का शब्द सुहावना लग रहा है ॥ ४॥
*दोहा*
*रेखा त्रय सुंदर उदर नाभी रुचिर गंभीर। उर आयत भ्राजत बिबिधि बाल बिभूषन चीर ॥ ७६ ॥*
उदरपर सुन्दर तीन रेखाएँ (त्रिवली) हैं, नाभि सुन्दर और गहरी है। विशाल वक्षःस्थल पर अनेकों प्रकार के बच्चों के आभूषण और वस्त्र सुशोभित हैं ॥ ७६ ॥
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बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम् ।
धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ ॥
*भगवान गणेश जी की जय*
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