⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 19, 2025 at 02:37 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८२/आषाढ़/कृ./८-१८२६२* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* *।। ॐ तत्सत् ।। ।। श्रीगणेशायः नमः ।।* 🚩 *श्रीमद्भागवतमहापुराणम्* 🚩 ⛳ *चतुर्थः स्कन्धः* ⛳ ⛳ *अथाष्टमोऽध्यायः*⛳ 🚩🕉️ *ध्रुव का वन_गमन*🚩🕉️ ⛳ *श्लोक_७६ से ८०* ⛳ 🔆 *पंचमे मास्यनुप्राप्ते जितश्वासो नृपात्मजः । ध्यायन् ब्रह्म पदैकेन तस्थौ स्थाणुरिवाचलः ।।७६।।* 👉 अर्थात् _पाँचवाँ मास लगने पर राजकुमार ध्रुव श्वास को जीतकर परब्रह्म का चिन्तन करते हुए एक पैर से खंभे के समान निश्चल भाव से खड़े हो गये ।। ७६ ।। 🔆 *सर्वतो मन आकृष्य हृदि भूतेन्द्रियाशयम् । ध्यायन्भगवतो रूपं नाद्राक्षीत्किंचनापरम् ।। ७७।।* 👉 अर्थात् _उस समय उन्होंने शब्दादि विषय और इन्द्रियों के नियामक अपने मन को सब ओर से खींच लिया तथा हृदय स्थित हरि के स्वरूप का चिन्तन करते हुए चित्त को किसी दूसरी ओर न जाने दिया ।। ७७ ।। 🔆 *आधारं महदादीनां प्रधानपुरुषेश्वरम् । ब्रह्म धारयमाणस्य त्रयो लोकाश्चकम्पिरे ।।७८।।* 👉 अर्थात् _जिस समय उन्होंने महदादि सम्पूर्ण तत्त्वों के आधार तथा प्रकृति और पुरुष के भी अधीश्वर परब्रह्म की धारणा की, उस समय (उनके तेज को न सह सकने के कारण) तीनों लोक काँप उठे ।। ७८ ।। 🔆 *यदैकपादेन स पार्थिवार्भक-स्तस्थौ तदङ्‌गुष्ठनिपीडिता मही । ननाम तत्रार्धमिभेन्द्रधिष्ठिता तरीव सव्येतरतः पदे पदे ।। ७९।।* 👉 अर्थात् _जब राज कुमार ध्रुव एक पैर से खड़े हुए, तब उनके अँगूठे से दबकर आधी पृथ्वी इस प्रकार झुक गयी, जैसे किसी गजराज के चढ़ जाने पर नाव पद-पद पर दायीं-बायीं ओर डगमगाने लगती है ।। ७९।। 🔆 *तस्मिन्नभिध्यायति विश्वमात्मनो द्वारं निरुध्यासुमनन्यया धिया । लोका निरुच्छ्वासनिपीडिता भृशं सलोकपालाः शरणं ययुर्हरिम् ।।८०।।* 👉 अर्थात् _ध्रुव जी अपने इन्द्रिय द्वार तथा प्राणों को रोक कर अनन्य बुद्धि से विश्वात्मा श्री हरि का ध्यान करने लगे। इस प्रकार उनकी समष्टि प्राण से अभिन्नता हो जाने के कारण सभी जीवों का श्वास-प्रश्वास रुक गया। इससे समस्त लोक और लोकपालों को बड़ी पीड़ा हुई और वे सब घबराकर श्रीहरि की शरण में गये ।। ८०।। 🕉️ *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।* *हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥* 🕉️ 🚩 *समिति के सभी संदेश नियमित पढ़ने हेतु निम्न व्हाट्सएप चैनल को फॉलो किजिए॥*🙏⛳🚩 ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये। मत्त एवेति तान्विद्धि न त्वहं तेषु ते मयि ॥ *भगवान सत्यनारायण देव जी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*

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