Muwahid
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                June 20, 2025 at 02:14 AM
                               
                            
                        
                            रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फरमाया:
जब कोई शख़्स मस्जिद में दाख़िल हो कर नमाज़ के लिए रुके रहता है तो वो नमाज़ ही में रहता है, और फ़रिश्ते उस शख़्स के लिए उस वक़्त तक दुआए रहमत करते रहते हैं जब तक वो उस जगह बैठा रहता है जिस जगह उसने नमाज़ अदा की है, वो कहते हैं: ए अल्लाह! इसे बख़्श दे, ए अल्लाह! इस पर रहम कर, ए अल्लाह! इसकी तौबा क़ुबूल फ़र्मा, ये दुआ यूँही जारी रहती है जब तक की उस का वज़ु ना टूटे, और जब तक अपनी जगह से हट ना जाए।
📓(सुनन इब्ने माजा : 799)
                        
                    
                    
                    
                    
                    
                                    
                                        
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