संकल्प टुडे न्यूज़
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June 18, 2025 at 07:54 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८२/आषाढ़/कृ./५-१८२३१* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* ⛳🚩🚩🛕 *जय श्रीराम* 🛕🚩🚩⛳ ************************************** 🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏 ************************ 🌞 *श्रीरामचरितमानस* 🌞 🕉️ *सप्तम सोपान* 🕉️ ☸️ *उत्तर काण्ड*☸️ ⛳ *चौपाई १ से ४, दोहा ७४ क, ख*⛳ *सुनु खगेस रघुपति प्रभुताई। कहउँ जथामति कथा सुहाई ॥ जेहि बिधि मोह भयउ प्रभु मोही। सोउ सब कथा सुनावउँ तोही ॥* हे पक्षिराज गरुड़जी! श्रीरघुनाथजी की प्रभुता सुनिये। मैं अपनी बुद्धि के अनुसार वह सुहावनी कथा कहता हूँ। हे प्रभो! मुझे जिस प्रकार मोह हुआ, वह सब कथा भी आपको सुनाता हूँ ॥ १ ॥ *राम कृपा भाजन तुम्ह ताता । हरि गुन प्रीति मोहि सुखदाता ।। ताते नहिं कछु तुम्हहि दुरावउँ । परम रहस्य मनोहर गावउँ ॥* हे तात ! आप श्रीरामजी के कृपापात्र हैं। श्रीहरि के गुणों में आपकी प्रीति है, इसीलिये आप मुझे सुख देनेवाले हैं। इसी से मैं आपसे कुछ भी नहीं छिपाता और अत्यन्त रहस्य की बातें आपको गाकर सुनाता हूँ ॥ २ ॥ *सुनहु राम कर सहज सुभाऊ । जन अभिमान न राखहिं काऊ ॥ संसृत मूल सूलप्रद नाना । सकल सोक दायक अभिमाना ।।* श्रीरामचन्द्रजी का सहज स्वभाव सुनिये। वे भक्त में अभिमान कभी नहीं रहने देते। क्योंकि अभिमान जन्म-मरण रूप संसार का मूल है और अनेक प्रकार के क्लेशों तथा समस्त शोकों का देनेवाला है ॥ ३ ॥ *ताते करहिं कृपानिधि दूरी। सेवक पर ममता अति भूरी ॥ जिमि सिसु तन ब्रन होइ गोसाईं। मातु चिराव कठिन की नाईं ॥* इसीलिये कृपानिधि उसे दूर कर देते हैं; क्योंकि सेवक पर उनकी बहुत ही अधिक ममता है। हे गोसाईं ! जैसे बच्चे के शरीर में फोड़ा हो जाता है, तो माता उसे कठोर हृदय की भाँति चिरा डालती है ॥ ४ ॥ *दोहा* *जदपि प्रथम दुख पावइ रोवइ बाल अधीर। ब्याधि नास हित जननी गनति न सो सिसु पीर ॥ ७४ (क) ॥* यद्यपि बच्चा पहले (फोड़ा चिराते समय) दुःख पाता है और अधीर होकर रोता है, तो भी रोग के नाश के लिये माता बच्चे की उस पीड़ा को कुछ भी नहीं गिनती (उसकी परवा नहीं करती और फोड़े को चिरवा ही डालती है) ॥ ७४ (क) ॥ *तिमि रघुपति निज दास कर हरहिं मान हित लागि।तुलसिदास ऐसे प्रभुहि कस न भजहु भ्रम त्यागि ॥ ७४ (ख) ॥* उसी प्रकार श्रीरघुनाथजी अपने दास का अभिमान उसके हित के लिये हर लेते हैं। तुलसीदासजी कहते हैं कि ऐसे प्रभु को भ्रम त्यागकर क्यों नहीं भजते ॥ ७४ (ख) ॥ 🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏🚩⛳ *समिति के सभी संदेश नियमित पढ़ने हेतु निम्न व्हाट्सएप चैनल को फॉलो किजिए ॥🙏🚩⛳* https://whatsapp.com/channel/0029VatGCilKQuJTWdCATe0t ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* पुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ । जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ॥ *बाबा महाकाल जी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*

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