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June 19, 2025 at 01:47 AM
*"रामेश्वरम से राष्ट्रपति भवन तक: एक सपना जो आसमान छू गया"* 🇮🇳
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनगाथा एक प्रेरणादायक कहानी के रूप में
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समुद्र की लहरों से गूंजते एक शांत छोटे-से गाँव रामेश्वरम में, 15 अक्टूबर 1931 को एक बालक ने जन्म लिया। नाम था — अबुल पक़ीर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम। उसके घर में संपत्ति तो नहीं थी, लेकिन संस्कारों और सपनों की भरमार थी। पिता नाविक, मां ममतामयी — और उस छोटे से घर में पल रहा था एक ऐसा सपना, जो भारत का चेहरा बदल देगा।
🌅 सपनों की पहली उड़ान
बचपन में ही संघर्ष उनके दोस्त बन गए। दिन में स्कूल, और सुबह-सुबह अख़बार बांटने का काम — ताकि घर का खर्च चल सके। लेकिन उनकी आंखों में था एक अलग तेज — वह तेज जो उन्हें आसमान छूने के लिए बेचैन करता। विज्ञान, आकाशगंगा, और उड़ते पक्षी उन्हें मोहित करते थे। वे जानते थे — रामेश्वरम की गलियाँ उनकी मंज़िल नहीं, बस शुरुआती राहें हैं।
📘 ज्ञान की राह में बहन का बलिदान
MIT (मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में पढ़ाई आसान नहीं थी। फीस की तंगी ने कई बार रुकावट डाली, लेकिन उनकी बहन जीनत ने अपने गहने गिरवी रखकर भाई को उड़ान दी — एक ऐसा बलिदान जिसे कलाम ने जिंदगी भर अपने दिल में सजाकर रखा।
✈️ पहला झटका, पर न टूटी उम्मीद
वायुसेना में पायलट बनने की ख्वाहिश अधूरी रह गई। वे 9वें स्थान पर थे, जबकि सीटें सिर्फ 8 थीं। यह झटका बड़ा था, पर इरादे उससे भी बड़े। उन्होंने हार नहीं मानी — रास्ता बदला, लेकिन मंज़िल नहीं।
🚀 मिशन भारत: मिसाइलों की राह
1960 में DRDO से करियर की शुरुआत, फिर ISRO में अहम भूमिका। SLV-III परियोजना का नेतृत्व करते हुए भारत का पहला उपग्रह 'रोहिणी' अंतरिक्ष में भेजा। इसके बाद "अग्नि", "पृथ्वी", "त्रिशूल" जैसी मिसाइल परियोजनाओं ने उन्हें बना दिया — भारत का 'मिसाइल मैन'।
💥 पोखरण और परमाणु शक्ति
1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण में उन्होंने निर्णायक भूमिका निभाई। भारत की वैज्ञानिक ताकत को दुनिया के सामने लाने में वे सबसे आगे थे। अब वे सिर्फ वैज्ञानिक नहीं, राष्ट्र निर्माता बन चुके थे।
🏛️ जनता का राष्ट्रपति
2002 में जब भारत ने राष्ट्रपति चुना, तो दलों के पार एक नाम पर सहमति बनी — डॉ. कलाम। न कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि, न कोई सत्ता की भूख — सिर्फ ज्ञान, सरलता और देश के लिए समर्पण। उन्होंने 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला और उसे एक प्रेरणा स्थल बना दिया।
👦 हर दिल अज़ीज़ – बच्चों और युवाओं के मार्गदर्शक
कलाम जहाँ भी जाते, बच्चों से मिलते, युवाओं से संवाद करते। उनकी सबसे प्रिय पंक्ति थी —
"सपने वो नहीं जो नींद में आएं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें।"
राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने बच्चों के लिए पुस्तकालय शुरू किए, विज्ञान प्रदर्शनियाँ लगाईं, और शिक्षा को अपना सबसे बड़ा मिशन बनाया।
👨🏫 अंत तक शिक्षक ही रहे
राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी वे एक शिक्षक ही रहे। उन्होंने कहा —
"अगर मैं कुछ बनना चाहता हूँ, तो सिर्फ एक शिक्षक बनना चाहता हूँ।"
27 जुलाई 2015 को IIM शिलॉंग में व्याख्यान देते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनके अंतिम शब्द थे —
“Funny guy… are you doing well?”
एक छात्र से बातचीत के दौरान। यह दिखाता है कि वे अंतिम सांस तक भी सीखाना और मुस्कुराना नहीं भूले।
🌟 एक चलता-फिरता सपना
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन हमें यह सिखाता है कि मंज़िल कितनी भी ऊँची हो, अगर इरादे मजबूत हों, तो रास्ता खुद बन जाता है।
उन्होंने हमें केवल मिसाइलें नहीं दीं —
उन्होंने हमें उड़ने के सपने दिए।
आज भी उनकी मुस्कान, उनके शब्द, और उनका जीवन भारत के हर युवा के दिल में जिंदा प्रेरणा की तरह धड़कता है।
🕊️ "छोटे गाँव से निकला एक लड़का, जो सपनों को ऊंचाई देने आया था — और पूरा देश उसका आकाश बन गया।"