
Dr. Dilip Kumar Pareek
May 23, 2025 at 04:38 AM
1997 में दसवीं हुई.....
मैं रैवासा धाम में वेद विद्यालय में पढ़ा करता था। सुबह-शाम वेद पढ़ना, दिन में स्कूली शिक्षा। गणित और विज्ञान वे दुरूह विषय थे जो हमें अब तक समझ नहीं आए। खासकर बीजगणित.... ना बीज पकड़ में आते, ना शाखाएं, ना जड़....।
परीक्षा के दिनों में जब मैंने वेद पढ़ने को स्थगित किया तब मेरी शिकायत महाराज श्री से हुई और लगभग उसी समय उन्होंने मुझे 'नेता' उपनाम दिया।
खैर.... रिजल्ट आया, अखबार में छपा।
चूंकि मैं खेत में गाँव से 3 किलोमीटर दूर रहता था तो रोल नम्बर गाँव में दे रखे थे।
रूपेश Rupesh Pareek ( नानू ) 3 किलोमीटर पैदल चलकर खेत पहुँचा और बताया कि मैं प्रथम श्रेणी से पास हो गया। खुशियाँ परवान पर थी।
मैं क्लास में थर्ड-फ़र्ड था।
मोहम्मद अलीम Abdul Alim हमेशा की तरफ अव्वल था। हम दोनों जिगरी रहे और समय मिलने पर मंदिर में घूमा करते थे। तब से मैं इससे नहीं मिल पाया पर हम कॉन्टेक्ट में हैं।
प्रदीप जैन Pradeep Jain 2nd रहा। आजकल सीकर में डेंटिस्ट है। हालिया हम वापस जुड़े हैं। जैन जिस सलीके से स्कूल आता था वो देखने लायक था।
तो आखिरकार 62% की महान उपलब्धि से हमने कक्षा 10 की वैतरणी पार की।

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