Dr. Dilip Kumar Pareek
Dr. Dilip Kumar Pareek
May 26, 2025 at 07:59 AM
मैंने जीवन में असीम खुशियाँ है मेरे हिस्से एक गाँव है कुछ पेड़ हैं साफ आसमान है और पीने को पानी है अभी मुझ पर माँ बाबूजी जी का हाथ है भाई है उसका साथ है और रहने को मकान है मुझे नींद आती है पेट छोटा है आँखें साफ देख लेती हैं हाथ काम करते हैं और मैं आराम से चल पाता हूँ मेरी एक अलमीरा है उसमें किताबें हैं मैं पढ़ पाता हूँ मैं लिख भी लेता हूँ और मुझे बातें समझ आती हैं मैं अनुभूत करता हूँ आनन्दित हो उठता हूँ आँसूं बहा देता हूँ पोंछ कर खड़ा हो जाता हूँ और मेरा हृदय अभी भी धड़कता है कुल मिलाकर मैं मजे में हूँ। डॉ. दिलीप कुमार पारीक
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