
Dr. Dilip Kumar Pareek
May 28, 2025 at 05:18 AM
मैं हमेशा अपने आस-पास रहना पसंद करता हूँ
इससे हम खुद को देख पाते हैं
खुद से बात कर सकते हैं
खुद को समझ पाते हैं
खुद को मान पाते हैं
मैं जब भी उदास होता हूँ
मैं खुद के और नजदीक आ खुद को समझाता हूँ
मेरी आँखें मुझे निहारती हैं
मेरे हाथ मेरे बाल ठीक करते हुए
मेरे सर पर स्नेहसिक्त हाथ फेरते हैं
मेरे आँसू मेरे द्वारा ही पोंछे जाते हैं
जब भी मैं खुश होता हूँ
मैं अपनी बातों की चाशनी से मीठा हो जाता हूँ
मेरे गालों पर सुरमई लाल रंग छा जाता है
मैं अपने गीत गा उठता हूँ
और मैं यकीनन मेरे साथ
नाच उठता हूँ .....
डॉ. दिलीप कुमार पारीक

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