
The Narrative
June 20, 2025 at 02:03 AM
*रामानुजाचार्य जी का मूल शरीर, तिरुचिरापल्ली*
विशिष्टाद्वैत मत के प्रतिपादक रामानुजाचार्य को भी जगदगुरु शंकराचार्य और गुरु माधवाचार्य के समान ही आदर एवं सम्मान दिया जाता है.
तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में अवस्थित श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर में आज भी उनका मूल शरीर स्थित है.
वर्ष 1137 ईसवी में ब्रह्मलीन हुए श्री रामानुजाचार्य जी का मूल शरीर आज भी 850 वर्षों के बाद उपदेश मुद्रा में रखा हुआ है.
केवल कपूर, चंदन एवं केसर के मिश्रण को नियमित अंतराल में रामानुजाचार्य जी के शरीर पर लगाया जाता है.
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