AAO APNI ISLAAH KAREN [JRM]
AAO APNI ISLAAH KAREN [JRM]
June 21, 2025 at 06:48 AM
*_✿ दुश्माने इस्लाम से दोस्ती✿_* दुश्माने इस्लाम यानी काफिरों, मुशरिक़ो, मुर्तदों और बद मजहबों से दोस्ती करना और उनसे मेल-जोल और मुहब्बत रखना हराम व गुनाह और जहन्नम में जाने का काम है। इस बारे में क़ुर्आन मजीद की बहुत सी आयतें नाज़िल हुईं और रसूल अल्लाह ﷺ ने अपनी मुक़द्दस हदीसों में बड़ी सख़्ती के साथ उसकी मुमानात फ़रमाई है। चुनान्चे क़ुर्आन मजीद की मुंदरिजा जे़ल चंद आयतों को बगौर पढ़िए और इनसे हिदायत का नूर हासिल कीजिए ↷ *✿لَا یَتَّخِذِ الْمُؤْمِنُوْنَ الْكٰفِرِیْنَ اَوْلِیَآءَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِیْنَۚ-وَ مَنْ یَّفْعَلْ ذٰلِكَ فَلَیْسَ مِنَ اللّٰهِ فِیْ شَیْءٍ۝* ↶ *_♲︎︎︎तर्जुमा कन्ज़ुल ईमान♲︎︎︎_* मुसलमान काफिरों को अपना दोस्त न बना लेें मुसलमानों के सिवा और जो ऐसा करेगा उसे अल्लाह से कुछ एलाक़ा न रहा। *【पारा 𝟑 सूरे आले इमरान, आयत:𝟐𝟖】* दूसरी आयत में इरशाद फ़रमाया↷ *✿یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوْا بِطَانَةً مِّنْ دُوْنِكُمْ لَا یَاْلُوْنَكُمْ خَبَالًاؕ-وَدُّوْا مَا عَنِتُّمْۚ-قَدْ بَدَتِ الْبَغْضَآءُ مِنْ اَفْوَاهِهِمْ ﭕ وَ مَا تُخْفِیْ صُدُوْرُهُمْ اَكْبَرُؕ۝* ↶ *_♲︎︎︎तर्जुमा कन्ज़ुल ईमान♲︎︎︎_* ऐ ईमान वालो गैरो को अपना राज़दार न बनाओ वह तुम्हारी बुराई में गई ❪कमी❫ नहीं करते उनकी आरज़ू है जितनी ईजा़ तुम्हें पहुँचे बैर उनकी बातों से झलक उठा और वह जो सीने में छुपाए हैं और बड़ा है। *【पारा 𝟒 सूरे आले इमरान, आयत:𝟏𝟏𝟖】* एक दूसरी आयत में यूं इरशाद फ़रमाया ↷ *✿ یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوا الَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا دِیْنَكُمْ هُزُوًا وَّ لَعِبًا مِّنَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَ الْكُفَّارَ اَوْلِیَآءَۚ ۝* ↶ *_♲︎︎︎तर्जुमा कन्ज़ुल ईमान♲︎︎︎_* ऐ ईमान वालो जिन्होंने तुम्हारे दीन को हँसी खेल बना लिया है जो तुमसे पहले किताब दिए गए और काफिरों इनमें से किसी को अपना दोस्त ना बनाओ। *【पारा 𝟔 सूरे माइदा, आयत: 𝟓𝟕】* *✿ وَ قَدْ نَزَّلَ عَلَیْكُمْ فِی الْكِتٰبِ اَنْ اِذَا سَمِعْتُمْ اٰیٰتِ اللّٰهِ یُكْفَرُ بِهَا وَ یُسْتَهْزَاُ بِهَا فَلَا تَقْعُدُوْا مَعَهُمْ حَتّٰى یَخُوْضُوْا فِیْ حَدِیْثٍ غَیْرِهٖۤ ﳲ اِنَّكُمْ اِذًا مِّثْلُهُمْؕ ۝* ↶ *_♲︎︎︎तर्जुमा कन्ज़ुल ईमान♲︎︎︎_* बेशक अल्लाह तुम पर किताब में उतार चुका कि जब तुम अल्लाह की आयतों को सुनो कि उनका इंकार किया जाता और उनकी हँसी बनाई जाती है तो उन लोगों के साथ न बैठो जब तक वह और बात में मशगूल न हों वर्ना तुम भी उन्हीं जैसे हो। *【पारा 𝟓 सूरे निसा, आयत: 𝟏𝟒𝟎】* इन आयतों के बाद इस मज़मून की चंद हदीसें भी पढ़ लीजिए ↷ *_❀ हदीस शरीफ़ ❀ ❪𝟏❫ ❀ ☞_* हज़रत अबु सईद रज़ियल्लाहु त'आ़ला अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने नबी ﷺ को यह फ़रमाते हुए सुना कि तुम मुसलमान के सिवा किसी और को साथी न बनाओ और परहेज़गार के सिवा तुम्हारा खाना ना खाए। *【سنن ابی داود؛ کتاب الآداب، باب من یؤمران یجالس؛ الحدیث:𝟒𝟖𝟑𝟐؛ج𝟒؛ص𝟑𝟒𝟏】* *_❀ हदीस शरीफ़ ❀ ❪𝟐❫ ❀ ☞_* हज़रत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु त'आ़ला अन्हु से रिवायत है उन्होंने कहा कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है कि आख़री ज़माने में कुछ ऐसे झूटे मक्कार लोग होंगे जो तुम्हारे पास ऐसी बाते लायेंगे कि उन बातों को ना तुमने सुना होगा ना तुम्हारे बाप दादों ने तो ऐसे लोगों से तुम अपने को और उनको अपने से बचाओ ताकि वह तुम को गुमराह ना करें और तुमको फ़ितना में ना डाल दें। *【صحیح مُسلم؛ المقدمۃ؛ باب النھی عن الروایۃ عن الضعفاء...الخ؛ الحدیث:𝟖؛ص𝟗】*
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