Islamic Theology
Islamic Theology
May 31, 2025 at 02:56 PM
📮ज़ुल-हिज्जा के पहले 10 दिनों के लिए दुआओं की फ़हरिस्त 🔲 दोनों जहानों की बेहतरीन चीज़ों के लिए दुआ رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ ऐ हमारे रब! हमें दुनिया में भलाई अता फ़रमा, और आख़िरत में भी भलाई अता फ़रमा, और हमें आग के अज़ाब से बचा। {सूरत अल-बक़रा 2: आयत 201} 🔲 परेशानी के वक़्त की दुआ (ये याद रखते हुए कि इंसान हमेशा किसी न किसी परेशानी में मुब्तला रहता है, इसलिए इस दुआ को मुस्तक़िल पढ़ना बहुत फ़ायदे मंद है।) لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ الْعَلِيمُ الْحَلِيمُ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَرَبُّ الْأَرْضِ، وَرَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, जो इल्म वाला है, बुर्दबारी वाला है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं जो अज़ीम अर्श का रब है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं जो आसमानों, ज़मीन और इज़्ज़त वाले अर्श का रब है। {सहीह अल-बुख़ारी} 🔲 बीवी और औलाद के लिए दुआ رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ أَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّاتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ إِمَامًا ऐ हमारे रब! हमें हमारी बीवियों और औलाद से आंखों की ठंडक अता फ़रमा, और हमें परहेज़गारों का पेशवा बना। {सूरत अल-फुरकान 25: आयत 74} 🔲 मग़फ़िरत और ख़ूबसूरत अंजाम के लिए दुआ رَبَّنَا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّئَاتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ الْأَبْرَارِ ऐ हमारे रब! हमारे गुनाह माफ़ फ़रमा दे, हमारी बुराइयाँ हमसे दूर कर दे, और हमें नेक लोगों के साथ वफ़ात दे। {सूरत आल-इ-इमरान 3: आयत 193} 🔲 क़र्ज़, ज़ुल्म और ग़म से बचाव के लिए दुआ اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الْهَمِّ وَالْحَزَنِ، وَالْعَجْزِ وَالْكَسَلِ، وَالْبُخْلِ، وَضَلَعِ الدَّيْنِ، وَقَهْرِ الرِّجَالِ ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता हूँ ग़म और फ़िक्र से, आजिज़ी और सुस्ती से, बुख़्ल से, क़र्ज़ के बोझ से और लोगों के ग़ालिब आने से। {तिर्मिज़ी} 🔲 हिदायत और नुक़सान से हिफ़ाज़त के लिए दुआ اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي، وَارْحَمْنِي، وَاهْدِنِي، وَعَافِنِي، وَارْزُقْنِي ऐ अल्लाह! मुझे बख़्श दे, मुझ पर रहम फ़रमा, मुझे हिदायत दे, मुझे आफ़ियत दे, और मुझे रिज़्क़ अता फ़रमा। {सहीह मुस्लिम} 🔲 बेहतरीन किरदार की हिदायत के लिए दुआ إِنَّ صَلَاتِي وَنُسُكِي وَمَحْيَايَ وَمَمَاتِي لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ، لَا شَرِيكَ لَهُ، وَبِذَلِكَ أُمِرْتُ، وَأَنَا مِنَ الْمُسْلِمِينَ اللَّهُمَّ اهْدِنِي لِأَحْسَنِ الْأَعْمَالِ وَأَحْسَنِ الْأَخْلَاقِ، لَا يَهْدِي لِأَحْسَنِهَا إِلَّا أَنْتَ، وَقِنِي سَيِّئَ الْأَعْمَالِ وَسَيِّئَ الْأَخْلَاقِ، لَا يَقِي سَيِّئَهَا إِلَّا أَنْتَ बेशक मेरी नमाज़, मेरी क़ुर्बानी, मेरी ज़िंदगी और मेरी मौत अल्लाह के लिए है जो तमाम जहानों का रब है। उसका कोई शरीक नहीं। और इसी बात का मुझे हुक्म दिया गया है और मैं मुसलमानों में से हूँ। ऐ अल्लाह! मुझे बेहतरीन आमाल और बेहतरीन अख़्लाक़ की हिदायत दे, उनकी हिदायत सिर्फ़ तू ही दे सकता है। और मुझे बुरे आमाल और बुरे अख़्लाक़ से बचा, उनसे सिर्फ़ तू ही बचा सकता है। {सुन्नन अन-नसाई} 🔲 सलामती और आफ़ियत के लिए दुआ اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الْهُدَى، وَالتُّقَى، وَالْعَفَافَ، وَالْغِنَى ऐ अल्लाह! मैं तुझ से हिदायत, परहेज़गारी, पाकदामनी, और किफ़ायत तलब करता हूँ। {सहीह मुस्लिम} 🔲 जहन्नम से बचाव के लिए दुआ رَبَّنَا اصْرِفْ عَنَّا عَذَابَ جَهَنَّمَ، إِنَّ عَذَابَهَا كَانَ غَرَامًا، إِنَّهَا سَاءَتْ مُسْتَقَرًّا وَمُقَامًا ऐ हमारे रब! हम से जहन्नम का अज़ाब दूर फ़रमा। बेशक उसका अज़ाब हमेशा के लिए चिमटा रहने वाला है। यक़ीनन वो बहुत ही बुरा ठिकाना और रहने की जगह है। {सूरत अल-फ़ुरकान 25: आयात 65-66} 🔲 अपने गुनाहों का इक़रार करने वाली दुआ – हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की दुआ अगर आपको मालूम हो जाए कि इस आयत के बाद कौन सी आयत आती है, तो आप यह दुआ पढ़ना कभी न छोड़ें! सुब्हान अल्लाह। अल्लाह हमारी दुआएं ऐसे ही क़बूल फ़रमाए जैसे उसने हमारे प्यारे नबी यूनुस अलैहिस्सलाम की दुआ को क़बूल फ़रमाया। لَا إِلَهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ [तेरे सिवा कोई माबूद नहीं (ऐ अल्लाह), तू पाक है, बेशक मैं ही ज़ालिमों में से था] {सूरतुल अंबिया 21: आयत 87} अगली आयत – فَاسْتَجَبْنَا لَهُ وَنَجَّيْنَاهُ مِنَ الْغَمِّ ۚ وَكَذَٰلِكَ نُنجِي الْمُؤْمِنِينَ पस हमने उसकी दुआ क़बूल की और उसे ग़म से नजात दी, और हम मोमिनों को इसी तरह नजात देते हैं। {सूरतुल अंबिया 21: आयत 88} अल्लाह हमें उन मोमिनों में शामिल फ़रमाए जिन्हें वह नजात देता है! आमीन। रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: "क्या मैं तुम्हें एक ऐसी बात न बता दूँ कि अगर तुम में से किसी को कोई दुनियावी मुसीबत या आफ़त आ जाए और वह यह कलिमात कहे, तो अल्लाह उसे उस से नजात देगा? वह ज़ुन्नून (यूनुस) की दुआ है: 'لَا إِلَهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ' (तेरे सिवा कोई माबूद नहीं, तू पाक है, बेशक मैं ही ज़ालिमों में से था)" एक और रिवायत में है: "कोई भी मुस्लिम शख़्स यह दुआ किसी भी चीज़ के बारे में नहीं माँगता, मगर अल्लाह उसकी दुआ क़बूल फ़रमाता है।" {सहीहुल जामिअस्सग़ीर व ज़ियादतहू, हदीस नंबर 2065} 🔲 ज़ालिम से हिफ़ाज़त या मुकम्मल बेबसी की हालत में दुआ – हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की दुआ رَبِّ إِنِّي مَغْلُوبٌ فَانْتَصِرْ बेशक मैं मग़लूब हूँ, तू मेरी मदद फ़रमा। {सूरह क़मर 54: आयत 10} 🔲 अपने मामलात अल्लाह के सुपुर्द करने और बेहतरीन फ़ैसले की दुआ – हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दुआ حَسْبُنَا اللَّهُ وَنِعْمَ الْوَكِيلُ अल्लाह हमारे लिए काफ़ी है, और वही बेहतरीन कारसाज़ है। {सूरह आले इमरान 3: आयत 173} 🔲 मुलाज़मत की पक्की जगह + निकाह के लिए दुआ – हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की दुआ मेरी सबसे पसंदीदा दुआओं में से एक। इसी दुआ के ज़रिए हज़रत मूसा अ़लैहि-स्सलाम को 8 से 10 साल की नौकरी और निकाह मिला। رَبِّ إِنِّي لِمَا أَنزَلْتَ إِلَيَّ مِنْ خَيْرٍ فَقِيرٌ ऐ मेरे रब! जो भी भलाई तू मेरी तरफ़ नाज़िल फ़रमाए, मैं उसका मोहताज हूँ। {सूरह क़सस 28: आयत 24} 🔲 अल्लाह की रहमत तलब करने की दुआ يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ، بِرَحْمَتِكَ أَسْتَغِيثُ ऐ ज़िंदा, क़ायम रखने वाले! मैं तेरी रहमत के ज़रिए फ़रियाद करता हूँ। {तिर्मिज़ी} 🔲 अपने ग़म व दुख को अल्लाह के सुपुर्द करने की दुआ – हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम की दुआ إِنَّمَا أَشْكُو بَثِّي وَحُزْنِي إِلَى اللَّهِ मैं तो अपनी परेशानी और ग़म का शिकवा सिर्फ़ अल्लाह से करता हूँ। {सूरतु यूसुफ़ 12: आयत 86} وَأُفَوِّضُ أَمْرِي إِلَى اللَّهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ بَصِيرٌ بِالْعِبَادِ और मैं अपना मामला अल्लाह के सुपुर्द करता हूँ। बेशक अल्लाह अपने बंदों को देखने वाला है। {सूरतु ग़ाफ़िर 40: आयत 44} 🔲 जहन्नम, क़ब्र, और दज्जाल के फ़ित्ने से हिफ़ाज़त की दुआ اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ جَهَنَّمَ، وَمِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ، وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَحْيَا وَالْمَمَاتِ، وَمِنْ شَرِّ فِتْنَةِ الْمَسِيحِ الدَّجَّالِ ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह माँगता हूँ जहन्नम के अज़ाब से, क़ब्र के अज़ाब से, ज़िंदगी और मौत के फ़ित्नों से, और मसीह दज्जाल के फ़ित्ने के शर से। {सहीह मुस्लिम} 🔲 दुआ की क़बूलियत के लिए दुआ رَبَّنَا وَتَقَبَّلْ دُعَاءِ ऐ हमारे रब! हमारी दुआ क़बूल फ़रमा। {सूरतु इब्राहीम 14: आयत 40}
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