अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
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June 17, 2025 at 02:49 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०४* *_शत-शत नमन 17 जून/पुण्य-तिथि, मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महराज की माता जीजाबाई..._* https://deepawali.co.in/jijabai-biography-hindi-history.html *कहा जाता है किसी जननी ने अगर शूरवीर को जन्म दिया है तो जरुर वह जननी ख़ास होगी. शिवाजी जैसे शूरवीर को जन्म देने वाली जननी को ‘जीजाबाई’ के नाम से जाना जाता है. आज हम इस आर्टिकल में महान शूरवीर शिवाजी की माँ ‘जीजाबाई’ के जीवन के बारे में बताने जा हैं. यहाँ आप पढ़ेंगे की कैसे ‘जीजाबाई’ ने अपने जीवन में अनेक पड़ाव देखे और सब-कुछ खोने के बाद भी उन्होंने शिवाजी को इतना शौर्यवान कैसे बनाया. कैसे एक 17 साल का बच्चा बड़ी-बड़ी जंग का हिस्सा बन गया, आइये जानते है ‘जीजाबाई’ के जीवन के बारे में –* *जीजाबाई (जिजाऊ) का जन्म 12 जनवरी 1598 ई. में महाराष्ट्र के बुलढाणा में हुआ. इनके पिता लखुजी जाधव सिंदखेड नामक गाव के राजा हुआ करते थे. उन्होंने जीजाबाई का नाम उस वक्त ‘जिजाऊ’ रखा था. कहते हैं की जीजाबाई अपने पिता के पास बहुत कम रही और उनकी बहुत ही छोटी उम्र में शादी कर दी गई थी. उस वक्त बचपन में ही शादी करवा दी जाती थी.* *कहते है की जीजाबाई की मंगनी उसी वक्त तय हो गई थी उनकी उम्र जब 6 वर्ष थी. इसके साथ एक छोटा सा प्रसंग भी जुड़ा हुआ है. ‘इतिहास में लिखा है की होली का दिन था, लखुजी जाधव के घर उत्सव मनाया जा रहा था, उस वक्त मोलाजी अपने बच्चे के साथ जिसकी आयु भी करीब 7-8 वर्ष थी. उसके साथ इस उत्सव में सम्मलित हुए थे. नृत्य देखते हुए अचानक लखुजी जाधव ने जीजाबाई और मोलाजी के पुत्र शाहजी को एक साथ देखा और उनके मुख से निकला ‘वाह क्या ? जोड़ी है’. इसी बात को मोलाजी ने सुन लिया और बोले की फिर तो मंगनी पक्की होनी चाहिए.”* *मोलाजी उस वक्त सुल्तान के यहाँ सेनापति थे और लखुजी जाधव राजा होने के बाद भी सुल्तान के कहने पर उन्होंने मोलाजी के पुत्र शाहजी भोसले से अपनी पुत्री जिजाऊ यानि जीजाबाई की शादी करवा दी.* *जीजाबाई और शाहजी के विवाह के बाद जब वह बड़े हुए तब शाहजी बीजापुर दरबार में राजनयिक थे. बीजापुर के महराज ने शाहजी की मदद से अनेक युद्ध में विजय प्राप्त की, इसी ख़ुशी में बीजापुर के सुलतान ने उन्हें अनेक जागीर तोहफे में दी थी. उन्ही तोहफों में एक जागीर शिवनेरी का दुर्ग भी शामिल है. यहाँ जीजाबाई और उनके बच्चे रहा करते थे. जीजाबाई ने 6 पुत्री व दो पुत्रों को जन्म दिया था. उन्ही पुत्रों में से एक शिवाजी थे.* *शाहजी ने अपने बच्चों एंव जीजाबाई की रक्षा के लिए उन्हें शिवनेरी के दुर्ग में रखा, क्योंकि उस वक्त शाहजी को अनेक शत्रुओं का भय था. यहाँ शिवनेरी के दुर्ग में ही शिवाजी का जन्म हुआ और बताया जाता है की शिवाजी के जन्म के वक्त शाहजी जीजाबाई के पास नहीं थे. शिवाजी के जन्म के बाद शाहजी को मुस्तफाखाँ ने उन्हें बंदी बना लिया था. उसके 12 वर्ष बाद शाहजी और शिवाजी की भेंट हुई. इस बीच जीजाबाई और शाहजी का संपर्क दुबारा हुआ.* *शाहजी हमेशा अपने कार्यों में जीजाबाई की मदद लिया करते थे. जीजाबाई के बड़े पुत्र का नाम संभाजी था, बताया जाता है की संभाजी और शाहजी को अफजलखान के साथ हुए युद्ध में मारे गये थे. शाहजी की मृत्यु के बाद जीजाबाई ने पति के साथ सती होने की कोशिश की थी, पर शिवाजी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था. शिवाजी अपनी माँ को अपनी मित्र, मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत मानते थे. यही वजह है की शिवाजी बहुत कम उम्र में ही समाज एंव अपने कर्तव्यों को समझ गये थे. अपनी माँ की मार्गदिशा में उन्होंने हिन्दू साम्राज्य स्थापित करने की शुरुआत छोटी उम्र में ही कर दी थी.* *इतिहास को जितनी बार भी पढ़ा जाए तो मराठा साम्राज्य में अगर किसी का नाम सबसे पहले आता है तो वह है जीजाबाई और उनके पुत्र शिवाजी का. कहते है की शाहजी से अलग होने के बाद जीजाबाई ने शिवाजी को ऐसी शिक्षा दी कि उन्होंने मराठा साम्राज्य ही स्थापित कर दिया.* *जीजाबाई बहुत ही चतुर और बुद्धिमानी महिला थी, उन्होंने मराठा साम्राज्य के लिए अनेक ऐसे फैसले लिए जिनकी वजह से स्वराज स्थापित हुआ. एक प्रसंग मिलता है कि राज्य में महिलाओं के साथ होते अत्यचार को देखते हुए जीजाबाई ‘माँ भवानी’ के मंदिर जाती है, माँ से पुकार करती है कि स्त्रियों की इन दुर्दशा को दूर करने के लिए कोई उपाय बतायें, तो माँ खुश होकर जीजाबाई को वरदान देती है की उनके पुत्र के द्वारा अबलाओं की लाज, एंव उनपर हो रहे अत्याचारों को रोका जाएगा.* *यही वजह है कि शिवाजी हमेशा भवानी माँ को पूजते थे और अपनी माँ के द्वारा मिली शिक्षा का निर्वहन करते हुए माँ को हमेशा पूजते रहे. इतिहास में लिखा है कि शिवाजी महाराज के पास एक ऐसी तलवार थी जिसका नाम ‘भवानी’ था यह भी माँ भवानी के वरदान से प्राप्त की गई थी.* *जीजाबाई ने मराठा सम्राज्य के लिए अपने पुत्र शिवाजी को ऐसी कहानियाँ सुनाई, जिनसे उन्हें अपने धर्म और अपने कर्म का ज्ञान हुआ एंव लोगों की रक्षा कैसे करनी है इसका भी ज्ञान हुआ. यही वजह है कि शिवाजी ने 17 वर्ष की आयु में मराठा सेना का निर्माण किया और अनेक पराक्रमियों से लोहा लिया और विजय प्राप्त की. एक समय ऐसा भी आया जब जीजाबाई को शिवनेरी का दुर्ग दोबारा मिल गया था.* *जीजाबाई के संस्कारों से निर्मित हुए छत्रपति शिवाजी महाराज* *अपने जीवन की सभी परेशानियों को भूलते हुए ‘जीजाबाई’ ने अपने पुत्र शिवाजी को ऐसी शिक्षा दी, ऐसे संस्कार दिए जिनकी वजह से उनके पुत्र ने अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना शुरू किया. उन्होंने अपने धर्म के लिए लड़ना शुरू किया. यही वजह है की शिवाजी को आज बड़े ही गौरव के साथ याद किया जाता है और उन्हें ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के नाम से संबोधित किया जाता है.* *शिवाजी ने हिन्दू सम्राज्य स्थापित करने की शुरुआत की और उन्होंने अपने जीवनकाल में हिन्दू सम्राज्य को स्थापित करने में कामयाबी हासिल की और अनेक अत्याचारियों का वध किया. यह सब कुछ संभव हुआ था ‘जीजाबाई’ के संस्कारों, उनके द्वारा दी गई शिक्षा की वजह से.* *जीजाबाई पहली ऐसी महिला थी जिन्होंने दक्षिण भारत में मराठा यानि हिंदुत्व की स्थापना में योगदान दिया था. उनकी मेहनत और उनके ही संस्कारों की वजह से शिवाजी ने मराठाओं के लिए हथियार उठाया और उन्होंने हिंदुत्व की स्थापना एक बार फिर से करने में सफलता हासिल की. जीजाबाई की मृत्यु 17 जून 1674 ई. में हुई, शिवाजी ने इस समय तक मराठा साम्राज्य की स्थापना कर दी थी.* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

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