
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 18, 2025 at 03:39 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित*
*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳*
*क्रमांक~ ०५*
*_शत-शत नमन 18 जून/बलिदान-दिवस/ 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अग्रिम भूमिका निभा कर अपने प्राणों की आहुति देने वाली महान वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई..._*
https://www.amarujala.com/lifestyle/maharani-laxmi-bai-balidan-diwas-know-her-life-summary
*_महारानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा..._*
भारत के गौरवशाली इतिहास में जब-जब वीरांगनाओं का जिक्र किया जाएगा, *महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता और पराक्रम हमेशा लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे।* कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी रचना 'झांसी की रानी' में इसी पराक्रम का जिक्र करते हुए लिखा था- *''खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी।''* अंग्रेजी हुकूमत के दांत खट्टे करने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की *आज पुण्यतिथि है।* 18 जून सन् 1858 को अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई थीं। *हर साल 18 जून का दिन* रानी लक्ष्मीबाई के *बलिदान दिवस के रूप में* उनके शौर्य की याद दिलाता है।
रानी लक्ष्मीबाई ने उस दौर में अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए थे, *जब युद्ध के लिए सिर्फ पुरुषों को योग्य माना जाता था।* रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध कौशल के साथ *उनका मातृत्व धर्म भी इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।* आइए बलिदान दिवस पर 10 बिंदुओं में रानी लक्ष्मीबाई के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जानते हैं।
*जानिए रानी लक्ष्मीबाई के जीवन की महत्वपूर्ण बातें-*
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म *19 नवंबर, 1828 को वाराणसी में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।* सही जन्मतिथि अभी भी बहस का विषय है।
माता-पिता ने उनका नाम *मणिकर्णिका रखा था, लोग उन्हें प्यार से 'मनु' बुलाते थे।* सिर्फ चार साल की आयु में ही मणिकर्णिका की मां का निधन हो गया। अपने *पिता के साथ मणिकर्णिका पेशवा के पास आ गईं।* यहां पेशवा बाजीराव द्वितीय ने उन्हें अपनी पुत्री का रूप में पाला। यहां *उन्हें प्यार से लोग छबीली बुलाते थे।*
जब वह बड़ी हुईं तो उन्हें युद्ध कला जैसे *तलवार बाजी और घुड़सवारी का प्रशिक्षण दिया गया।* इस तरह के असामान्य पालन-पोषण के कारण वह अपनी उम्र की अन्य लड़कियों की तुलना में *अधिक स्वतंत्र थी।*
*14 साल की उम्र में मणिकर्णिका का विवाह झांसी के राजा गंगाधर नेवलकर से हुआ।* यहीं से उनका नाम बदलकर मणिकर्णिका से *लक्ष्मीबाई पड़ा।* कुछ वर्षों बाद लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया, *हालांकि केवल चार वर्ष की आयु में ही उसका निधन हो गया।*
इसके बाद राजा ने *दामोदर राव को दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया।* हालांकि इसके कुछ दिनों में ही राजा की मृत्यु हो गई।
अंग्रेजों ने अवसर देखकर झांसी पर हमला बोल दिया। *झांसी ने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया,* इसमें कई अंग्रेज मारे गए।
*17 जून को रानी लक्ष्मीबाई का अंतिम युद्ध शुरू हुआ।* युद्ध जब चरम पर पहुंचा, तब रानी दत्तक पुत्र को *पीठ पर बांध घोड़े की लगाम मुंह में दबाए दुश्मनों से निर्भीकता पूर्वक युद्ध करने लगीं।*
अंग्रे़जों से युद्ध करते हुए वह *सोनरेखा नाले की ओर बढ़ चलीं,* किन्तु दुर्भाग्यवश रानी का *घोड़ा इस नाले को पार नहीं कर सका।* उसी समय अंग्रेजों ने उनपर हमला कर दिया।
इसी दौरान रानी का एक सैनिक उन्हें लेकर *पास के एक सुरक्षित मंदिर में पहुंचा,* जहां पुजारी से रानी ने कहा- *मेरे बेटे दामोदर की रक्षा करना और अंग्रेजों को मेरा शरीर नहीं मिलना चाहिए।*
*इतना कहते हुए रानी ने प्राण त्याग दिए। मृत्यु के बाद वहां मौजूद रानी के अंगरक्षकों ने आनन-फानन में लकड़ियां एकत्रित कर रानी के पार्थिव शरीर को अग्नि दी।*
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