अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 18, 2025 at 05:47 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित*
*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳*
*क्रमांक~ ०७*
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*_मेरा सनातन धर्म :विश्व का सबसे श्रेष्ठ व प्राचीन धर्म...(भाग~ 3)_*
*सनातन धर्म की विशेषताएं*
*`कृण्वन्तो विश्वमार्यम’`*
*अर्थात सारी दुनिया को श्रेष्ठ, सभ्य एवं सुसंस्कृत बनाएंगे।*
*कल से आगे-----*
*प्रत्येक व्यक्ति परमात्मा की अनुपम कृति है और उसे स्वतंत्रता का अधिकार है। वह इसके लिए बाध्य नहीं है कि वह मंदिर जाए, प्रार्थना करे या समाज के किसी नियम को माने। यही कारण रहा कि हिन्दुओं में हजारों वैज्ञानिक, समाज सुधारक और दार्शनिक हुए जिन्होंने धर्म को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और जिन्होंने धर्म में बाहर से आ गई बुराइयों की समय-समय पर आलोचना भी की।*
*किसी को भी धार्मिक या सामाजिक बंधन में रखना उसकी चेतना के विस्तार को रोकना ही माना जाता है। वेद, उपनिषद और गीता के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में भगवान (ईश्वर नहीं) होने की संभावना है। भगवान बन जाना प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता है।*
*सह-अस्तित्व और स्वीकार्यता : सहिष्णुता, उदारता, मानवता और लचीलेपन की भावना से ही सह-अस्तित्व और सभी को स्वीकारने की भावना का विकास होता है।*
*सह-अस्तित्व का अर्थ है सभी के साथ समभाव और प्रेम से रहना चाहे वह किसी भी जाति, धर्म और देश से संबंध रखता हो।*
*इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं कि हिन्दुओं ने दुनिया के कई देशों से समय-समय पर सताए और भगाए गए शरणार्थियों के समूह को अपने यहां शरण दी। समंदर के किनारे होने के कारण मुंबई और कोलकाता में जितने विदेशी समुदाय आकर रहे, उतने शायद पूरे भारत में कहीं नहीं आए होंगे। दूसरी ओर अखंड भारत का एक छोर अफगानिस्तान (गांधार) भी कई विदेशियों की युद्ध और शरणस्थली था।*
*हिन्दुओं ने अपने देश में यूनानी, यहूदी, अरबी, तुर्क, ईरानी, कुर्द, पुर्तगाली, अंग्रेज आदि सभी को स्वीकार्य किया और उनको रहने के लिए जगह दी। जहां तक शक, हूण और कुषाणों का सवाल है तो यह हिन्दुओं की ही एक जाति थी। हालांकि इस पर अभी विवाद है।*
*ऐसा देखा गया है कि हिन्दुओं में ही सह-अस्तित्व की भावना खुले रूप में आज भी विद्यमान है। किसी भी स्थान या देश का व्यक्ति हिन्दुओं के बीच रहकर खुद को निर्भीक महसूस कर सकता है लेकिन इसके विपरीत ऐसा कभी संभव नहीं होता पाया गया।*
*हिन्दू जिस भी देश में गए वहां की संस्कृति और धर्म में घुल-मिल गए। हिन्दुओं ने सभी के धर्म और संस्कृति को सम्मानपूर्वक भारत में दर्जा दिया। प्राचीनकाल में जो हिन्दू भारत से बाहर चले गए थे उन्होंने अपने धर्म और संस्कृति को किसी न किसी रूप में बचाए रखा। डोम, लोहार, गुज्जर, बंजारा और टांडा जाति से संबंध रखने वाले आज यजीदी, रोमा, सिंती, जिप्सी इसका उदाहरण हैं।*
*`उदारता और सहिष्णुता`*
*सहिष्णुता का अर्थ है सहन करना और उदारता का अर्थ है खुले दिमाग और विशाल हृदय वाला। जो स्वभाव से नम्र और सुशील हो और पक्षपात या संकीर्णता का विचार छोड़कर सबके साथ खुले दिल से आत्मीयता का व्यवहार करता हो, उसे 'उदार' कहा जाता है। दूसरों के विचारों, तर्कों, भावनाओं और दुखों को समझना ही उदारता है। अनुदारता पशुवत होती है।*
*अपनी रुचि, मान्यता, इच्छा, विचार, धर्म को दूसरों पर लादना, अपने ही गज से सबको नापना, अपने ही स्वार्थ को साधते रहना ही अनुदारता है। दुनिया के दूसरे धर्मों में यह प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।*
*सहिष्णुता और उदारता हिन्दू धर्म के खून में है तभी तो पिछले सैकड़ों वर्षों से उनका खून बहाया जाता रहा है। तभी तो हिन्दुओं का धर्मांतरण किया जाता रहा है। हिन्दू धर्म में उदारता और सहिष्णुता का कारण यह है कि इस धर्म में परहित को पुण्य माना गया है। न्याय और मानवता (इंसाफ और इंसानियत) को धर्म से भी ऊंचा माना गया है। न्याय और मानवता की रक्षा के लिए सबकुछ दांव पर लगा देने के लिए हिन्दुओं को प्रेरित किया जाता रहा है।*
*यही कारण है कि इस धर्म में प्राचीनकाल से ही कभी कट्टरता नहीं रही और इस उदारता, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता की भावना के चलते ही हिन्दुओं ने कभी भी किसी दूसरे धर्म या देश पर किसी भी प्रकार का कोई आक्रमण नहीं किया। इसका परिणाम यह रहा कि आक्रांताओं ने समय-समय पर गुलाम बनाकर हिन्दुओं को धर्म, जाति और पंथों में बांट दिया, उनका कत्लेआम किया गया और उन्हें उनकी ही भूमि से बेदखल कर दिया गया।*
*कल भी जारी रहेगा - - -*
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