
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 19, 2025 at 02:07 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित*
*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳*
*क्रमांक~ ०४*
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*_शत-शत नमन 19 जून/जन्म-दिवस, राष्ट्रभाषा हिंदी के उन्नायक, प्रखर चिंतक, स्वतंत्रता सेनानी और सार्वजनिक कार्यों के लिए समर्पित कार्यकर्ता पंडित माधवराव सप्रे..._*
पंडित माधवराव सप्रे का जन्म 19 जून, 1871 में *ग्राम पथरिया, दमोह में हुआ था।* उनके पिता का नाम *श्री कोंडेश्वर राव एवं माता का नाम श्रीमती लक्ष्मीबाई था।* उनके पिता बिलासपुर में निवास करने लगे उसके पश्चात् रायपुर आ गए। यहां पर ही सप्रे जी ने अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण की थी। *नागपुर से बी.ए. करने के पश्चात् सप्रे जी वहीं के देशसेवक प्रेस में कार्य करने लगे।* यहीं से उनका सार्वजनिक जीवन प्रारंभ हो गया था। उनका हिंदी भाषा के प्रति प्रेम एवं समाचार पत्र प्रकाशन एवं संपादन का ज्ञान मध्य प्रांत में राष्ट्रीय *सामाजिक चेतना जागृत करने में सहयोगी साबित हुआ।*
सप्रे जी छत्तीसगढ़ के पेंड्रा जमींदारी के राजकुमार के शिक्षक नियुक्त हुए। यहां रहते हुए उन्होंने अपने मित्र एवं सहयोगी *श्री वामनराव लाखे एवं श्री रामराव चिंचोलकर के साथ मिलकर 2 जनवरी, 1900 से एक मासिक समाचार पत्र ‘‘छत्तीसगढ़ मित्र’’ का प्रकाशन किया* किंतु यह पत्र अर्थाभाव में तीन वर्ष पूर्ण होने के पूर्व बंद हो गया। इस समाचार पत्र में महिलाओं की दशा एवं शिक्षा के विकास पर लेख छाप कर *सामाजिक जागरूकता का प्रसार किया।* इसके पश्चात् सन् 1906 में हिंदी ग्रंथमाला प्रारंभ कर स्वदेशी बायकाट जैसे राष्ट्रीय विषयों पर लेख प्रकाशित किए। सन् 1905 के कांग्रेस के *बनारस अधिवेशन में सप्रे जी के बाल गंगाधर तिलक से मुलाकात हुई वहां उन्होंने उनके मराठी समाचार पत्र ‘‘केसरी’’ का हिंदी अनुवाद कर आधारित समाचार पत्र प्रकाशित करने की अनुमति प्राप्त कर ली थी।* तिलक के विचारों द्वारा राष्ट्रीय चेतना का विकास तीव्र गति से होगा । इसी विचार से उन्होंने नागपुर के *देशसेवक प्रेस खरीदकर ‘‘हिंदी केसरी’’ नामक साप्ताहिक समाचार पत्र 13 अप्रैल, 1907 से निकालना आरंभ किया।* इस पत्र ने मध्यप्रांत में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त की। इसके ग्राहकों की संख्या 3000 से अधिक हो गई थी। किंतु उसमें छपे दो लेखों को *शासन ने राजद्रोह मानते हुए 21 अगस्त, 1908 को गिरफ्तार कर लिया।* परिवारिक दबाव के कारण उन्हें अपनी गलती स्वीकार करते हुए प्रेस बंद करना पड़ा किंतु उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरूद्व संघर्ष जारी रखा।
*उन्होंने ‘दासबोध’ का हिंदी में अनुवाद किया और सन् 1913 में रायपुर में एक कन्या शाला प्रारंभ की।* अगस्त 1920 में तिलक स्वराज कोष के लिए पूरे प्रांत में घूम-घूम कर चंदा एकत्र किया। सन् 1921 में *संपन्न वर्ग से तत्काल दस हजार रूपये एकत्र कर राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना करने में मुख्य भूमिका निभाई।* सन् 1920 में ही हिंदी के समाचार पत्र *‘कर्मवीर’ का प्रकाशन उनके ही प्रयत्न से हुआ था। 23 अप्रैल, 1926 को सप्रे जी का देहावसान हो गया।*
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