अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 19, 2025 at 07:04 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०८* https://photos.app.goo.gl/gvNo9q5vGJRqvyMF8 🇮🇳✊🏻 *_शत-शत नमन 19 जून/प्रेरक-प्रसंग, नालंदा में नवजागरण का शंखनाद।_* *किसी समय नालंदा वि.वि. दुनिया भर में विख्यात था।* दूर-दूर से छात्र यहां पढ़ने आते थे; पर फिर *हमलावरों ने इसे नष्ट कर दिया।* 2016 में नालंदा के खंडहरों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। *19 जून, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नालंदा के पुनर्निमित भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आग पुस्तकों को जला सकती हैं; पर ज्ञान को नहीं।* ऐसा लगा मानो सदियों की धूल झाड़कर देश के गौरवशाली इतिहास ने फिर करवट ली है। एक समय लाल पत्थरों से निर्मित नालंदा महाविहार के भवन में *10,000 छात्र रहते और पढ़ते थे।* उन्हें 1,500 अध्यापक पढ़ाते थे। *यह स्थान पटना से 90 कि.मी दूर है।* किसी समय यहां के एक सेठ ने गौतम बुद्ध को अपना आम्रवन दान में दिया था। *बौद्ध भिक्षुओं और उपासकों के लिए यहां एक चैत्य बनाया गया।* फिर गुप्त शासकों ने इसका विकास शिक्षा के बड़े केन्द्र के रूप में किया। सुचारू व्यवस्था के लिए अनेक गांव इससे सम्बद्ध कर दियेे। *उनसे कर के रूप में धन तथा खाद्य सामग्री आती थी। ह्वेनसांग, इत्सिंग आदि अनेक विदेशी इतिहासकारों ने अपने यात्रा वृत्तांत में इसकी भरपूर प्रशंसा की है।* नालंदा महाविहार में प्रवेश जाति, वर्ण, समुदाय या क्षेत्र की बजाय द्वारपंडित द्वारा ली गयी *मौखिक परीक्षा के आधार पर होता था।* 90 लाख हस्तलिखित ग्रंथों वाले पुस्तकालय को *‘धर्मगंज’ कहते थे।* इसके रत्नसागर, रत्नोदधि तथा रत्नरंजन नामक तीन भाग थे। *रत्नसागर का भवन नौमंजिला था।* बख्तियार खिलजी ने जब इसे जलाया, तो ये लगभग *छह महीने तक जलते रहे।* नालंदा महाविहार मुख्यतया बौद्ध धर्म के महायान दर्शन का केन्द्र था; *पर यहां वेद, वेदांत, धर्मशास्त्र, पुराण, ज्योतिष, चिकित्सा, सांख्यदर्शन आदि सभी प्रमुख विषय पढ़ाये जाते थे।* तत्कालीन संघस्थविर शीलभद्र योगशास्त्र के प्रकांड विद्वान थे। *उन्होंने ह्वेनसांग को दंडनीति तथा पाणिनीय व्याकरण पढ़ाया था।* नालंदा की एक बड़ी देन भारतीय न्यायशास्त्र तथा प्रमाणशास्त्र का विकास है। *यहां के धर्मपाल, चंद्रपाल, गुणमति, स्थितमति, बुद्धभद्र, देवविद आदि आचार्यों का उल्लेख ह्वेनसांग ने भी किया है।* अनेक देश एवं राजा अपने लोगों को यहां पढ़ने भेजते थे। यहां के स्नातकों को बहुत सम्मान मिलता था। *नालंदा महाविहार कई बार नष्ट हुआ।* कई बार इसे धन के लिए लूटा गया। एक बार यहां आग भी लगी; पर कुछ ही समय बाद यह फिर से खड़ा हो गया; *लेकिन 12वीं सदी में मुहम्मद गोरी के सेनापति इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के हमले में यह पूरी तरह नष्ट हो गया।* अधिकांश बौद्ध भिक्षु एवं विद्वान मार दिये गये। यहां स्थित बुद्ध प्रतिमा को एक दीवार के पीछे छिपाकर शेष जंगलों में जा छिपे। *कुछ समय बाद 90 वर्षीय आचार्य राहुल शीलभद्र एवं चार अध्यापकों ने फिर से 70 छात्रों को पढ़ाना शुरू किया।* लेकिन फिर बौद्ध धर्म क्रमशः ढलने लगा। *अतः अगली सात शताब्दी तक नालंदा गुमनामी में डूबा रहा।* इसके खंडहर मिट्टी के टीले बन गये। 19वीं सदी में *फ्रांसिस बुकानन हैमिल्टन, मेजर मार्खम किट्टो तथा सर अलेक्जेंडर कनिंघम आदि इतिहासकार एवं पुरातत्ववेत्ताओं ने इसकी खोज की।* तब यह फिर से चर्चा में आया। आजादी के बाद बिहार *सरकार ने 1951 में ‘नवनालंदा महाविहार’ की स्थापना कर पालि, इतिहास, बौद्ध दर्शन आदि की पढ़ाई शुरू की।* 28 मार्च, 2006 को तत्कालीन *राष्ट्रपति डा. कलाम ने बिहार विधानसदन के संयुक्त सत्र में इसके पुनरुद्धार का प्रस्ताव रखा।* 2010 में संसद के दोनों सदनों तथा राष्ट्रपति की सहमति से नालंदा वि.वि. अधिनियम बना। *भारत के राष्ट्रपति इसके कुलाध्यक्ष होते हैं।* 2014 से यहां प्रवेश और पढ़ाई शुरू हो गयी। नरेन्द्र मोदी द्वारा 19 जून, 2024 को नये भवन के *उद्घाटन से नालंदा में नवजागरण का जो शंखनाद हुआ है, उसकी गूंज दूर तक सुनाई देगी।* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

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