अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 20, 2025 at 07:03 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०८* जस्टिस यशवंत वर्मा `अब तो पद छोड़ें—` अपने सरकारी आवास में बड़ी संख्या में अधजले नोट मिलने से कठघरे में खड़े उच्च न्यायालय के जज यशवंत वर्मा की जांच करने वाली सुप्रीम कोर्ट समिति की रिपोर्ट के ऐसे निष्कर्ष बहुत ही गंभीर हैं *कि उनका कदाचार साबित हो रहा है* और वे पद पर रहने के योग्य नहीं *इस रिपोर्ट में उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की संस्तुति भी की गई है*। ऐसी सिफारिश सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कर दी थी और उसके आधार पर सरकार यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी भी कर रही है *पर उच्चतर न्यायपालिका के जजों के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया लंबी चलती है* महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों से पारित कराना पड़ता है। आज तक हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित नहीं हो सका क्योंकि कभी क्षेत्रवाद, जातिवाद की संकीर्ण राजनीति आड़े आ गई और कभी पक्ष-विपक्ष में सहमति ही नहीं बन पाई *पता नहीं इस बार क्या होगा?* कहीं जांच समिति की रिपोर्ट का लीक होना मुद्दा न बन जाए *जो भी हो* न्यायपालिका की छवि के लिए बेहतर यही होगा कि यशवंत वर्मा स्वतः त्यागपत्र दे दें। अधजले नोट कांड के बाद जज यशवंत वर्मा को दिल्ली से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजकर उन्हें न्यायिक कामकाज से विरत कर दिया गया था *सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर इसलिए सवाल उठे थे* क्योंकि उनके खिलाफ जांच के लिए तीन जजों की एक समिति तो बना दी गई थी लेकिन मामले की छानबीन करने के लिए दिल्ली पुलिस को नहीं कहा गया था *आखिर क्यों??* क्या इसलिए कि यशवंत वर्मा उच्च न्यायालय के जज हैं? क्या उच्चतर न्यायालयों के जज कानून से परे होते हैं? *यह प्रश्न आज भी है कि आखिर ऐसे जजों पर लगे कदाचार के गंभीर आरोपों की जांच पुलिस को क्यों नहीं करनी चाहिए??* यह सही है कि विशेषाधिकार के चलते उच्चतर न्यायपालिका के जजों पर लगे गंभीर आरोपों की जांच पुलिस सीधे नहीं कर सकती *और उसे सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेनी होती है* लेकिन यशवंत वर्मा के मामले में तो जांच रिपोर्ट मिल जाने के बाद भी शीर्ष अदालत ने पुलिस को जांच के कोई निर्देश नहीं दिए थे *बात केवल यशवंत वर्मा की ही नहीं है*। *आशंका है कि उनके जैसे कुछ और जज भी हो सकते हैं* इसका कारण यह है कि रह-रहकर उच्चतर न्यायालय के जजों के आचरण को लेकर भी सवाल उठते रहते हैं *ऐसे कुछ जजों को त्यागपत्र देने के लिए कहा गया* कुछ ने विपरीत हालात देखकर त्यागपत्र दे दिया *लेकिन कुछ ने नहीं दिया* या *पद छोड़ने में देर देर की* यह सच स्वीकार करने में संकोच नहीं किया जाना चाहिए *कि उच्चतर न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है*। https://www.jagran.com •~•~•~•~•~•~•~•~•~•~• 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

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