
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 21, 2025 at 04:18 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित*
*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳*
*क्रमांक~ ०५*
*_शत-शत नमन 21 जून/पुण्य-तिथि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक, चिकित्सक एवं महान क्रांतिकारी केशव बलिराम हेडगेवार..._*
https://hindijeevani.com/keshav-baliram-hedgewar-biography/
*केशव बलिराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना की।* उनका मानना था कि भारत की स्वतंत्रता और प्रगति के लिए *समाज को संगठित और अनुशासित करना जरूरी है।* उन्होंने RSS को एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन के रूप में शुरू किया, *जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना और राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना था।*
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार भारत के एक *महान स्वतंत्रता सेनानी, चिकित्सक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक थे।* उनका जीवन राष्ट्रभक्ति, संगठन कौशल और समाज सेवा का प्रतीक है। इस लेख में हम केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन, उनके करियर, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
*`केशव बलिराम हेडगेवार का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा–`*
*केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर, महाराष्ट्र में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता बलिराम पंत हेडगेवार और माता रेवती बाई थीं।* ये बचपन से ही तेज-तर्रार और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे। *उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी, लेकिन शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाता था।*
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा *नागपुर के नील सिटी स्कूल में पूरी की।* 1905 में जब बंगाल विभाजन के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ, *तब केशव बलिराम हेडगेवार ने विद्यार्थी जीवन में ही स्वदेशी आंदोलन में हिस्सा लिया।* उनकी देशभक्ति की भावना इतनी प्रबल थी कि *उन्होंने स्कूल में अंग्रेजी शासन के खिलाफ नारे लगाए,* जिसके कारण उन्हें स्कूल से निष्कासित कर दिया गया।
बाद में उन्होंने कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया *और 1916 में चिकित्सा की डिग्री हासिल की।* कोलकाता में रहते हुए वे *क्रांतिकारी संगठनों, जैसे अनुशीलन समिति और युगांतर के संपर्क में आए।* इन संगठनों ने उनकी राष्ट्रीय चेतना को और मजबूत किया।
*`केशव बलिराम हेडगेवार का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान–`*
केशव बलिराम हेडगेवार ने स्वतंत्रता संग्राम में *सक्रिय भूमिका निभाई।* कोलकाता में क्रांतिकारी गतिविधियों के बाद, वे नागपुर लौटे और *भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए।* उन्होंने 1920 के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और नागपुर में कांग्रेस के सत्रों का आयोजन किया। *उन्होंने जंगल सत्याग्रह (1922) में भी भाग लिया, जिसके लिए उन्हें एक साल की जेल हुई।*
जेल में रहते हुए केशव बलिराम हेडगेवार ने महसूस किया कि *भारत की स्वतंत्रता के लिए केवल राजनीतिक आंदोलन पर्याप्त नहीं हैं। समाज में एकता, अनुशासन और राष्ट्रीय चेतना की आवश्यकता है।* इस विचार ने उनके जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की नींव रखी।
*`राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना–`*
केशव बलिराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन *नागपुर, महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना की।* उनका उद्देश्य भारतीय समाज को संगठित, अनुशासित और राष्ट्रीय चेतना से युक्त बनाना था। *केशव बलिराम हेडगेवार का मानना था कि भारत की स्वतंत्रता और प्रगति के लिए समाज में एकता, चरित्र निर्माण और हिंदू संस्कृति का संरक्षण आवश्यक है।*
*`RSS की स्थापना का उद्देश्य–*
केशव बलिराम हेडगेवार ने RSS की स्थापना के पीछे निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य रखे:
*हिंदू समाज की एकता:* विभिन्न जातियों और समुदायों को एक मंच पर लाकर सामाजिक एकता को बढ़ावा देना।
*राष्ट्रीय चेतना का जागरण:* स्वयंसेवकों में देशभक्ति, आत्म-सम्मान और राष्ट्रीय गौरव की भावना जागृत करना।
*चरित्र निर्माण:* शारीरिक, मानसिक और नैतिक रूप से मजबूत व्यक्तियों का निर्माण करना।
*सामाजिक सेवा:* समाज के कमजोर वर्गों की सेवा और आपदा के समय सहायता प्रदान करना।
*`RSS की शुरुआत और शाखा प्रणाली–`*
केशव बलिराम हेडगेवार ने RSS को एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन के रूप में शुरू किया। *उन्होंने शाखा प्रणाली की शुरुआत की, जिसमें स्वयंसेवक रोजाना एकत्रित होकर शारीरिक व्यायाम, खेल, बौद्धिक चर्चा और राष्ट्रवादी गीतों का अभ्यास करते थे।* यह प्रणाली स्वयंसेवकों में अनुशासन, नेतृत्व और भाईचारे की भावना को विकसित करने में महत्वपूर्ण थी।
शुरुआती दिनों में RSS की शाखाएँ *नागपुर और आसपास के क्षेत्रों तक सीमित थीं,* लेकिन केशव बलिराम हेडगेवार की संगठनात्मक क्षमता और समर्पण के कारण यह *धीरे-धीरे पूरे भारत में फैल गया।* उन्होंने स्वयंसेवकों को न केवल शारीरिक प्रशिक्षण दिया, *बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति, इतिहास और मूल्यों से जोड़ा।*
*`RSS का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान–`*
केशव बलिराम हेडगेवार ने RSS को राजनीति से अलग रखा, *लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।* 1930 के नमक सत्याग्रह में केशव बलिराम हेडगेवार ने *स्वयंसेवकों को भाग लेने की अनुमति दी, जिससे संगठन की राष्ट्रवादी छवि और मजबूत हुई।* RSS के स्वयंसेवकों ने अनुशासित और संगठित तरीके से आंदोलनों में हिस्सा लिया, जिसने कई नेताओं को प्रभावित किया।
*`केशव बलिराम हेडगेवार का करियर पर विशेष ध्यान–`*
केशव बलिराम हेडगेवार का करियर मुख्य रूप से उनकी *चिकित्सा पृष्ठभूमि और RSS के संगठनात्मक कार्यों के इर्द-गिर्द घूमता है।* चिकित्सक के रूप में, उन्होंने नागपुर में अपनी प्रैक्टिस शुरू की, *लेकिन उनकी देशभक्ति और समाज सेवा की भावना ने उन्हें पूर्णकालिक सामाजिक कार्य की ओर प्रेरित किया।* उन्होंने अपनी चिकित्सा प्रैक्टिस को सीमित कर RSS के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया।
*`उन्होंने RSS को एक मजबूत संगठन बनाने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाईं:`*
*स्वयंसेवक प्रशिक्षण:* केशव बलिराम हेडगेवार ने स्वयंसेवकों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए नियमित प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए।
*सामाजिक एकता:* उन्होंने हिंदू समाज की विभिन्न जातियों और समुदायों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया।
*राष्ट्रीय चेतना:* केशव बलिराम हेडगेवार ने स्वयंसेवकों में राष्ट्रीय गौरव और आत्म-सम्मान की भावना जागृत की।
*स्थानीय नेतृत्व:* उन्होंने स्थानीय स्तर पर नेतृत्व विकसित करने पर जोर दिया ताकि RSS का विस्तार देश के हर कोने में हो सके।
1930 के नमक सत्याग्रह में *केशव बलिराम हेडगेवार ने RSS स्वयंसेवकों को भाग लेने की अनुमति दी,* लेकिन संगठन को राजनीति से अलग रखा। उनकी यह नीति RSS को एक सांस्कृतिक संगठन के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण थी।
*`केशव बलिराम हेडगेवार का नेतृत्व और संगठन कौशल–`*
केशव बलिराम हेडगेवार का नेतृत्व अद्वितीय था। *वे सादगी और अनुशासन के प्रतीक थे।* उन्होंने अपने जीवन को RSS के लिए समर्पित कर दिया *और स्वयंसेवकों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया।* उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत प्रसिद्धि की इच्छा नहीं की और हमेशा संगठन को प्राथमिकता दी।
उनके संगठन कौशल का एक उदाहरण *1929 का लाहौर अधिवेशन है, जहां RSS ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।* केशव बलिराम हेडगेवार ने स्वयंसेवकों को *अनुशासित और संगठित तरीके से प्रस्तुत किया,* जिसने सभी को प्रभावित किया।
*`केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन के अंतिम वर्ष और विरासत–`*
केशव बलिराम हेडगेवार का स्वास्थ्य 1930 के दशक के अंत में बिगड़ने लगा। *फिर भी, उन्होंने RSS के विस्तार के लिए निरंतर कार्य किया। 21 जून 1940 को नागपुर में उनका निधन हो गया।* उनके निधन के समय RSS एक मजबूत संगठन बन चुका था, जिसके हजारों स्वयंसेवक पूरे भारत में फैल चुके थे।
इनकी मृत्यु के बाद, उनके शिष्य *माधव सदाशिव गोलवलकर ने RSS का नेतृत्व संभाला और संगठन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।* आज RSS विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, और *यह केशव बलिराम हेडगेवार की दूरदर्शिता का परिणाम है।*
केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक संगठन के इतिहास में *एक मील का पत्थर है।* उनकी दूरदर्शिता, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति ने RSS जैसे विशाल संगठन को जन्म दिया, *जो आज भी समाज सेवा और राष्ट्रीय एकता के लिए कार्य कर रहा है। केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।*
🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷