Abu Muhammad ابو محمد
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                June 9, 2025 at 07:12 AM
                               
                            
                        
                            *"ग्रेटा ! हिम्मत का दूसरा नाम !!"*
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कभी आपने सोचा है कि सच बोलने की क़ीमत क्या होती है ?
कभी आपने देखा है कि इंसानियत की लौ कहाँ और कैसे जलती है ?
अगर नहीं देखा, तो *ग्रेटा थनबर्ग* को देखिए,  एक छोटी-सी लड़की, जो दुनिया की सबसे बड़ी ज़ालिम सत्ता से भी नहीं डरी। *न गोलियाँ उसके हाथों को रोक सकीं, न समुद्र की लहरें उसके इरादों को।*
वो स्वीडन की रहने वाली 22 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता है, *लेकिन इस बार वो सिर्फ धरती बचाने नहीं, इंसानियत बचाने निकली थी।*
          1 जून 2025 को उसने एक छोटी-सी नाव में गाज़ा के भूखे, घायल और बमबारी से तबाह बच्चों के लिए राहत सामग्री लेकर समुद्र का रास्ता पकड़ा..
         *कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, कोई प्रचार नहीं, बस एक इंसानी दर्द।*
उस जहाज़ में था, बच्चों का दूध, औरतों के सैनिटरी पैड, अपंगों के लिए कृत्रिम हाथ-पैर, बीमारों के लिए दवाइयाँ।
लेकिन इजराइली सत्ता को इस मदद से खतरा था, क्योंकि शायद वो जानती है कि सबसे बड़ा डर बमों से नहीं, इंसानियत से होता है।
और फिर वही हुआ जो अक्सर सच के साथ होता है।
          *9 जून की सुबह, जब यह जहाज़ गाज़ा से 144 किलोमीटर दूर था — पाँच इजराइली मिलिट्री बोट्स ने घेरकर उसे कब्ज़े में ले लिया।*
वो लड़की जो किसी का बाल भी बाँका नहीं कर सकती, उसे समुद्र के बीचों-बीच अगवा कर लिया गया, इंटरनेशनल समुद्री क़ानून को चीरते हुए।
*और हम ?*
*हम 850 करोड़ लोग क्या कर रहे हैं ?*
       मोबाइल स्क्रीन पर स्वाइप कर रहे हैं, डिनर कर रहे हैं, मीम्स बना रहे हैं, धर्म-जाति पर बहस कर रहे हैं… और ज़िंदा बच्चों को मरता देख रहे हैं।
*और एक दूसरे पर ही कमेंट करके, खुद को बहुत बड़ा काम करने वाला साबित कर रहे हैं।*
     *लेकिन सच्चाई यह है, हमने सिर्फ अपनी आवाज़ नहीं खोई,  हमने अपना ज़मीर भी दफ्न कर दिया।*
लेकिन एक लड़की ने दिखा दिया....
*कि अगर ज़मीर जिंदा हो, तो एक नाव भी टैंक से बड़ी होती है।*
*उसने समझा दिया कि आँसू भी हथियार बन सकते हैं,  अगर दिल में दर्द हो।*
ग्रेटा थनबर्ग को कोई नोबेल प्राइज मिले या ना मिले,
लेकिन आज के दौर में इंसानियत का सबसे बड़ा तमगा उसे ही मिलना चाहिए।
क्योंकि उसने पूरी दुनिया की चुप्पी को चीरकर यह कह दिया....
*“अगर तुम चुप हो, तो ज़ालिम से कम नहीं हो।”*
सलाम है उस अकेली लड़की को,
जो आज पूरी इंसानियत से ज़्यादा जिंदा है।