काम की राजनीति
June 21, 2025 at 05:17 PM
तथाकथित शराब घोटाला तब क्यों, और तथाकथित क्लासरूम घोटाला अब क्यों?
तथाकथित दिल्ली शराब घोटाला 2021-22 की नई शराब नीति के संदर्भ में था।
तथाकथित क्लासरूम घोटाला 2015-22 के बीच दिल्ली सरकार के स्कूलों में बनी नई बिल्डिंग्स के संदर्भ में है।
आरोप है कि नई शराब नीति की वजह से ₹2000 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ, तथाकथित शराब घोटाला इसी में है।
आरोप है की दिल्ली सरकार के स्कूलों के निर्माण में ₹2000 करोड़ की वित्तीय अनियमितता हुई, तथाकथित क्लासरूम घोटाला इसी में है।
अब सोचने की बात ये है कि जब दोनों तथाकथित घोटाले लगभग एक ही दौर में हुए और दोनों की रक़म भी बराबर थी तो जाँच एजेंसियों द्वारा दोनों मामले में एक साथ, एक तरह की फुर्ती क्यों नहीं दिखाई गई?
तथाकथित शराब घोटाले में तो CBI 2022 और ED 2023 में ही सक्रिय हो गई थी, जबकि तथाकथित क्लासरूम घोटाले के मामले में ACB-ED अब जागी है!!!
तो तथाकथित शराब घोटाला "तब" इसलिए क्योंकि:
-बीजेपी जनता के बीच तथाकथित शराब घोटाला आसानी से बेच सकती थी।
-किसी भी शराब नीति का तकनीकी पहलू आमतौर पर आसानी से नहीं समझा-समझाया जा सकता।
-ऐसे में कुछ पहलुओं को तोड़ मरोड़ कर पेश करना ज़्यादा मुश्किल नहीं है।
-जैसे "एक के साथ एक फ्री", "हर गली-मुहल्ले में शराब की दुकान", "बच्चों को शराबी बनाने" जैसे झूठ को बीजेपी ने हर मोबाइल तक आसानी से पहुँचा दिया।
-बीजेपी को यकीन था कि 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में तथाकथित शराब घोटाले का खूब फ़ायदा उठाया जा सकता है।
वहीं दूसरी तरफ़ तथाकथित क्लासरूम घोटाला "अब" इसलिए ताकि:
-बीजेपी दिल्ली वालों को ये भरोसा दिला सके कि सरकारी स्कूलों में कोई काम नहीं हुआ, पैसे खा लिए गए, स्कूल बुरी हालत में हैं।
-दिल्ली के सरकारी स्कूलों की इमेज फ़िर से ख़राब होने पर प्राइवेट स्कूलों की तरफ़ आम जनता का रुझान बढ़े, उनका कारोबार और चमके, मनमानी फ़ीस वसूली जा सके।
-तथाकथित शराब घोटाले पर बीजेपी के झूठ पर यकीन करने वाला तबका अब तथाकथित क्लासरूम घोटाले को भी सच मान लेगा।
तो दोनों ही तथाकथित घोटालों की राजनैतिक पटकथा बीजेपी ने लिखी ताकि एक का इस्तेमाल चुनाव जीतने और दूसरे का सरकार चलाने में किया जा सके…