
"MOTIVATIONAL THOUGHTS with MUK"
June 11, 2025 at 01:45 AM
🙏🌹*ॐ सुप्रभात*🌹🙏
*सोने का एक सिक्का*
एक बालक को एक बार देवयोग से सोने का एक सिक्का मिल जाता है। *उस सिक्के के एक तरफ शेर की आकृति थी और दूसरी ओर राजा की।* उस बालक को वह सिक्का बहुत सुन्दर लगता है। *अतः वो बार-बार उस सिक्के को उछालकर खेलने लगा। जब राजा ऊपर आता तो वो खुश होता और जब शेर आता तो वह दुखी हो जाता।*
इस तरह मात्र कौतूहलवश वह *सुख-दुख का अनुभव करने लगा।* लेकिन उस सिक्के में जो सोना है, उसका इस बालक को रंचमात्र भी आभास नहीं रहता है। *यह जो शुभ और अशुभ रूपी राजा और शेर हैं, वे तो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।*
*सिक्के में जो आकृति है, वह भी सोने की ही है।* अतः मात्र इस आकृति को ही अच्छा या बुरा मानना बालवृत्ति ही है, *क्योंकि वह सिक्का तो सिर्फ सोना ही है।*
जिस तरह एक अबोध बालक सिक्का उछालने में ही सुख-दुख मानकर अपना समय व्यर्थ में ही नष्ट कर देता है, *उसी तरह आप भी इस संसार में अपनी मिथ्या मान्यताओं से अनुकूल सामग्री मिलती है, तब सुख मानते हो और प्रतिकूल सामग्री आती है तो दुख मानते हो।* यह जो अनुकूल एवं प्रतिकूल सामग्री होती है, *वह वास्तव में आप का कुछ भी हित-अहित करने में समर्थवान ही नहीं है।*
फिर भी आप ऐसा मानकर सुखी-दुखी हो रहे हो, *तो इसका एक मात्र कारण मोह रूपी मदिरा को पीकर मदमस्त होना ही है और इसी कारण इस बाल-वृत्ति का आप त्याग नहीं कर पा रहे हो।* सिक्के में बनी आकृति कैसी भी हो, *कुछ भी हो, वास्तव में उसकी कीमत तो सिर्फ सोने से ही होती है।
इसी तरह अगर आपके इस मोह भाव का भी अभाव हो जाए, तो आप की सहज दृष्टि में यह संसार स्पष्ट दिखने लगेगा। फिर आप की दृष्टि भी सिक्के के सोने रूपी अपने चैतन्य-परमात्मा पर टिक जाएगी, जम जाएगी और तब आप अपनी आत्मा में लीन रहकर अनन्त सुख का सदाकाल अनुभव करने लगोगे।*
*उस सोने से ही उस सिक्के की कीमत रहती है, मात्र उस सिक्के पर बनी आकृति से नहीं; ऐसा जानकर अपनी इस बालक वृत्ति को त्यागकर अब तरूण अवस्था को प्राप्त कर अपने सोने जैसे शुद्धात्मा को पा लो और समस्त लोकालोक को अपने तेजस्व की सुनहरी आभा से चकाचौंध कर दो..!!*
🙏जय गुरुदेव🙏
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🌹🌷आपका आज का दिन
माधुर्य से सम्पन्न रहे। 🌹🌷
Compiled by : Mahendra Kolhekar
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