Jamaat-e-Islami Hind (JIH)
Jamaat-e-Islami Hind (JIH)
May 30, 2025 at 01:24 PM
*असम सरकार का 'चुनिंदा' क्षेत्रों में हथियार लाइसेंस जारी करने का फैसला चिंताजनक : जमाअत उपाध्यक्ष* *नई दिल्ली, 30 मई 2025:* जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने असम सरकार के 'कमजोर' क्षेत्रों में हथियार लाइसेंस जारी करने के फैसले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। मीडिया को जारी एक बयान में जमाअत उपाध्यक्ष ने कहा, "हम असम कैबिनेट द्वारा कथित रूप से राज्य के 'असुरक्षित और दूरदराज' क्षेत्रों में रहने वाले 'मूल निवासियों और स्वदेशी भारतीय नागरिकों' को हथियार लाइसेंस जारी करने के हालिया फैसले पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा द्वारा घोषित यह नीति एक प्रतिगामी और खतरनाक कदम प्रतीत होती है, जो सामाजिक तनाव को बढ़ा सकती है और कानून के शासन को कमजोर कर सकती है। नागरिकों को चुनिंदा रूप से हथियार देने का निर्णय, ऐसी नीति के इरादे और निहितार्थ पर गंभीर प्रश्न उठाता है।इन क्षेत्रों को 'असुरक्षित' घोषित करना तथा चुनिंदा समूहों को शस्त्र लाइसेंस देकर सशक्त बनाना, अल्पसंख्यक समुदायों को हाशिए पर डालने तथा उन्हें डराने के उद्देश्य से प्रतीत होता है।'मूल निवासियों' को परिभाषित करने के लिए असम सरकार के मानदंड अस्पष्ट बने हुए हैं, जिससे शस्त्र लाइसेंस जारी करने में मनमाने और भेदभावपूर्ण व्यवहार को बढ़ावा मिलने की संभावना है।" मलिक मोतसिम खान ने आगे कहा, "इस कदम को असम सरकार की हालिया कार्रवाइयों के व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसमें बंगाली भाषी मुसलमानों को बिना उचित प्रक्रिया के 'विदेशी' करार देकर हिरासत में लेना और अल्पसंख्यक समुदायों को असंगत रूप से प्रभावित करने वाली नीतियों को लागू करना शामिल है। इस तरह के उपायों से भय का माहौल पैदा होता है, पुलिस, बीएसएफ और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका कमजोर होती है, तथा क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन हिंसा में बढोतरी हो सकती है। जमात-ए-इस्लामी हिंद असम सरकार से आग्रह करती है कि वह इस अत्यधिक प्रतिगामी निर्णय को तत्काल वापस ले तथा सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए सभी हितधारकों के साथ समावेशी वार्ता करे तथा हिंसा भड़काने वाले या सामाजिक एवं सांप्रदायिक विभाजन को गहराने वाले उपाय न करे। हम नागरिक समाज संगठनों, मानवाधिकार निकायों और न्यायपालिका से इस निर्णय की जांच करने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि असम में सभी समुदायों के अधिकार और सुरक्षा सुरक्षित रहें।”
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