Shrinathji nitya darshan 
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                June 16, 2025 at 12:03 AM
                               
                            
                        
                            व्रज – आषाढ़ कृष्ण पंचमी 
Monday, 16 June 2025
सुआ पंखी मलमल पर लाल छापा की परधनी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चन्द्रिका के श्रृंगार 
 
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राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
सोहत लाल के परदनी अति झीनी।।
तापर एक अधिक छबि उपजत जलसुत पांति बनी कटी छीनी।।1।।
उज्जवल पाग श्याम शिर शोभित अलकावली मधुप मधुपीनी।।
‘कुंभनदास' प्रभु गोवरधनधर चपल नयन युवतीन बस कीनी।।2।।
साज – आज श्रीजी में सुआ पंखी मलमल पर लाल छापा से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को सुआ पंखी मलमल पर लाल छापा की परधनी धरायी जाती है.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. 
मोती के आभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर सुआ पंखी पर लाल छापा की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. 
श्रीकर्ण में एक जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
 श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं वहीँ एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झीनें लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.



                        
                    
                    
                    
                    
                    
                                    
                                        
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