Shrinathji nitya darshan
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June 16, 2025 at 11:49 PM
व्रज – आषाढ़ कृष्ण षष्ठी Tuesday, 17 June 2025 खसखसी मलमल का आड़बंद एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर क़तरा के शृंगार 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 Facebook Page: https://m.facebook.com/Shreenathjinitydarshan/ Instagram Account https://instagram.com/shreenathji__nity_darshan YouTube channel https://youtube.com/@shreenathji_nitya_darshan?si=Q-O_OOLKDovsuK2S WhatsApp channel https://whatsapp.com/channel/0029Va9SrMw3AzNUdJyRmS2V 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 राजभोग दर्शन कीर्तन – (राग : सारंग) तनक प्याय दे पानी याहि मिस गए वाके घर l समझ बूझ के जल भर लाई पीवन लागे ओक ढीली करि तब ग्वालिन मंद मंद मुसिकानी ll 1 ll वेही जल वैसे ही गयो ओर जल भर लाई तब ग्वालिन बोली मधुर सी बानी l ‘चतुरबिहारी’ प्यारे प्यासे हो तो पीजिये नातर सिधारो रावरे जु प्यास मैं जानी ll 2 ll साज – आज श्रीजी में खसखसी मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की गयी है. वस्त्र – आज श्रीजी को खसखसी मलमल का आड़बंद धराया जाता है. श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर खसखसी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों एवं तुलसी की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं वहीँ दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती है. श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा जमुनी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं. पट ऊष्णकाल का गोटी हक़ीक की छोटी आती है.   
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