
ISKCON BHOPAL BYC
June 21, 2025 at 02:01 AM
रावण निश्चित रूप से भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था, लेकिन वह भगवान रामचंद्र के क्रोध से बच नहीं सका। और पुराणों के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं। परमेश्वर के भक्त देवताओं का आदर करना जानते हैं, किन्तु देवताओं के भक्त कभी-कभी मूर्खतापूर्वक यह सोच लेते हैं कि भगवान देवताओं से बड़े नहीं हैं। ऐसी धारणा से व्यक्ति अपराधी बन जाता है और अन्ततः रावण तथा अन्य लोगों जैसा ही अंत पाता है। भगवान श्रीकृष्ण के साथ अपने मैत्रीपूर्ण व्यवहार के दौरान अर्जुन द्वारा वर्णित उदाहरण उन सभी के लिए शिक्षाप्रद हैं, जो इस बात से आश्वस्त हो सकते हैं कि केवल परमेश्वर श्रीकृष्ण को प्रसन्न करके ही सभी कृपाएँ प्राप्त की जा सकती हैं, जबकि देवताओं के भक्त या उपासक केवल आंशिक लाभ ही प्राप्त कर सकते हैं, जो कि देवताओं की भाँति ही नाशवान है।
श्रीमद् भागवतम् 1.15.12 के तात्पर्य से
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