ISKCON BHOPAL BYC WhatsApp Channel

ISKCON BHOPAL BYC

687 subscribers

About ISKCON BHOPAL BYC

Hare Krishna ISKCON BHOPAL BYC में आपका स्वागत है 🌸 https://linktr.ee/iskconbhopalbyc This Channel is your spiritual family, where we share uplifting content, temple updates, and the timeless teachings of Lord Krishna. Your presence makes our community stronger and more joyful!. Let's stay connected, support each other on our spiritual journey, and make every day a step closer to Krishna consciousness. यह व्हाट्सप्प Channel ISKCON BHOPAL BYC मंदिर की जानकारियों, विशेष तिथियों और उत्साहवर्धक आध्यात्मिक शिक्षाओं को आप तक पहुचाने के लिए है करते हैं। आइए हम एक-दूसरे को प्रेरित करें, जुड़े रहें, और इस दिव्य यात्रा को मिलकर आगे बढ़ाएं। आपकी उपस्थिति हमारे समुदाय को और भी मजबूत और आनंदमय बनाती है!

Similar Channels

Swipe to see more

Posts

ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/5/2025, 3:13:26 AM
Post image
❤️ 🙏 2
Image
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/6/2025, 1:28:46 AM

Bhagavad Gita 11.37 कस्माच्च‍ ते न नमेरन्महात्मन् गरीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे । अनन्त देवेश जगन्निवास त्वमक्षरं सदसत्तत्परं यत् ॥ ३७ ॥ Translation :-O great one, who stands above even Brahmā, You are the original master. Why should they not offer their homage up to You, O limitless one? O refuge of the universe, You are the invincible source, the cause of all causes, transcendental to this material manifestation. हे महात्मा! आप ब्रह्मा से भी बढ़कर हैं, आप आदि स्त्रष्टा हैं | तो फिर आपको सादर नमस्कार क्यों न करें? हे अनन्त, हे देवेश, हे जगन्निवास! आप परमस्त्रोत, अक्षर, कारणों के कारण तथा इस भौतिक जगत् के परे हैं |

Post image
❤️ 🙏 3
Image
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/6/2025, 3:50:11 AM

Daily Dartion

Post image
❤️ 🙏 3
Image
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/5/2025, 3:50:11 AM

Bhagavad Gita 11.34 द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च कर्णं तथान्यानपि योधवीरान् । मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठा युध्यस्व जेतासि रणे सपत्‍नान् ॥ ३४ ॥ Translation :-Droṇa, Bhīṣma, Jayadratha, Karṇa and the other great warriors have already been destroyed by Me. Therefore, kill them and do not be disturbed. Simply fight, and you will vanquish your enemies in battle. द्रोण, भीष्म, जयद्रथ, कर्ण तथा अन्य महान योद्धा पहले ही मेरे द्वारामारे जा चुके हैं | अतः उनका वध करो और तनिक भी विचलित न होओ | तुम केवल युद्ध करो| युद्ध में तुम अपने शत्रुओं को परास्त करोगे |

Post image
❤️ 🙏 2
Image
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/6/2025, 3:30:24 AM

जिस प्रकार एक गाय को नाक में लंबी रस्सी से बाँधकर नियंत्रित किया जाता है, उसी प्रकार मनुष्य भी विभिन्न वैदिक नियमों द्वारा बँधा हुआ होता है और परमेश्वर के आदेशों का पालन करने के लिए विवश होता है। हर जीव चाहे वह मनुष्य हो, पशु हो या पक्षी यह सोचता है कि वह स्वतंत्र है, लेकिन वास्तव में कोई भी भगवान के कठोर नियमों से मुक्त नहीं है। भगवान के नियम कठोर होते हैं क्योंकि किसी भी परिस्थिति में उनका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। मनुष्यों द्वारा बनाए गए कानूनों को चालाक अपराधी धोखा दे सकते हैं, लेकिन परम नियमनिर्माता के नियमों में तनिक भी अवहेलना की कोई संभावना नहीं है। ईश्वर द्वारा बनाए गए नियमों की मार्गरेखा से थोड़ी सी भी विचलन एक बड़े संकट को जन्म दे सकती है, जिससे उस नियमभंगकर्ता को सामना करना पड़ता है। ऐसे सर्वोच्च नियमों को सामान्यतः धर्म के सिद्धांतों के रूप में जाना जाता है, जो विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग रूपों में प्रकट होते हैं, परंतु धर्म का मूल सिद्धांत सर्वत्र एक ही है परमेश्वर के आदेशों का पालन करना। यही भौतिक जीवन की स्थिति है। इस भौतिक जगत में सभी जीवों ने स्वयं की इच्छा से बंधनयुक्त जीवन जीने का जोखिम उठाया है और इस प्रकार वे प्रकृति के नियमों के जाल में फँस गए हैं। इस बंधन से बाहर निकलने का एकमात्र उपाय यह है कि हम परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए सहमत हो जाएँ। श्रीमद् भागवतम् 1.13.42 के तात्पर्य से

🙏 1
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/5/2025, 5:04:27 AM
Post image
🙏 5
Image
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/6/2025, 3:50:12 AM
Post image
❤️ 🙏 4
Image
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/6/2025, 3:50:12 AM
Post image
❤️ 🙏 4
Image
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/6/2025, 3:30:53 AM

_Mäyä, the energy underlying all material existence, is more subtle than ordinary phenomena. Only God and His liberated devotees, therefore, can know its svarüpa and visesa._ SB 10.86.44 P _माया, जो समस्त भौतिक अस्तित्व में अंतर्निहित ऊर्जा है, सामान्य घटनाओं से भी अधिक सूक्ष्म है। इसलिए केवल भगवान और उनके मुक्त भक्त ही इसके स्वरूप और विशेष को जान सकते हैं।_

❤️ 🙏 2
ISKCON BHOPAL BYC
ISKCON BHOPAL BYC
6/6/2025, 3:30:13 AM

*अध्याय सात: भगवद्ज्ञान* *श्लोक २३* *अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् ।* *देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि ॥२३॥* *शब्दार्थ* अन्त-वत्—नाशवान; तु—लेकिन; फलम्—फल; तेषाम्—उनका; तत्—वह; भवति—होता है; अल्प-मेधसाम्—अल्पज्ञों का; देवान्—देवताओं के पास; देवयज:—देवताओं को पूजने वाले; यान्ति—जाते हैं; मत्—मेरे; भक्ता:—भक्तगण; यान्ति—जाते हैं; माम्—मेरे पास; अपि—भी। *अनुवाद* *अल्पबुद्धि वाले व्यक्ति देवताओं की पूजा करते हैं और उन्हें प्राप्त होने वाले फल सीमित तथा क्षणिक होते हैं | देवताओं की पूजा करने वाले देवलोक को जाते हैं, किन्तु मेरे भक्त अन्ततः मेरे परमधाम को प्राप्त होते हैं |* *तात्पर्य* भगवद्गीता के कुछ भाष्यकार कहते हैं कि देवता की पूजा करने वाला व्यक्ति परमेश्र्वर के पास पहुँच सकता है, किन्तु यहाँ यह स्पष्ट कहा गया है कि देवताओं के उपासक भिन्न लोक को जाते हैं, जहाँ विभिन्न देवता स्थित हैं – ठीक उसी प्रकार जिस तरह सूर्य की उपासना करने वाला सूर्य को या चन्द्रमा का उपासक चन्द्रमा को प्राप्त होता है | इसी प्रकार यदि कोई इन्द्र जैसे देवता की पूजा करना चाहता है, तो उसे पूजे जाने वाले उसी देवता का लोक प्राप्त होगा | ऐसा नहीं है कि किसी भी देवता की पूजा करने से भगवान् को प्राप्त किया जा सकता है | यहाँ पर इसका निषेध किया गया है, क्योंकि यह स्पष्ट कहा गया है कि देवताओं के उपासक भौतिक जगत् के अन्य लोकों को जाते हैं, किन्तु भगवान् का भक्त भगवान् के परमधाम को जाता है | यहाँ पर यह प्रश्न उठाया जा सकता है कि यदि विभिन्न देवता परमेश्र्वर के शरीर के विभिन्न अंग हैं, तो उन सबकी पूजा करने से एक ही जैसा फल मिलना चाहिए | किन्तु देवताओं के उपासक अल्पज्ञ होते हैं, क्योंकि वे यह नहीं जानते कि शरीर के किस अंग को भोजन दिया जाय | उनमें से कुछ इतने मुर्ख होते हैं कि वह यह दावा करते हैं कि अंग अनेक हैं, अतः भोजन देने के ढंग अनेक हैं | किन्तु यह बहुत उचित नहीं है | क्या कोई कानों या आँखों से शरीर को भोजन पहुँचा सकता है? वे यह नहीं जानते कि ये देवता भगवान् के विराट शरीर के विभिन्न अंग हैं और वे अपने अज्ञानवश यह विश्र्वास कर बैठते हैं कि प्रत्येक देवता पृथक् ईश्र्वर है और परमेश्र्वर का प्रतियोगी है | न केवल सारे देवता, अपितु सामान्य जीव भी परमेश्र्वर के अंग (अंश) हैं | श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि ब्राह्मण परमेश्र्वर के सिर हैं, क्षत्रिय उनकी बाहें हैं, वैश्य उनकी कटि तथा शुद्र उनके पाँव हैं, और इन सबके अलग-अलग कार्य हैं | यदि कोई देवताओं को तथा अपने आपको परमेश्र्वर का अंश मानता है तो उसका ज्ञान पूर्ण है | किन्तु यदि वह इसे नहीं समझता तो उसे भिन्न लोकों की प्राप्ति होती है, जहाँ देवतागण निवास करते हैं | यह वह गन्तव्य नहीं है, जहाँ भक्तगण जाते हैं | देवताओं से प्राप्त वर नाशवान होते हैं, क्योंकि इस भौतिक जगत् के भीतर सारे लोक, सारे देवता तथा उनके सारे उपासक नाशवान हैं | अतः इस लश्लोक में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे देवताओं की उपासना से प्राप्त होने वाले सारे फल नाशवान होते हैं, अतः ऐसी पूजा केवल अल्पज्ञों द्वारा की जाती है | चूँकि परमेश्र्वर की भक्ति में कृष्णभावनामृत में संलग्न व्यक्ति ज्ञान से पूर्ण दिव्य आनन्दमय लोक की प्राप्ति करता है अतः उसकी तथा देवताओं के सामान्य उपासक की उपलब्धियाँ पृथक्-पृथक् होती हैं | परमेश्र्वर असीम हैं, उनका अनुग्रह अनन्त है, उनकी दया भी अनन्त है | अतः परमेश्र्वर की अपने शुद्धभक्तों पर कृपा भी असीम होती है |

🙏 2
Link copied to clipboard!