Jaigurudevukm
June 3, 2025 at 10:49 AM
जयगुरुदेव सतसंग लिंक - https://www.youtube.com/live/AgB4tBVzqSg?si=G-aIiZSvao97GoFl समय का संदेश 03.06.2025 प्रातः काल अहमदाबाद, गुजरात *5. विनाशकारी समय में साधक अपनी और दूसरों की रक्षा करेंगे।* 1:08:22 - 1:18:32 इसी तरह से समझो कि ( सात जून को दिन में ग्यारह बजकर ग्यारह मिनट से आठ जून को इसी समय तक दिन में 24 घंटे में शुरू कर देना रहेगा और ये बराबर चलेगा। इसमें जो बैठ जाएगा, *ये भी बता दें आपको कि इसमें जो बैठ जाएगा, उसके रक्षक गुरु महाराज हो जाएंगे।* क्यों? क्योंकि आगे का समय विनाशकारी। विनाशकारी किसको कहते हैं? कहते है कि सत्यानाश हो गया, घर उजड़ गया, आग लग गई और सब जल गया। कहते हैं कि महामारी आ गई, कोलेरा फैल गया, पूरा परिवार कोरोना में खत्म हो गया; इसको कहते हैं विनाशकारी। और भी बता दें - उठा तूफान और तूफान में घर खत्म हो गया, बगीचा खत्म हो गया, पेड़ गिर गए, जानवर उड़कर उस तूफान में पता नहीं कहां चले गए, छोटे बच्चे उड़ करके चले गए। अरे जब तूफान आता है, तेजी से हवा चलती है तब कोई रोक पाता है? आदमी भी उड़ने लगता है। अभी आपने क्या देखा है? *ऐसे-ऐसे बवंडर उठेंगे, जिनको चक्रवात कहते हो, जो नीचे से हाथी-घोड़ा उड़ाकर ऊपर ले जाएंगे। जानवरों को भी उड़ा कर ले जाएंगे। और देखने वाले ऐसे देखते ही रह जाएंगे। देखेगा कौन? जो साधक होगा वह देखेगा। साधकों के नजदीक वो बवंडर आने में डरेंगे। वो जो चक्रवात है किनारे से निकल जाएगा।* देखेंगे कि देखो ये उड़ के ऊपर जा रहे हैं। यह सोच नहीं पाएगा हम किधर भगें, उनको दिखाई पड़ेगा। और बता दें? क्वार महीना आता है तो क्वार में बरसात आती है। तो बरसात में क्या होता है? क्वार का बरसात का बादल जो होता है, ऐसे थोड़ा-सा बादल रहता है और जहां पर बादल रहता है वहीं पर बरसात होती है, किनारे नहीं होती। तो सड़क पर आदमी जा रहा है और देख रहा है उधर बारिश हो रही है, भीग रहा है आदमी और इधर खड़ा है, इंतजार कर रहा कि जब ये बारिश खत्म हो जाए तब हम जाएं। यह नहीं भीगता और उधर वाले जो रहते हैं, वो भीग जाते हैं। बादल के नीचे जो पड़ जाते हैं आने वाले, जाने वाले वो भीग जाते हैं। *ऐसे होता है। साधकों की रक्षा होती है।* और साधक ने अगर किसी को बुला लिया। साधकों को जानकारी भी हो जाती है कि यह बादल जो है, यह भूरा बादल है। “काला बादल जी डरवावे, भूरा बादल पानी लावे” तो जो इसको समझे हैं कि काला बादल पानी नहीं दे पाता है। काली घटा देखो उठती है लेकिन वह पानी नहीं दे पाता है। उसमें पानी नहीं रहता है। लेकिन भूरा बादल अगर हो तो उसमें पानी भरा हुआ रहता है। वो पानी वो गिर जाता है नीचे। तो जिसको जानकारी हो। जिसको इस बात की जानकारी हो कि भाई सावन के महीने में पुरवाई हवा चल रही है और पुरवा हवा तेज चल रही हो तो बारिश नहीं होगी लेकिन अगर वो हवा रुक गई और पश्चिम से हवा चल गई तो जिसको जानकारी होती है कि पश्चिम की हवा जहां चली तहां समझो … कहने में उन्होंने संकोच नहीं रखा और हमको भी क्या संकोच है, बताएंगे नहीं तो समझ में नहीं आएगा आपकी - पुरवा से जब पछुआ चले, नारी बात जब हंसकर करे। घाग के मन में यही विचार, यह बरसे, वो करे भतार।। अब इसका मतलब भी समझा दें। *अगर कोई चरित्रहीन औरत से साधकों! मुलाकात हो गई और हंस-हंस के उसकी बातों को सुनते रहे और बातों में आ गए तो चरित्र के गिरने में देर नहीं लगेगी। और पुरवाई से पश्चिम हवा चली अगर तो पानी जरूर बरसेगा।* जब पानी जरूर बरसेगा तो जिसको जानकारी है, वो होशियार हो जाएगा, और वो कह देगा भाई कि ऐ बच्चे, ऐ मेरे घर के लोग! अब देखो पूर्व से पश्चिम हवा चल गई है, स्कूल जा रहे हो, दफ्तर जा रहे हो, काम पर जा रहे हो तो छाता ले लो, बरसाती ले लो, जो भी होगा वो बता देगा कि नहीं बता देगा? तो आगाह कर देते हैं जिनको जानकारी हो जाती है कि यह लक्षण होते हैं बाढ़ आने के, जो नदियों के किनारे रहते हैं वो अपना घर पहले ही खाली कर देते हैं। *तो इनको साधकों को हर तरह की जानकारी हो जाएगी। यह तो ऐसे साधक बन जाएंगे कि पहले क्या था और अब क्या हो रहा है और आगे क्या होगा, सारी जानकारी मिल जाएगी।* लेकिन अभी विश्वास नहीं हो रहा है। जब प्रेमियों जो आप सुन रहे हो लोग, जब करने लग जाओगे, लोगों को कराने लग जाओगे तो जब अनुभव में आ जाएगा, देखोगे-सुनोगे, जब वो शक्ति आप में आएगी तब पता चल जाएगा क्योंकि- “देखे बिन न होए परतीति, बिन परतीत होए नहीं प्रीति।” बगैर देखे विश्वास नहीं होता है और जब देख लोगे अंदर में और दिखाने वाला आपकी मदद कर देगा तब उस पर विश्वास हो जाएगा। किस पर विश्वास हो जाएगा? *गुरु पर विश्वास हो जाएगा। प्रभु पर विश्वास हो जाएगा। धरती पर जो मौजूद होते हैं उनकी शक्ति लेने वाले, उनके नुमाइंदे, उन पर आपको विश्वास हो जाएगा और विश्वास फलदायकम, तो वही विश्वास फल देने लगेगा।* *होना तो बहुत कुछ है। मार-काट बहुत होगी। मार-काट भी बहुत होगी, खून-खराबा भी बहुत होगा। अस्पताल की चद्दरें तो खून से लथपथ रहेंगी ही, धरती भी ऐसे रंग जाएगी खून से। ये तूफान और ये तकलीफें क्यों आएंगी? इसी वजह से आ रही है कि धरती को लोग गंदा कर दे रहे हैं। जहां बैठ के पूजा-पाठ करने का वहां पर लोग बकरा काट रहे, मुर्गा काट रहे, आदमी काट रहे हैं। वहां खून बह रहा है। अब वहां कोई श्मशान घाट पर, जहां मुर्दा जलाए जाते हैं, जहां मर्डर हुआ है, पूजा-पाठ करता है? कहते हो यहां तो भूत दिखाई पड़ते हैं। जैसे आंख बंद करो तैसे कोई दबाने लगता है। तो वहां कोई करेगा? तो धरती भी नाखुश हो रही है, पवन देवता भी वह हड्डियां, मांस और यह जो सड़ रहे हैं, वह बदबू जो फैल रही है, पवन देवता भी नाराज हो रहे हैं। आकाश देवता भी नाराज हो रहे हैं। सब नाराजगी में खड़े हैं। आंख निकाले हुए खड़े हुए हैं। रोका कौन है? ये जिनकी तस्वीर लगी हुई है। यह हमारे गुरु महाराज रोक रहे हैं कि थोड़ा-सा मौका दे दो। हम प्रेमियों को समझवा लेंगे। हम प्रेमियों को समझा देंगे। और प्रेमी अगर कर ले जाएंगे तो उनकी, उनके परिवार की बचत तो होगी ही होगी, और लोगों की वो बचत कर देंगे। जहां रहेंगे वहां लोगों की बचत हो जाएगी। दृष्टि उनकी जहां तक जाएगी और उनकी इच्छा हो जाएगी कि बचत हो जाए तो बचत हो जाएगी!* ये विश्वास करो। अगर आप हमारी बात पर विश्वास करते हो तो विश्वास करो कि उनकी बचत हो जाएगी *लेकिन कब होगी? जब साधक बनेंगे तब होगी। खाली बैठने, माला डुलाने से नहीं होगी। जब साधना में कुछ पा जाएंगे तब होगी। नहीं तो कहोगे दो घंटा, चार घंटा बैठकर के हम आए हैं, हमारे से बचत हो जाएगी। हमारे अंदर क्यों नहीं ताकत आ जाएगी, आ गई होगी? ऐसे नहीं आती है। वो ताकत ऐसे नहीं आती है।* मन को शांति मिलती है लेकिन मन को फिर खराब कर लेते हो। जिस काम को करने में लगे हुए हो, जिस काम के लिए मना किया गया। जिस काम के लिए बराबर कहा जा रहा है ऐसे काम में न लगो कि जिससे मन खराब हो जाए, उसी काम को फिर करने लगोगे तो मन फिर बैठने देगा? मन फिर साधना करने देगा? *इसलिए जो भी नियम है, संयम है, उसका आप सब लोग पालन करो, बच्चों और बच्चियों और फिर देखो गुरु की दया कैसे होती है? दया कैसे मिलती है? ये आपके समझ में आ जाएगा सब लोगों के।* 6. *सब सतसंगियों तक खबर पहुंचा दो।* 1:19:01 - 1:24:26 *सब लोगों को जो इसको सुन रहे हो, बताया जा रहा है कि 24 घंटे की साधना शिविर जो जितना जहां-जहां लगवा सके, लगवा दे।* और जो लोग लगा सके, यहां आपके जैसे अहमदाबाद में बोला जा रहा है, यहां बैठे हो अहमदाबाद के प्रेमी, यहां जहां-जहां भी कॉलोनियों में, जहां-जहां भी गांवों में सतसंगी हैं, उन तक खबर पहुंचा दो। जरूरत पड़े जो यहां साधना किए हो वह लोग सेवा को जरूर कर लो। वहां उन तक खबर पहुंचा दो और वहां व्यवस्था बनवा दो कि 24 घंटे का साधना शिविर लगा लें वो लोग। देखो प्रेमियों! बहुत पहले हम लोग प्रचार करते थे आज से 50 साल पहले। कैसे करते थे? न तो टेलीफोन था ये, और ये लैंडलाइन टेलीफोन जिसको कहते हो ये भी शहरों में थे, गांव में नहीं था ये लैंडलाइन टेलीफोन, जानता ही नहीं था। *देश के एक कोने से संदेशा दूसरे कोने में 24 घंटे में पहुंचा सकते हैं। तो कैसे पहुंचाते थे? जैसे आज वहां से चल पड़े साइकिल से, 5 किलोमीटर, 10 किलोमीटर, 15 किलोमीटर पर कोई सतसंगी है तो वहां गए और चिट्ठी लिख के दे दिया कि ये ये संदेशा है और इसी चिट्ठी को ले जाओ तो दूसरे गांव में दे देना, वहां लिख करके दे देना, लिखवा देना। नहीं पढ़े हो (पढ़े लोग कम रहते थे) तब कहा जाता था इसको कोई पढ़ा-लिखा मिल जाएगा, उसको सुनवा देना और फिर इस चिट्ठी की नकल उसी से करा देना और आदमी को वहां सतसंगी को कह देना कि उस गांव में चला जाए जो 10-20 हैं, साइकिल से उसमें चला जाए और दे आवे। ऐसे संदेशा पहुंचता था। उसको क्या कहते थे? पातीदूत।* पातीदूत की बड़ी कदर होती है। पातीदूत किसको कहते हैं? डाकिया को। जिसको इंग्लिश में पोस्टमैन कहते हो। पोस्टमैन जब दरवाजे पर पहुंच जाता है, खुश हो जाते हैं कि चिट्ठी आई होगी या लाया होगा कोई न कोई खबर पढ़ने को मिलेगी। ऐसे पातीदूत जब पहुंचते थे, लोग देखते थे, खुश हो जाते थे। कोई संदेशा ला रहे होंगे गुरु महाराज का। और *अब तो आपके पास साधन है। मोबाइल से फोन करो। जानते हो व्हाट्सएप करना, व्हाट्सएप कर दो। इंटरनेट का जानते हो तो इंटरनेट के द्वारा पहुंचा दो।* लेकिन गांव में कहीं-कहीं मोबाइल काम नहीं करता है, कहीं-कहीं टावर ही नहीं है। मैं तो देखा हूं, हर जगह गया हूं। वहां पर पहाड़ों पर या जहां पर आबादी कम होती है, यह जो मोबाइल कंपनी वाले हैं टावर नहीं लगाते हैं। बिक्री नहीं होगी। खर्चा करने से क्या फायदा है? तो वहां तो समाचार नहीं पहुंच पाएगा। वहां पातीदूत के द्वारा समाचार पहुंचाओ। अभी *आपके पास चार-पांच दिन का समय है। इस समय में जो जितना कर सको कर लो और नहीं जब समय निकल जाएगा तब कुछ नहीं कर पाओगे।* और कल यह बताओ किसी ने देखा है? कल किसी ने देखा नहीं ने देखा है। अब सोचो हम कल कर लेंगे तो कल नहीं कर सकते। क्यों? अरे सबके प्राण न निकले लेकिन किसी को बीमारी ही आ जाए, घर में कोई बीमार हो जाए, कोई दफ्तर की समस्या आ जाए, कोई और बात हो जाए तो कैसे कर पाओगे? इसलिए कहा गया “काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होत है, बहुरि करोगे कब।” तो देखो अब कार्यक्रम यह समाप्त होगा और आप लोग जाओ अब अपने-अपने घरों की तरफ जो लोग साधना करने के लिए यहां आए थे। और जो लोग मान लो ड्यूटी पर चले गए, साधना करने के लिए आए थे और आपको जानकारी है तो आप उनको बता दो और अपने द्वारा लोगों तक संदेश पहुंचाना शुरू कर दो कैसे भी। मोबाइल से, WhatsApp के द्वारा, जा करके बता करके जैसे भी हो, इस काम में लग जाओ सब लोग ताकि 7 तारीख को दिन में 11 बजकर 11 मिनट से 24 घंटे की अखण्ड साधना शिविर शुरू हो जाए। तो बहुत अच्छा रहा, आप लोगों ने पांच दिन का लगाया और इसी तरह से जब पांच दिन वाली बात आएगी तो फिर लगा देना। आगे तो इसको लगाओ फिर। बराबर आपको मिलता रहेगा संदेश, उस संदेश के अनुसार आगे बढ़ना फिर।
🙏 ❤️ 👍 👏 😢 😮 🩷 26

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