Jaigurudevukm
June 16, 2025 at 03:05 PM
जयगुरुदेव
सतसंग लिंक - https://www.youtube.com/live/WWiBaBeMn6s?si=O14gmJx4JBLkq1_A
समय का संदेश
11.06.2025 प्रातः काल
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, जयगुरुदेव नगर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
1. *आप कार्यकर्ता व्यावहारिक बातों को जरूर बताओ।*
1.00.48 - 1.04.51
*आप जितने भी कार्यकर्ता हो, इन व्यावहारिक बातों को भी बताओ। ज्यादा सतसंग सुनाने की अब जरूरत नहीं है, अब तो उनके जीवन में जो काम आने वाली चीजें हैं उनको बताओ।* जिससे वह स्वस्थ रहें वह चीज बताओ। जिससे उनका चाल चलन ना खराब हो वह बताओ। खानपान उनका ना गलत हो वह बताओ। मांस, मछली, अंडा, शराब ये ताड़ी अफीम इन बातों को बार-बार याद दिलाओ कि इनसे दूर रहो, बुरे लोगों से दूर रहो, बुरी संगत से दूर रहो, जहां पर गंदगी रहती हो, जहां पर इस तरह की बातें होती हो, जहां पर देख लो कि हमारा खानपान खराब हो जाएगा, चरित्र हमारा गिर जाएगा, ऐसी जगह पर मत बैठो। यह सब बात बताना पड़ेगा।
और नहीं तो साधना करेंगे और जानकारी नहीं होगी तो जाएंगे जहां अंडा पकता है, जहां पर मांस पकता है, उसी होटल में खा लेंगे। कहेंगे भाई तुम हमको दाल रोटी दे दो कोई बात नहीं है। वही कर्छुल, वही बर्तन, उसी में से निकाल कर वह देगा दाल और उसी में से वो गोश्त निकाल करके देगा। *उसी चम्मच से दाल परोसेगा जब दूसरा आदमी आएगा तो समझो शुद्धता रहेगी?* तो कोई अगर यह सोचते हो कि इनको होटल का स्वाद मिल गया है, ऐसे लोग होटल बाजी वाले लोग यह सोचोगे कि हम साधना कर लेंगे होटल में खा लेंगे, तो *होटल में खाओगे तो वह ये टल जाएगा आपका। क्या टलेगा? जो दया मिलनी है वह टल जाएगी।* इसलिए सारी बातों को बताने की लोगों को जरूरत है, समझाने की जरूरत है।
*जो मुख्य रूप से हिंदी भाषा को नहीं समझते हैं और आप हिंदी को समझते हो तो आप लोग उनको यह चीज ज्यादा बताओ।* कुछ दिन पहले आपको बताया था कि कर्नाटक में सुमिरन भी करता था, ध्यान भी करता था, भजन भी करता था, लेकिन मुर्गी पाले हुए था। मुर्गी का अंडा बेचता था तो समझो कि उसका पाप लगता था कि नहीं लगता था उसको? जब बताया गया, मेरा दौरा हुआ था, जब बताया गया, पूछा गया जिम्मेदारों से, बोले कोई नहीं बताया तो समझो बताना जरूरी है। इन चीजों को भी बताना जरूरी है। जैसे दवा बताई जाती है कि भाई यह दवा बहुत फायदेमंद है, यह तुमको निरोगी कर देगी। आगे यह रोग होने ना पायेगा, ऐसी जड़ी बूटी है। जैसा-जैसे बताते हो, ऐसे बताओ, इस तरह से समझाओ कि दवा खाओ लेकिन परहेज करते रहो। कुछ दवाएँ ऐसी होती हैं कि एक बार खिला दिया, तो उसका असर कई महीने तक रहता है लेकिन अगर बद परहेजी हो गई। बद परहेजी किसको कहते हैं? जो उसके असर को खत्म करती है। तो दवा का जो असर है वह खत्म हो जाएगा। होम्योपैथिक में भी कुछ इस तरह की दवाएं हैं, कुछ आयुर्वेदिक में भी इस तरह की दवाई हैं, इसलिए यह लोग परहेज बताते हैं कि ये परहेज है। *जब परहेज लगातार इस चीज का करोगे, दवा भी खाओगे और परहेज भी करोगे तब यह दावा ज्यादा फायदा करेगी। ऐसे ही यह बताओ कि साधना करोगे, सुमिरन ध्यान भजन करोगे, शिविर में बैठोगे, शिविर लगाओगे-लगवाओगे तो आपको फायदा होगा लेकिन यह सब परहेज करना जरूरी रहेगा।*
यह सब बातें बताना जरूरी है और जिनको नामदान दिलाने के लिए आप लोग लाना उनको भी यह पहले से ही समझा देना।
2. *जिनको नामदान दिलाने के लिए लाएंगे, उनसे इकरारनामा भरवा के ले आयेंगे।*
1:05:02 - 1:08:17
विचार यह कर रहा हूं कि जैसे गुरु महाराज शुरू में करते थे, फार्म भरवा लेते थे, इकरारनामा भरवा लेते थे कि हम मांस, मछली, अंडा, शराब से दूर रहेंगे। आजीवन शाकाहारी रहेंगे, आजीवन मतलब जब तक जिएंगे तब तक। पराई औरतों से दूर रहेंगे। बहुत सारी चीजों का इकरारनामा भरवाते थे और यह भरवाते थे कि हम बाल-बच्चों की देखरेख, खेती गृहस्थी का भी काम करते हुए 24 घंटे में से तीन घंटा समय, सुमिरन ध्यान भजन में निकालेंगे। ये इतना हम करेंगे। जो उस पर तैयार हो जाते थे, उनको गुरु महाराज नामदान देते थे और फिर वो इकरारनामा जब भरे रहते थे तब ना करें तो याद रहता था। *हम भी यही सोच रहे हैं कि इकरारनामा भरवा लें और जहां रहते हैं उन कमरे में लटका लें या फोटो लगा लें और उस फोटो के पास लटका लें और इस बात का याद रहे कि हमको तीन घंटा करना है।* यह नहीं कि फोटो भी लगा लिया, बढ़िया मंदिर भी बना लिया और बस नमस्ते गुरु जी, गुड मॉर्निंग कह करके और बस चले गए, ऐसे काम नहीं चलेगा। तो इस पर विचार कर रहा हूं और हो सकता है कि गुरु महाराज की दया मौज से इसको लागू भी इसी में कर दिया जाए और अगर लागू कर दिया जाएगा तो वहां जो भी शिविर लगे हैं जहां-जहां, उसकी लिस्ट जो बनी है और शिविर जो लोग लगवाए हैं, उनके पास तो फॉर्म पहुंच जाएगा और जो साधक आए हैं उसमें, उनको सबको वो बंटवा देंगे और जिनको-जिनको नामदान दिलाने के लिए वो लाएंगे उनसे भरवा लेंगे। *एक जगह भरने का नहीं रहेगा और न कोई भर पाएगा और न आदमी लग पाएंगे इतने और न जल्दबाजी में कुछ हो पाएगा। वहीं से भरवा के ले आओ और फिर उसके बाद वहीं टंगवाओ उनके कमरे में और कह दो इसको देखते रहो, पढ़ते रहो कि इकरारनामा हमने भरा है, हमने वादा किया है, प्रतिज्ञा किया है तब वो करेंगे;* नहीं तो भैया यह मन मानने वाला नहीं है। बड़ा पापी यह मन सांवरिया रे। इसको बड़े-बड़े नहीं जीत पाए। ऋषि, मुनि, योगी, योगेश्वर सब इसी के आगे झुक गए और उसी में फंसे रह गए। अभी ऊपर तक नहीं पहुंच पाए। कोई यहां अटका है, कोई वहां अटका पड़ा है, कोई वहां अटका पड़ा है, पूछो साधकों से। इसी में बैठे हैं। न मालूम हो मैं बता दूं, कितने लटके पड़े हुए हैं और अभी तक वहां तक नहीं पहुंच पाए। और गुरु का दर्शन जब हो जाता है अंदर में और पूछ बैठते हैं तो गुरु सब बताते हैं। मनुष्य शरीर में रहते हैं तो भी बताते हैं और यहां से जाने के बाद वहां मिलते हैं पूछो तो वहां भी बताते हैं।
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