Jaigurudevukm
June 20, 2025 at 12:47 PM
*जयगुरुदेव* सतसंग लिंक - https://www.youtube.com/live/gCHU-STyvw4?si=YpBnBU5ocNgNsWTr समय का संदेश 17.06.2025 सायंकाल बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, नावदापंथ, इंदौर *1. जगह जगह पर 24 घंटे और 5 घंटे की साधना शिविर लगाने की योजना बनाओ।* 27:28 - 32:35 देखो! जितने कार्यकर्ता हो आप, आप सब लोग ऐसी योजना आज बना लो। कैसी योजना बना लो? कि हम जगह-जगह पर 24 घंटे की साधना शिविर लगवाएंगे, नई-नई जगहों पर लगवाएंगे, नई जगहों पर अगर नहीं हो पाएगा तो पुरानी जगहों पर जहां लग चुका है और रोज का 5 घंटे का चल रहा होगा, उसी को 24 घंटे का कर देना। पुरानी जगह पर जहां-जहां पर सभी शिविर लगी है, वहां ये 5 घंटे का भी चल सकता है, क्योंकि लगातार 24 घंटा जो बैठे हैं, उनका मन लग गया है। वो लोग अगर तुरंत शुरू कर देंगे तो वो लोग बैठने लग जाएंगे। *5 घंटे का वहीं चालू करा दो और उसी को फिर 24 घंटे का कर देना। फिर ये जो 5 घंटे वाला है, इसको आप जहां-जहां रहेगा, हिसाब बन जाएगा; वहां 24 घंटे का कर देना।* लिखते जाओ, जो पढ़े-लिखे लोग हो और नहीं तो ये रिकॉर्ड कर रहे हैं, इसी को फिर से सुन लेना। तो आप वहां पर 24 घंटे का करा दो। कहां पर? जहां-जहां पर 5 घंटे का चल रहा है। जहां 24 घंटे का न लग पावे और 24 घंटे का जहां लगे, वहां पर दूर के लोग न पहुंच पावें तो वहां 5 ही घंटे का चलाते रहना। ये तो शहरों में व्यवस्था बन जाए। और आप लोग इसको रिले कर देना। भेज रहे हो? या भेजोगे? भेज देना इसको, और लोग सुन लेंगे। लाइव कर रहे हो? लाइव हो रहा है। लाइव हो रहा है तो इसको सुन लेंगे, इसको बता देंगे जिम्मेदार लोग। इसको चलाओ (व्यवस्था को)। गांव के जो लोग हो, गांव के जो लोग आप आए हो, तहसीलों के जो लोग आए हो, आप लोग देखो! ऐसे नहीं चला पाओगे। कार्यकर्ता बढ़ाने पड़ेंगे आपको, जिम्मेदार बढ़ाने पड़ेंगे। यहां शहर में भी जिम्मेदारी देनी पड़ेगी और गांव में भी जिम्मेदारी देनी पड़ेगी लोगों को। जैसे 4 भागों में शहर बांटा जाता है तो *5-5 आदमी इस काम के लिए नियुक्त कर दिए जाएं। तो 20 आदमी हो गए और वो अगर जरूरत समझेंगे कि इस क्षेत्र में ज्यादा सतसंगी और ज्यादा लग सकता है तो 5-5 आदमी उन क्षेत्रों में बना दो, जो यही काम करें - साधना शिविर लगवायें, जगह देखें, लोगों को समझावें। सुमिरन-ध्यान-भजन समझावें और उनको करवाएं तो ये काम यहां शहर में भी करना पड़ेगा।* गांव में आप देख लो कि आपके जिला में कितने तहसील हैं, उन तहसीलों में कहाँ-कहाँ आदमी हैं, वहां पर 5-5 आदमी बना दो। अगर एक गांव में कम है, दूसरे आस-पड़ोस के गांव में ज्यादा है, तीसरे गांव में ज्यादा है तो ब्लॉक स्तर पर बना दो 5 आदमी। 5-5 आदमी वहां भी बना दो, जगह-जगह। हर तहसील में कम से कम 5-5 आदमी सब जगह बन जाए। पूरे देश में बन जाए 5-5 आदमी। उसकी व्यवस्था, ये सब व्यवस्था करने वाले जिम्मेदार लोग हैं, केंद्रीय लोग और प्रांतीय लोग; ये सब करवाएंगे आपकी। उसका सब हिसाब-किताब बता देंगे। लेकिन आदमी जब तक नहीं बढ़ेंगे तब तक आप सब जगह पहुंच नहीं पाओगे , क्योंकि सबके पास इतना समय नहीं रहेगा। 5 आदमी आप जिनको नियुक्त करोगे, वो 24 घंटे के आदमी तो बन नहीं पाएंगे। वो तो अपने बच्चों को भी देखेंगे, गृहस्थी को भी देखेंगे लेकिन आदमी जब ज्यादा हो जाएंगे तो टेलीफोन से, ऑनलाइन से; ये तमाम सिस्टम बने हुए हैं। उससे खबर पहुंच जाएगी। फिर वो दूसरा उसको पहुंचा देगा। फिर अगर वहां पर कोई टेलीफोन नहीं है, टेलीफोन काम नहीं कर रहा है तो पातीदूत के द्वारा संदेशा पहुंच जाएगा। पातीदूत किसको कहते हैं? डाकिया जानते हो? चिट्ठी लाते हैं। ऐसे ही एक को चिट्ठी लिखकर दे दिया और वो दूसरे गांव में पहुंचा देगा, फिर वो तीसरे गांव में पहुंचा देगा; बस खबर पहुंच जाएगी। जिम्मेदार लोग ये सब बताते रहते हैं, उनसे आप समझ लो। मुख्य चीज है कि रुचि आपकी बढ़नी चाहिए। रुचि आपकी बढ़ जाए। *2. हम तो अपना फर्ज अदा करते हैं लेकिन आप बात नहीं मानोगे तो उसको आप भोगो।* 38:01 - 43:36 बात नहीं मानोगे तो नुकसान किसका होगा? हम तो अपना फर्ज अदा करते हैं और आप लोग नहीं मानोगे, नहीं समझोगे तो आप तो नहीं समझते हो और जो जिम्मेदार लोग हो, उनको नहीं समझा पाते हो तो ये आपकी कमी है आप जानो, उसको आप भोगो, जो बात को ना मानो उसको आप भोगो, हम क्यों भोगे? हम तो भोग ही रहे हैं। हमने जो छूट दे दिया, सख्ती नहीं किया, उसकी वजह से हम बीमारी झेल रहे हैं। हमारे कर्म कोई बहुत ज्यादा नहीं है हमको मालूम है, ये दूसरों के ही कर्म हमको परेशान कर रहे हैं। इसीलिए तो भैया हम हाथ जोड़ते हैं अब तो कि हमको अब आप माफी दो, अब आपके कर्म जाने आप जानो। आप जानो अपने कर्मों को काटना। मैं तो बता दे रहा हूं कि इस तरह से आपके कर्म कटेंगे और अगर ना कर पाओ आप तो आप भोगो। हमको उससे मतलब नहीं है। हमारा काम यह है कि हम आपको बतावे, समझावे, जो हो सके करावे। सुबह से ही लगा हूं, बोल ही रहा हूं। हिम्मत नहीं पड़ रही थी बोलने की लेकिन आना पड़ा। क्यों आना पड़ा? गुरु के आदेश के पालन के लिए, गुरु महाराज ने कहा था प्रेमियों! कि संभाल करनी है इनकी और नए लोगों को नामदान देना है। नए लोगों को नामदान भी देने में कोई कोताही नहीं बरती और लोगों की संभाल भी खूब किया। इतने लोग बैठे हो, कोई कह दो कि हम बाबाजी के पास (हमारे पास), हमारे उज्जैन आश्रम पर या कार्यक्रमों में जाते रहे और हमको फायदा नहीं हुआ है। कुछ ना कुछ सब को लाभ मिल जाता है, फायदा हो जाता है। तो आप तो अपना दुख छोड़ जाते हो और सुखी होकर चले जाते हो। भोगेगा कौन? हम ही को तो भोगना पड़ेगा। तो भैया अब हम भोगने वाले नहीं हैं। नामदान देने में भी कोताही नहीं बरता। कोताही किसको कहते हैं? कंजूसी नहीं किया। जो आ गया उसी को नाम दान दे दिया। लेकिन कीमत लगाया? *इतने इसमें सब नामदानी बैठे हैं, ये कोई भजन-ध्यान करती हैं औरतें? या तो यह समझ नहीं पाती हैं मेरी बातों को और या तो आप जिम्मेदार लोग समझा नहीं पाते हो। आप लोग पति-पत्नी दोनों आते हो कार्यक्रमों में, पति समझ जाता है, पत्नी समझ नहीं पाती है, समझा नहीं पाते हो तो भोगो, दोनों भोगो। एक का सिर दर्द करेगा, तो दूसरे को दबाना पड़ेगा कि नहीं पड़ेगा? एक को बुखार होगा, तो दूसरे को अस्पताल ले जाना पड़ेगा कि नहीं ले जाना पड़ेगा? तो भोगो अब क्या करें? हम अब भोगने वाले नहीं हैं, बंद कर दिया नामदान।* नामदान बंद कर दिया है और देखो! यह लाइव कर रहे हैं, पूरे हिंदुस्तान के लोग सुन रहे होंगे या बाहर के भी सतसंगी जो विदेशों में हैं वह भी सुनते हैं। अभी नहीं सुन पा रहे होंगे तो उसमें खत्म नहीं होता है। YouTube पर पड़ा रहता है, उसको सर्च करते हैं फिर सुनाई पड़ जाता है। तो सब लोग सुन लो। *अगर बात नहीं मानोगे और रोज अगर नहीं बैठोगे और ये पांच घंटे के साधना शिविर में अगर नहीं बैठोगे, नहीं शरीफ होओगे और नहीं लगवाओगे और ये 24 घंटे वाला गुरु पूर्णिमा तक नहीं लगवाओगे तो गुरु पूर्णिमा में भी कोई उम्मीद ना करो कि नामदान हो जाएगा और अगर आप अपनी जिद पर रहोगे और मेरे बात को अगर नहीं मानोगे और जिनके अंदर नामदान लेने की इच्छा जगी हुई है कि हमको जल्दी से रास्ता मिल जाए। हमारे जीवन का एक-एक मिनट का समय यह निकला चला जा रहा है। जिनको रास्ता मिल गया है। लेकिन उनके अंदर तड़प जो बनी हुई है। आप कहोगे कैसे पता चला? मैं बता दूं आपको और चले जाओ रो रहे हैं। पूछ आओ, चले जाओ हम बता दे। यहां नहीं नजदीक में आपके इंदौर के, चले जाओ बंगाल, चले जाओ बिहार, चले जाओ जहां से लोग आए थे भंडारे में और नामदान नहीं मिला; तड़प रहे हैं बेचारे कि कब नामदान मिल जाए। तो वो जो उनकी तड़प है, उनकी जो आह है, वो भी आपको लगेगी अगर आप ये बात को नहीं मानोगे और नहीं कराओगे और गुरु पूर्णिमा में नामदान नहीं हुआ तो उसकी जो जिम्मेदारी है ये पुराने लोगों पर होगी; इस बात को जान लो, उनका भी आपको लादना पड़ेगा, भोगना पड़ेगा। अपना तो भोग ही नहीं पाते हो, अपने आपके पापों की गठरी इतनी बड़ी हो गई है कि उसको तो आप उठा ही नहीं पाते हो, तो उनके उठा पाओगे? दब जाओगे, पड़े रहोगे ऐसे ही। इसलिए देखो कड़ी बात इसको कह रहा हूं, बात को सब लोग मान लो और अगर ये देश में सब जगह खबर पहुंचा दो इसका कि भाई बाबा ने ऐसी सख्ती से कहा है और बात को मान लोगे; साधना शिविर जगह-जगह पर अगर लगवा दोगे, तो गुरु पूर्णिमा में नामदान हो जाएगा।
🙏 9

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