Jaigurudevukm
June 21, 2025 at 02:37 PM
*जयगुरुदेव* सतसंग लिंक - https://youtu.be/x5Wh1sRGE2M?si=8ZbfhZKtHsKK4U58 समय का संदेश 20.06.2025 सायं 7.30 बजे बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन *1. जिन कार्यकर्ताओं को गुरु की दया की मिठास मिल गई है, सबको यह लक्ष्य बनाना चाहिए कि जितने भी नामदानी हैं, सब भजन करने लग जाए।* (5.09-9.01) प्रेमियों! *अपने लोगों को जो बड़ा काम करना है, जिससे सब को सुख-शांति मिल जाए, जिससे सब को दोनों समय रोटी, भोजन जिसको कहते हो वह मिल जाए, तन ढकने के लिए कपड़े की कमी न हो, रहने के लिए घर की कमी न हो, कम मेहनत में ही अन्न उपजने लग जाए, कम मेहनत में ही ज्यादा आमदनी होने लग जाए, कम मेहनत में ही अपना काम होने लग जाए, शांति मिल जाए, सुकून मिल जाए और आत्मा का कल्याण हो जाए।* ये जो बड़ा काम है, जो सबके लिए हो जाए, सबके लिए सुगम आसान हो जाए; उसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी। जितने भी नामदानी हो, जितने भी सतसंगी हो, कार्यकर्ता हो जिनको कुछ दया का आभास हो गया है, अनुभव हो गया है, गुरु की दया की मिठास मिल गई है; आप लोगों को सबको यह लक्ष्य बनाना चाहिए, उद्देश्य बनाना चाहिए, यह निशाना बनाना चाहिए कि जितने भी नामदानी है सब भजन करने लग जाए, कोई भी भजन से वंचित न रह जाए। यह सोच बनानी पड़ेगी, ऊंची सोच बनानी पड़ेगी। बड़ा काम करने के लिए बड़ी सोच बनानी पड़ेगी। तो कहोगे कि भाई हम कैसे बनावे, हम तो जानते नहीं है, ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है, ज्यादा अक्लमंद नहीं है क्योंकि यहां अपनी संगत में हर तरह के लोग हैं। पढ़े-लिखे भी हैं, अक्लमंद भी हैं, कढ़े भी हैं। कढ़े किसको कहते हैं? पढ़े कम रहते हैं लेकिन हर क्षेत्र का अनुभव होता है, हर चीज की जानकारी होती है। ऐसे लोग भी हैं लेकिन ज्यादातर लोग सीधे-सादे सरल स्वभाव वाले हैं तो आप सरल स्वभाव वाले सीधे लोग, कम पढ़े-लिखे हो मान लो, शहरों में कभी-कभी पहुंच पाते हो। कुछ ऐसे भी हैं जो बुजुर्ग कभी पहुंचे ही नहीं होंगे, जहां पर उनका जिला है, जहां पर उनका प्रांत है वहां पर पहुंचे ही नहीं होंगे। जहां पर प्रांत का कार्यालय है, विधानसभा लगती है; वहां पहुंचे ही नहीं होंगे। तो कहोगे कि हम कैसे करें? क्या करें? कर सकते हो आप। जितने भी लोग हो सब कर सकते हो। इसलिए इन चीजों को मैं मंच से बताने लगा हूं कि हर किसी के पास तक अपनी ये योजना पहुंच जाए और लोगों को भजन में लगाया जाए और खुद भी लगा जाए क्योंकि माहौल का असर होता है। मान लो बहुत गंदा माहौल है, जहां गाना-बजाना ही होता रहता है, जहां हू-हल्लाह ही होता रहता है तो वहां तो आदमी अभ्यास नहीं कर सकता लेकिन जो शांत एरिया है, एक विचारधारा के लोग हैं, एक तरह के लोग हैं, एक जैसा खानपान है; वहां तो भजन करो, शांति प्राप्त करो, वहां तो कोई दिक्कत नहीं है। *2. साधना शिविर जब घर-घर में जहाँ-जहाँ सतसंगी हैं, नामदानी हैं लगेगा, तब अपना उद्देश्य पूरा होगा* (9.04-11.04) तो सबको यह चाहिए कि इसका विस्तार करें। किसका? संदेश का, साधना शिविर लगवाने का। *ज्यादा जगहों पर लगने लग जाए। जहां संगते ज्यादा हैं, बड़े गांव हैं, हर गांव स्तर पर लगने लग जाए और कुछ समय के बाद में जो काफी बड़े गांव हैं, उनमें घर-घर में लगने लग जाए* क्योंकि अपने बड़े गांव में ही एक कोने से दूसरे कोने तक लोगों का पहुंच पाना भी बहुत मुश्किल है और भारत देश में और उत्तर प्रदेश में एक ऐसा भी गांव है, पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक जिला है गाजीपुर जिसमें गहमर एक गांव है। गहमर में एक कोने से दूसरे कोने में जाने में घंटों लग जाते हैं। गांव का आदमी गांव को ही नहीं पहचानता है, किसी को नहीं पहचानता है। उसमें कई तो प्रधान हैं। हमारा जो एम.एल.ए क्षेत्र भी लगता है उसी में। उसमें करीब 1500 रिटायर्ड सिपाही-अधिकारी ये-वो। उसी में वहीं के एक जज साहब (गुरु महाराज के शिष्य) कई बड़े अधिकारियों को तो मैं ही जानता हूं गहमर के। कोई कमिश्नर रहे हैं, कोई कुछ रहे हैं; बहुत बड़ा गांव है। ऐसे जगहों पर जब मोहल्ले वाइस लगेगा, घर-घर लगेगा, जहां सतसंगी हैं, नामदानी हैं तब अपना लक्ष्य पूरा होगा, उद्देश्य पूरा होगा।
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