Jaigurudevukm
June 21, 2025 at 09:38 PM
*जयगुरुदेव* सतसंग लिंक - https://youtu.be/x5Wh1sRGE2M?si=8ZbfhZKtHsKK4U58 समय का संदेश 20.06.2025 सायं 7.30 बजे बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन *5. आप लोग कमेटियां बनाना शुरू कर दो, ज्यादा से ज्यादा कमेटी बन जाए गुरु पूर्णिमा तक इस बात की कोशिश करो* (15.20-19.36) इस वक्त पर जितने भी जिम्मेदार हो आप लोग, आप लोग कमेटियां बनाना शुरू कर दो, ज्यादा से ज्यादा कमेटी बन जाए गुरु पूर्णिमा तक इस बात की कोशिश करो और ये कमेटियां बन जाएंगी तो आपको व्यवस्था करने में भी आसानी हो जाएगी। *अभी तो पूछा जाए आपसे कि आपके कितने आदमी जिला से आ रहे हैं, प्रांत से कितने आदमी आ रहे हैं, तो शहीद डाटा ही आपको नहीं मिल पाएगा क्योंकि व्यवस्था नहीं बनी है।* जहां व्यवस्था बन गई है; देश में ऐसे भी कुछ गांव हैं जहां व्यवस्था बन गई है कि घर-घर स्तर का एक-एक आदमी तैयार हो गया। अब उससे यह जो ऑनलाइन की व्यवस्था बन गई है, जो आईटी वाले हैं, जब पूछेंगे कि भाई आपके परिवार से कोई चल रहा है? कितने लोग चल रहे हैं गुरु पूर्णिमा में? कितने लोगों को फॉर्म भरवाया आपने नामदान दिलाने के लिए? तो पता चल जाएगा कि नहीं कि इनके घर से तीन जा रहे हैं, एक जा रहा है, बड़ा परिवार है; कोई कहेगा भाई हम आठ आदमी जा रहे हैं, कोई कहेगा हमारा पूरा परिवार जा रहा है, कोई कहेगा हम 20 आदमी तैयार किए हैं, कोई पांच आदमी, कोई दो आदमी फॉर्म भरवा दिया है हमने, तो प्रेमियों समझो आप कि पता चल जाएगा कि नहीं चल जाएगा? अरे ! जिम्मेदारों को यह सोचना चाहिए कि उनको मालूम हो जाएगा कि नहीं हो जाएगा कि हमारे जिला से इतने लोग जा रहे हैं? अब वो जो भजन करते हैं, उनमें से जब बना दोगे आप, लोगों को, तो *वो भजन की वैल्यू समझते हैं, वो सेवा का भी महत्त्व समझते हैं; उसी में से सेवादार निकल आएंगे और जो पहुंच जाएंगे गुरु पूर्णिमा में; टेंट लगवा देंगे, भंडारे की व्यवस्था करा देंगे, भंडारा चला देंगे; सब काम आपका हो जाएगा।* तो जिम्मेदारों को इस बात को सोचना चाहिए कि भाई हमारी जिम्मेदारी कम हो जाएगी और हमको कोई वहां दिक्कत नहीं आएगी कि हमने इंतजाम 2000 आदमियों का किया और आ गए 3000 आदमी, 4000 आदमी तो हम कहां रखें, क्या करें, बड़ी मुश्किल, परेशानी आ जाती है; हर तरह की पानी, बिजली, लैट्रिन, खाने-पीने की, सब की जरूरत कैंपों में भी आदमी को पड़ती है, जहां जाता है वहां भी पड़ती है तो व्यवस्था कैसे हो पाती है? बहुत मुश्किल हो जाता है, खींचा-तानी हो जाती है। बारिश का मौसम है, बारिश आ जाती है तो सिर छुपाने की जगह नहीं रह जाती है; तो ये सब समस्याएं दूर हो जाएंगी, इससे समस्या दूर हो जाएगी आपकी ऐसी योजना बनाओ आप लोग। ज्यादा से ज्यादा कमेटी बना लो और यह व्यवस्था बना लो, कमेटी वालों को आप सब लोग यह बता दो कि आपका यह काम है। कमेटी बना दिया, उनको पता ही नहीं क्या काम है, इस समय यही काम दे दो कि पता लगा ले सब लोग कि कितने लोग चल सकते हैं, वहां चलेंगे गुरु पूर्णिमा में। कितने नामदानियों का फॉर्म भरवा दिया है, कितने लोगों को वो ले चलेंगे नामदान दिलाने के लिए और भंडारा बनाने वाले कितने सेवादार मिल जाएंगे, वहां सेवा करने वाले कितने निकल आएंगे साधकों में से, ये सब मालूम हो जाएगा, उसकी लिस्ट बन जाएगी। तो एक कहावत है कि *"एक तीर में कई निशाना बन जाता है" "एक लक्ष्य में, एक उद्देश्य में कई समस्याएं सुलझ जाती हैं" तो सुलझेंगी आपकी कि नहीं सुलझेंगी?*
🙏 ❤️ 😢 8

Comments