Jaigurudevukm
June 22, 2025 at 02:05 AM
*जयगुरुदेव*
सतसंग लिंक - https://youtu.be/x5Wh1sRGE2M?si=8ZbfhZKtHsKK4U58
समय का संदेश
20.06.2025 सायं 7.30 बजे
बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन
*9. अपनी-अपनी व्यवस्था के हिसाब से चलना है। इसके बारे में लोगों को बताना है।*
(25.13-30.38)
सबको पहले से ही बताए रहो कि भाई अपनी-अपनी व्यवस्था के हिसाब से चलना है तो *थोड़ा-बहुत खाने-पीने के लिए ऐसी चीजें रख लेनी है जो सूखी चीज है, कई दिन तक खराब न हो* । जरूरत पड़ने पर समय से भोजन न मिल पावे तो उन्हीं चीजों को खा करके, पानी पी करके आप काम में लग जाओ, चाहे भजन हो या सेवा हो; कमजोरी उसमें न आवे। तो ये व्यवस्था बनानी है। इसके बारे में भी लोगों को बताना है। देखो प्रेमियों! कोई मोमजामा कहता है, कोई प्लास्टिक कहता है, *कोई इंग्लिश में पॉलीथिन कहता है; ये क्या होता है? यही बिछाने वाला तिरपाल। मोटा भी आता है, पतला भी आता है। पतला तो एक-एक हर किसी को अपने बैग में रख लेना चाहिए, झोला में रख लेना चाहिए* । बड़े काम की चीज है, कहीं भी बिछा लो; बरसात का मौसम है ओढ़ लो जब बारिश आ जाए, ठंडी लगे तो ओढ़ लो, कपड़े भीग जाए बारिश में तो उसी को लपेट लो, लपेट के बांध लो, ना बंध पावे तो रस्सी से बांध लो, तो कम से कम इज्जत तो बची रहेगी, आबू तो बचा रहेगा। गीले कपड़े पहनोगे तो ठंडी लग जाए, बुखार आ जाए, उससे तो बचे रहोगे, तो बड़े काम की चीज है। देखो प्रेमियों! मोटर खराब हो गया, टैंकर खराब हो गया, भीड़ में टैंकर फंस गया, पानी की कमी हो गई, आपके कैंप तक नहीं पहुंच पाया लेकिन पानी भरे रखे रहोगे तो कम से कम पी तो लोगे, प्यास तो बुझ जाएगी, क्योंकि पानी भी शरीर के लिए जरूरी रहता है और खाली पेट में भी तकलीफ होती है, मर्ज बढ़ता है, कमजोरी आती है, तो कुछ पड़ा रहना चाहिए पेट में। तो ये व्यवस्था जब अपनी रहेगी, ठंडी तो वहां होती नहीं है, गर्मी रहेगी हल्का-फुल्का कुछ बिछाने-ओढ़ने का, पहनने का कपड़ा यह तो अपना रखना ही चाहिए। पहनने का कपड़ा तो आप रखते हो लेकिन कुछ अपना इंतजाम होना चाहिए। कहां इतने आदमियों के लिए व्यवस्था हो पाएगी कि गद्दा होना चाहिए, ठंडी आ जाए, रजाई होना चाहिए, बरसात आ जाए, ओढ़ने का होना चाहिए। बचत की उपाय होनी चाहिए। संख्या जब बढ़ जाती है तो दिक्कत आती है। इन दिक्कतों से अगर सब लोग आप पहले से इंतजाम कर रखोगे तो आपको दिक्कतें नहीं आएंगी, निश्चिंत रहोगे, भजन में भी मन लगेगा, गुरु महाराज की दया हुई सत्संग हुआ तो सतसंग में भी मन लगा रहेगा; तो यह सब आप पहले से योजना बना लो और जो लोग YouTube पर सुनते हो, जो लोग जिम्मेदार हो, बताते हो लोगों को तो आप लोगों को यह चाहिए कि जो लोग नहीं सुन पाते हैं, गांव में दूर दराज रहते हैं, वहां पर जो कमेटी बना दो, उन कमेटी वालों को बता दो, वो सब को बता देंगे। तो सब जान जाएंगे इस चीज को, क्योंकि अगर खबर नहीं पहुंच पाती है लोगों तक तो भी काम नहीं हो पाता है, तो वो बेचारे जो गांव के सीधे-साधे लोग हैं उनके समझ में जल्दी आ जाता है, वह जल्दी बात को पकड़ लेते हैं और अपना इंतजाम करके आते हैं। तो आप ये समझो कि वही लोग ज्यादा भूखे रह जाते हैं कि जो अपनी व्यवस्था नहीं रखते, वही प्यासे रह जाते हैं, उन्हीं को दिक्कत होती है ओढ़ने-बिछाने की। जो बड़ा आदमी बन कर के चले जाते हैं और बाकी जो अपने सब इंतजाम करके आते हैं तो वो सुखी रहते हैं; वो सेवा भी कर लेते हैं और भजन में भी उनका मन लग जाता है, उनको दोनों लाभ मिल जाता है। लाने के लिए थोड़ा सा तो रहता है, सामान तो लाना रहता है लेकिन आ जाता है, उसमें ऐसे भी लोग मिल जाते हैं जो मदद कर देते हैं; किसी के पास सामान ज्यादा है, किसी के पास कम है तो कम वाले मदद भी कर देते हैं। मदद कर भी देना चाहिए। हम लोग भी मदद करते थे लोगों का बिस्तर पहुंचा देते थे टेंट तक, तांगा से उतार करके वहां रख देते थे, लोगों के बस तक पहुंचा देते थे; सब करते थे सेवा। *सेवा तो गुरु महाराज के दया से हर तरह से मिली, हर तरह का अनुभव रहा है, गुरु महाराज ने कराया है; जमीनी स्तर की सेवा से लेकर के और मंच तक देखो, उपदेश करने का भी दया गुरु महाराज ने दिया, सब बताया, सब सिखाया।*
*10. जो छोटी-बड़ी सेवा करने में कोई संकोच नहीं करते हैं, वही आगे तरक्की कर जाते हैं*
(30.40-31.43)
सीखने की इच्छा जब रहती है, करने की जब इच्छा रहती है नौजवानों की, तब वो सब सीख जाते हैं "कर ले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिंदगानी में"। उन नौजवानों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है जो शुरू से ही आरामतलब हो जाते हैं, जो सेवादार हो जाते हैं, सेवा का भाव हो जाता है, छोटी-बड़ी सेवा करने में कोई संकोच नहीं करते हैं, वही आगे तरक्की कर जाते हैं, उन्नति कर जाते हैं और खजो बड़े आदमी बनने का घमंड रखते हैं, ज्यादा पढ़-लिख लेने का घमंड रखते हैं, अपने सुंदरता का, कपड़े-लत्ते का घमंड रखते हैं वो सब जगह पिछड़े ही लाइन में रहते हैं, तरक्की उतनी नहीं कर पाते हैं। तो आपको यह बात सब समझने की जरूरत है, ये सब व्यवहारिक बातें बताना आज हमने आपको उचित समझा इसलिए बता दिया।
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