Jaigurudevukm
June 22, 2025 at 09:05 AM
*जयगुरुदेव* सतसंग लिंक - https://youtu.be/x5Wh1sRGE2M?si=8ZbfhZKtHsKK4U58 समय का संदेश 20.06.2025 सायं 7.30 बजे बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन *3. साधना शिविर के विस्तार के लिए ज्यादा आदमी चाहिए* (11.05-13.33) तो आदमी तो चाहिए। करने वाला चाहिए, कराने वाला चाहिए। अब मान लो जिले में, प्रांत में 5 आदमी कार्यकर्ता थे, जिम्मेदार थे और अभी तक वो काम करते थे, जो कर पाते थे। काम भी कम रहता था लेकिन अब ये जब विस्तार हो रहा है तो इसके लिए तो आदमी चाहिए ही चाहिए, जिम्मेदार तो चाहिए ही चाहिए। तो जहां जैसी संगते हैं, जहां नामदानियों की जैसी संख्या हैं; वहां उसी तरह से व्यवस्था बनानी पड़ेगी। देखो प्रेमियों ! आप जिला के जिम्मेदार हो पहले से सेवा कर रहे हो, आप प्रांत के जिम्मेदार हों पहले से सेवा कर रहे हो; आप लोग ऐसी व्यवस्था बनाओ कि जिस जिला में ज्यादा लोग हैं, उसको चार भागों में बांट दो और चारो भागों के 5-5 आदमी जिम्मेदार बना दो। 5 आदमियों की कमेटी बना दो। अब चारों भागों में बांट दिए तो 20 आदमी हो गए और वो 20 आदमी क्या करें? 5-5 आदमी एक क्षेत्र के क्या करें? अपने-अपने एरिया जहां तक बंटे कि यहां से यहां तक का, इन-इन तहसीलों का ये देखेंगे, इस मोहल्ले का, शहर में ये देखेंगे; वो उसको चार भागों में बाट दें। फिर 5 आदमी उसमें बना लें। तो भी अगर ज्यादा सतसंगी हों, ज्यादा घर हों तो फिर वो 5-5 बना लें, फिर वो लोग घर-घर बना देंगे। *घर-घर एक-एक आदमी मुखिया बना देंगे। घर-घर एक-एक आदमी प्रेरणा देने वाला, समझाने वाला बना देंगे कि भाई साधना शिविर वहां लग रही है। वहीं घर-घर के जिम्मेदार 10 घर वाले हैं मान लो और दसों में एक-एक बना दिए गए, दस लोग मिलकर राय बना लें कि भाई किनके यहां साधना शिविर लग सकती है, वहां साधना शिविर लगा दें और अपने-अपने घर के लोगों को ले आ कर के अखंड साधना शिविर में बैठा दें।* *4. पांच-पांच घंटे की तो रोज लग जाएगी।* (13.33-15.18) अब आप कहोगे कि 24 घंटे की रोज साधना शिविर लगेगी नहीं तो पांच-पांच घंटे की तो रोज लग जाएगी और लगनी शुरू हो गई; अपने जितने बड़े आश्रम है सब जगह लगने लग गई और छोटे आश्रमों पर भी आप लोग व्यवस्था बना दो; जहां उठने-बैठने की जगह है वहां बना दो। जो जिम्मेदार हो प्रांत के, जिले के, जिन जिलों में जिम्मेदार लोग हो, वो मिलकर के, प्रांत के लोगों से सलाह लेकर के, मदद लेकर के, वहां भी व्यवस्था बना दो तो वहां भी पांच घंटे का रोज लगातार चलेगा। तो *जब आदमी जाएगा, बैठने की आदत बनेगी और लगातार दो-ढाई घंटा बैठेगा और मन ये रुकने लगेगा, खान-पान चाल-चलन बिगड़ेगा नहीं उसका, अपनी-अपनी गलती की माफी मांगने लग जाएगा और जो गलती किया है, वो जो कर्म इकट्ठा है, भजन में मन नहीं लगता है, जब वह कटने लग जाएंगे, खुद वो अच्छा महसूस करने लग जाएगा, हल्का हो जाएगा और फिर जैसे कर्म कटेंगे वैसे मन रुक जाएगा और चढ़ाई हो जाएगी ऊपर। जो काम के लिए जाएगा कि हमारी आत्मा, परमात्मा तक पहुंच जाए, ऊपरी लोकों में आने-जाने लग जाए, वो काम प्रेमियों विश्वास करो, पूरा हो जाएगा।*

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