
नीरज कौशिक-एक साधारण स्वयंसेवक
June 20, 2025 at 11:05 PM
'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- दीन, जिसका अर्थ है- दरिद्र, गरीब, धर्म, मत। प्रस्तुत है सुमित्रानंदन पंत की कविता- मैं हूँ उनका जीवन संबल!
जो दीन-हीन, पीड़ित, निर्बल,
मैं हूँ उनका जीवन संबल!
जो मोह-छिन्न, जग से विभक्त,
वे मुझ में मिलें, बनें सशक्त!
जो अहंपूर्ण, वे अन्ध-कूप,
जो नम्र, उठे बन कीर्ति-स्तूप!
जो छिन्न-भिन्न, जल-कण असार,
जो मिले, बने सागर अपार,
जग नाम-रूपमय अन्धकार,
मैं चिर-प्रकाश, मैं मुक्ति-द्वार!
