
रंगोली (Rangoli) 🌈
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About रंगोली (Rangoli) 🌈
काव्य शास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्। व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ।। "सत् साहित्य अनुशीलन, शास्त्र भगवान के श्रवण/ पठन करते हुए प्रसन्नता के साथ सार्थक समय व्यतीत करना, बुद्धिमत्ता है। कलह, निद्रा और दुर्व्यसन में, निरर्थक समय बिताना, मूर्खता का लक्षण कहा गया है।"
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।।अथ श्री पूर्णानन्दपञ्चकस्तोत्रम्।। तपःकृशाङ्गो धर्मिष्ठो विरक्तो ब्रह्मचर्यधृक्। काषायवस्त्रसंवीतः पूर्णानंदं नमाम्यहम्॥१।। नर्मदे हर उद्घोषं यस्यासीत् सततम् मुखे। रेवास्नानव्रतीनित्यः पूर्णानंदं नमाम्यहम्॥२।। सपादकोटिगायत्रींजप्त्वा सिद्धिमवाप्तवान्। तीर्थाटनप्रवृत्तश्च पूर्णानन्दं नमाम्यहम्॥३।। रामायणरसास्वादतत्परो यो अहर्निशं। निष्प्रपंचो निवृत्तात्मा पूर्णानन्दं नमाम्यहम्॥४।। निरान्नभोजी स्वात्मस्थः परब्रह्मपरायणः। पूर्णानन्दैकमनसः पूर्णानन्दं नमाम्यहम्॥५।। ।।फलश्रुतिः।। श्रद्धया पञ्चकमिदं यो वै पठति नित्यशः। श्रीपूर्णानन्दचरणे रतिर्वर्धति निश्चितम्॥ ।। इति श्री पूर्णानन्दपञ्चकस्तोत्रम् संपूर्णम्।।

॥ अथ श्रीपूर्णानन्दाष्टोत्तरशतनामावलिः ॥ पूर्णानन्दाय नमः।।१।। तपःकृशाङ्गाय नमः।।२।। त्रिपुण्ड्रभालभूषिताय नमः।।३।। भस्मचन्दनचर्चिताय नमः।।४।। सर्वाङ्गभस्मधारिणे नमः।।५।। जटाविन्यस्तमूर्धजाय नमः।।६।। दण्डत्रिशूलोपेताय नमः।।७।। कटिमेखलान्विताय नमः।।८।। काषायवस्त्रसंवीताय नमः।।९।। यतिवेषालङ्कृताय नमः।।१०।। यतिलक्षणसुसंपन्नाय नमः।।११।। यतिधर्मव्रतपरायणाय नमः।।१२।। यतिवराय नमः।।१३।। महायतये नमः।।१४।। वैराग्यरागरसिकाय नमः।।१५।। विरक्ताय नमः।।१६।। परमात्मानुरक्ताय नमः।।१७।। धर्मानुरक्ताय नमः।।१८।। धर्मिष्ठाय नमः।।१९।। तपस्विने नमः।।२०।। तपःसिद्धाय नमः।।२१।। महातपःप्रभावाढ्याय नमः।।२२।। श्रुत्यनुगामिने नमः।।२३।। व्रतप्रियाय नमः।।२४।। व्रतानुष्ठानशीलाय नमः।।२५।। दृढ़ात्मव्रतधराय नमः।।२६।। सिद्धव्रताय नमः।।२७।। सुतीर्थाटनशीलाय नमः।।२८।। तीर्थाराधनतत्पराय नमः।।२९।। रेवार्चकाय नमः।।३०।। रेवास्नानव्रतिने नमः।।३१।। रेवामाहात्म्यप्रबोधकाय नमः।।३२।। नर्मदाष्टकपाठानुरागिणे नमः।।३३।। नर्मदेहरघोषवक्त्राय नमः।।३४।। हरिहरनामप्रियाय नमः।।३५।। हरिहरनामोच्चारणशीलाय नमः।।३६।। मन्त्रार्चनप्रियाय नमः।।३७।। मन्त्रार्चनपरायणाय नमः।।३८।। गायत्र्युपासकाय नमः।।३९।। गायत्रीजपसंपन्नाय नमः।।४०।। सपादकोटिगायत्रीजपसिद्धाय नमः।।४१।। भगवत्भावविभाविताय नमः।।४२।। त्रयोदशाक्षरीमन्त्रोपदेशकाय नमः।।४३।। रामायणानुरागिणे नमः।।४४।। अहर्निशं रामायणरसास्वादनतत्पराय नमः।।४५।। वेदान्तविदुषे नमः।।४६।। वेदान्ततत्त्वज्ञाय नमः।।४७।। निवृत्तात्मने नमः।।४८।। निष्प्रपञ्चाय नमः।।४९।। निर्द्वन्द्वाय नमः।।५०।। नितांतनिरपेक्षिणे नमः।।५१।। निजलाभतुष्टाय नमः।।५२।। नित्यतृप्ताय नमः।।५३।। निरान्नभोजिने नमः।।५४।। फलाहारनिष्ठाय नमः।।५५।। नित्यध्यानैकतत्पराय नमः।।५६।। तेजस्विने नमः।।५७।। तत्त्वदर्शिने नमः।।५८।। ध्यानसमाधिनिष्ठाय नमः।।५९।। अलिप्ताय नमः।।६०।। आत्मचिन्तनरताय नमः।।६१।। आत्मचिन्तनविशारदाय नमः।।६२।। आत्मसाक्षात्कारिणे नमः।।६३।। स्वात्मबोधसंपन्नाय नमः।।६४।। स्वात्मस्थाय नमः।।६५।। आत्मारामाय नमः।।६६।। जीवन्मुक्ताय नमः।।६७।। ज्ञानयोगावस्थिताय नमः।।६८।। सुशान्ताय नमः।।६९।। सिद्धार्चकाय नमः।।७०।। सिद्धसंकल्पाय नमः।।७१।। सिद्धयोगिने नमः।।७२।। सिद्धाय नमः।।७३।। सिद्धसमाधिने नमः।।७४।। सत्संगप्रियाय नमः।।७५।। सत्संगशीलाय नमः।।७६।। सत्संगप्रदायिने नमः।।७७।। अव्याजदयानिधये नमः।।७८।। सद्भक्तानामनुग्रहकर्त्रे नमः।।७९।। निजाश्रयप्रदायिने नमः।।८०।। उत्तमशिष्यवृन्दशोभिताय नमः।।८१।। निजाश्रितकल्पद्रुमाय नमः।।८२।। भक्ताभीष्टप्रदायिने नमः।।८३।। नित्यमङ्गलवाचकाय नमः।।८४।। अज्ञानतिमिरनाशकाय नमः।।८५।। भवोद्धारकाय नमः।।८६।। लोकानुग्रहवपुषे नमः।।८७।। लोकानुग्रहकारिणे नमः।।८८।। लोकानन्दवितानिने नमः।।८९।। परमार्थबोधदायिने नमः।।९०।। यथार्थविदुषे नमः।।९१।। मायाजयिने नमः।।९२।। मायातीताय नमः।।९३।। महायोगिने नमः।।९४।। मुनिवर्याय नमः।।९५।। महामुनये नमः।।९६।। परमार्थपथगामिने नमः।।९७।। ब्रह्मचिन्तनतत्पराय नमः।।९८।। परब्रह्मपरायणाय नमः।।९९।। परमहंसाय नमः।।१००।। परिव्राजकाय नमः।।१०१।। पूर्णवैराग्यशालिने नमः।।१०२।। पूर्णानन्दैकमनसे नमः।।१०३।। पूर्णानन्दैकचित्ताय नमः।।१०४।। पूर्णतत्त्वप्रकाशकाय नमः।।१०५।। पूर्णानन्दमहात्मने नमः।।१०६।। पूर्णानन्दलीनात्मने नमः।।१०७।। पूर्णानन्दपरिपूर्णाय नमः।।१०८।। ।। इति श्रीपूर्णानन्दाष्टोत्तरशतनामावलिः संपूर्णम्।।