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About Shri NIKHIL

--- Hare Krishna 🙏🏻 _तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपिमतोऽधिकः कर्मिभ्यश्चाधिको योगीतस्माद्योगी भवार्जुन ॥_ (*श्रीमद भागवत गीता 6.46*) _tapasvibhyo 'dhiko yogī jñānibhyo 'pi mato 'dhikaḥ karmibhyaś cādhiko yogī tasmād yogī bhavārjuna||_ (*B.G 6.46*) --- *अर्थात*: "योगी तपस्वी से, ज्ञानी से, और कर्मी से भी श्रेष्ठ होता है। इसीलिए, हे अर्जुन! तुम योगी बनने का प्रयास करो।" *Meaning*: The yogi is superior to the ascetics, the wise, and even to those who engage in fruitive actions. Therefore, O Arjuna, strive to become a yogi ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ *Join Our WhatsApp Group*: https://chat.whatsapp.com/IjFzZXIfLGnCVtVFboLl9T *Contact on WhatsApp*: +91 8767332025 *Visit our Blog*: https://jivankishuddhta.in ---

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6/4/2025, 1:40:05 PM

https://youtu.be/wRkfUJZPNo4?si=504nwOTTBcJ-T3dI

🙏 2
Shri NIKHIL
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5/29/2025, 11:50:20 AM

🍃🌾🌾 29 मई 2025 *✨💧✨आज की प्रेरणा✨💧✨* 💫 *👌 जीवन का सर्वश्रेष्ठ संदेश 🙏* 👇 *पृथ्वी* पर कोई भी *व्यक्ति* ऐसा नहीं है जिसकी कोई *समस्या* न हो और पृथ्वी पर कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसका कोई *समाधान* न हो... 💫 *💞प्यारे दोस्तों ❗* 👇 *समस्या का समाधान* *इस बात पर निर्भर करता है* *कि* *हमारा सलाहकार कौन है*। ❓ 🤍 ये बहुत *महत्वपूर्ण* है क्योंकि *दुर्योधन* *शकुनि* से सलाह लेता था और *अर्जुन* *श्रीकृष्ण* से 👍🌹👍 *🕉️जय श्री राम🚩जय श्रीराधेकृष्ण🕉️* 💫 आप के आज का‌ हर पल सुखद एवं कल्याणकारी हो इन्हीं कामनाओं के साथ

👍 🙏 3
Shri NIKHIL
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5/21/2025, 11:48:28 AM

आदि शंकराचार्य जी कहते हैं विष्णु का अर्थ है व्यापक! विष्णु व्यापनशील हैं। इसका क्या अर्थ हुआ? इसका अर्थ है जो सारे ब्रह्माण्ड में व्याप्त हैं और सारा ब्रह्माण्ड जिनमें व्याप्त हैं, वो विष्णु हैं। व्यापनशील विष्णु से ही यह सारा जगत आच्छादित है। विष्णु ही जगत का विस्तार हैं और विष्णु में ही जगत का लय है। वह जगत के कण-कण में है। आदि शंकराचार्य जी विष्णु सहस्रनाम भाष्य में लिखते हैं:- स्तुत्वा विष्णुं वासुदेवं, विपापो जायते नर:। विष्णो: सम्पूजनान्नित्यं, सर्वपापं प्रणश्यति।। अर्थात्: सर्वव्यापक वासुदेव विष्णु की स्तुति करने से मनुष्य निष्पाप हो जाता है। भगवान विष्णु का नित्यप्रति पूजन करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् 🙏 विष्णु सहस्रनाम का शंकर भाष्य अप्रतिम है।

🙏 ❤️ 🌹 7
Shri NIKHIL
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2/9/2025, 6:25:43 PM

*👉आज की कहानी👈* एक बार की बात है किसी गाँव में एक पंडित जी रहते थे। वैसे तो पंडित जी को वेदों और शास्त्रों का बहुत ज्ञान था, लेकिन वह बहुत ग़रीब थे। ना ही रहने के लिए अच्छा घर था और ना ही अच्छे भोजन के लिए पैसे। एक छोटी सी झोपड़ी थी, उसी में रहते थे और भिक्षा माँगकर जो मिल जाता उसी से अपना जीवन यापन करते थे। एक बार वह पास के किसी गाँव में भिक्षा माँगने गये, उस समय उनके कपड़े बहुत गंदे थे और काफ़ी जगह से फट भी गये थे। जब उन्होने एक घर का दरवाजा खटखटाया तो सामने से एक व्यक्ति बाहर आया, उसने जब पंडित को फटे चिथड़े कपड़ों में देखा तो उसका मन घ्रृणा से भर गया और उसने पंडित को धक्के मारकर घर से निकाल दिया। बोलाः- "पता नहीं कहाँ से गंदा पागल चला आया है।" पंडित जी दुखी मन से वापस चले आये, जब अपने घर वापस लौट रहे थे तो किसी अमीर आदमी की नज़र पंडित के फटे कपड़ों पर पड़ी तो उसने दया दिखाई और पंडित जी को भोजन और पहनने के लिए नये कपड़े दे दिए। अगले दिन पंडित जी फिर से उसी गाँव में उसी व्यक्ति के पास भिक्षा माँगने गये। व्यक्ति ने नये कपड़ों में पंडित जी को देखा और हाथ जोड़कर पंडित जी को अंदर बुलाया और बड़े आदर के साथ थाली में बहुत सारे व्यंजन खाने को दिए। पंडित जी ने एक भी टुकड़ा अपने मुँह में नहीं डाला और सारा खाना धीरे धीरे अपने कपड़ों पर डालने लगे और बोलेः-"ले खा और खा।" व्यक्ति ये सब बड़े आश्चर्य से देख रहा था, आख़िर उसने पूछ ही लिया किः- "पंडित जी आप यह क्या कर रहे हैं.? सारा खाना अपने कपड़ों पर क्यूँ डाल रहे हैं.?" पंडित जी ने बहुत शानदार उत्तर दियाः- "क्यूंकी तुमने ये खाना मुझे नहीं बल्कि इन कपड़ों को दिया है। इसीलिए मैं ये खाना इन कपड़ों को ही खिला रहा हूँ, कल जब में गंदे कपड़ों में तुम्हारे घर आया तो तुमने धक्के मारकर घर से निकाल दिया और आज तुमने मुझे साफ और नये कपड़ों में देखकर अच्छा खाना पेश किया। असल में तुमने ये खाना मुझे नहीं, इन कपड़ों को ही दिया है।" वह व्यक्ति यह सुनकर बहुत दुखी हुआ। 👇 किसी व्यक्ति की महानता उसके चरित्र और ज्ञान पर निर्भर करती हैं,पहनावे पर नहीं। अच्छे कपड़े और गहने पहनने से इंसान महान नहीं बनता उसके लिए अच्छे कर्मों की ज़रूरत होती है..!! *🙏🏻🙏🙏🏿जय श्री कृष्ण*🙏🏾🙏🏽🙏🏼

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2/8/2025, 7:13:11 PM

https://jivankishuddhta.in/dhyaan-mein-saat-chakra/

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2/5/2025, 3:35:03 PM

https://jivankishuddhta.in/shiv-ka-dhyan/

🙏 ❤️ 3
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2/6/2025, 4:27:58 PM

https://jivankishuddhta.in/aatm-gyan-kaise-prapt-karen/

❤️ 🙏 2
Shri NIKHIL
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2/9/2025, 6:27:14 PM

*सुख और दु:ख में,* *कोई ज्यादा भेद नहीं.!* *जिसे मन स्वीकारे वह सुख* *और* *जिसे, अस्वीकारे वह दु:ख.!* *सारा खेल हमारी,* *स्वीकृति और अस्वीकृति,* *का ही तो है...*In happiness and sorrow,* *Not much difference!* *The happiness which the mind accepts* *And* *Whoever rejects it, it hurts!* *The whole game is ours,* *Approval and Rejection,* *It's from...*within us..Shubh Ratri bhagwan

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Shri NIKHIL
Shri NIKHIL
2/6/2025, 7:23:03 PM

The mind is restless and difficult to restrain, but it is subdued by any constant vigorous spiritual practice -- such as meditation -- with perseverance, and by detachment, The first step to gaining clarity on any situation is developing a clear, calm and collected mind. This takes a lot of effort. One way is meditation, another is by distancing yourself from the situation - not physically but mentally - where you look at it as an outsider and have a bird's eye view of it.

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Shri NIKHIL
Shri NIKHIL
2/9/2025, 7:36:25 PM

Jai shree Krishna 🙏🏻

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