
शवेता दर्पण न्यूज चैनल सब पर पैनी नजर
21 subscribers
Similar Channels
Swipe to see more
Posts

समाप्त हुआ 144 साल बाद आयोजित हुआ विशेष, भव्य, दिव्य महाकुंभ! महाकुंभ में बने कई महारिकॉर्ड...सराह रही दुनिया! ★ महारिकॉर्ड-1 : श्रद्धालु अमेरिका की आबादी से दोगुने 64 करोड़ लोग महाकुंभ पहुंचे। ★ महारिकॉर्ड-2 : इन्फ्रास्ट्रक्चर 4 हजार हेक्टेयर का महाकुंभ क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम से 160 गुना बड़ा। ★ महारिकॉर्ड-3 : कुंभ सिटी 4 लाख से ज्यादा तंबू और 1.5 लाख टॉयलेट बने। ★ महारिकॉर्ड-4 : ट्रांसपोर्टेशन 13,830 ट्रेनों से पहुंचे 30.2 करोड़ श्रद्धालु इस दौरान 2,800 से ज्यादा फ्लाइट्स प्रयागराज पहुंचीं, जिसमें 4.5 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की। ★ महारिकॉर्ड-5 : सिक्योरिटी 50 हजार सुरक्षाकर्मी और 2700 कैमरों से महाकुंभ की सुरक्षा। ★ महारिकॉर्ड-6 : हेल्थ मेला क्षेत्र में 43 हॉस्पिटल बने 6 लाख लोगों का इलाज किया गया। ★ महारिकॉर्ड-7 : स्वच्छता 4 लाख डस्टबिन लगे, 11 हजार कर्मियों ने सफाई की, हर 25 मीटर पर एक डस्टबिन। ★ महारिकॉर्ड-8 : कारोबार मेला क्षेत्र में 3 लाख करोड़ के लेन-देन का अनुमान।

कुछ दिनों पहले ही ‘लुधियाना पश्चिम’ से AAP विधायक के घर पर ही उसके सर पर गोली लगने से उसकी मौके पर मौत हो जाती है! यह हत्या है या आत्महत्या पुलिस ने अबतक स्पष्ट नहीं किया है… आम लोगों में चर्चाएं हैं “घोटाले में नाम आ गया था” कोई कह रहा है “किसी का प्रैशर था MLA पर…” सनद रहे, दिल्ली की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर भी मनु सिंघवी के लिए राज्यसभा सीट खाली करने का दबाव बनाया गया था जब मालीवाल को शीश महल में बुलाकर पीटा गया था। खैर, पर विधायक के मरने से लुधियाना की एक विधानसभा सीट खाली हो चुकी है। अब उस रिक्त सीट पर पंजाब से अपने राज्यसभा सांसद को विधानसभा उपचुनाव का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है AAP द्वारा, उक्त राज्यसभा सांसद भी लुधियाना से ही हैं। और अब उसके द्वारा छोड़ी सीट पर केजरीवाल खुद राज्यसभा जाएगा। • स्पष्ट शब्दों में समझाएं तो… विधायक के मरने से विधानसभा सीट खाली हुई… उस सीट के उपचुनाव में राज्यसभा सांसद को प्रत्याशी घोषित करने से राज्यसभा सीट खाली हो गई… और उसके द्वारा छोड़ी राज्यसभा सीट पर केजरीवाल के बैठने का रास्ता साफ हुआ।

li.लच्छो-की-वीरता.li किसी गाँव में एक लड़की रहती थी, जिसका नाम था लच्छो। एक दिन वह अपनी सखियों के साथ कुएं पर पानी भरने गई। वहाँ सब लड़कियां अपने सगाई-व्याह की बातें कर रही थीं। एक सहेली जिसका नाम बन्तो था, बोली-‘‘मेरे पिता ने मेरे ब्याह के लिए कीमती वस्त्र खरीद रखे हैं।’’ दूसरी ने कहा-‘‘मेरे लिए ससुराल में दुलहन के व्याह के सुन्दर वस्त्र तैयार हो रहे हैं। ’’ यों सब लडकियाँ बातें कर रही थीं। कोई अपने भाई की बात कहती थी और कोई मामा की। लच्छो बेचारी सखियों की बातें चुपचाप सुन रही थी। उसके पास कहने की कोई बात नहीं थी। बहुत दिन हुए-उसके माता-पिता मर चुके थे और वे उसके लिए कोई धन-दौलत भी नहीं छोड़ गये थे। कोई दूसरा सगा-सम्बन्धी भी नहीं था, जिसका सहारा लेती। बेचारी अकेली थी और गरीबी में दिन काट रही थी। उसकी शादी का प्रबन्ध कौन करता? लेकिन जी चाहता था कि वह भी सखियों की बातचीत में हिस्सा ले, इसलिए उसने योंही एक बात बनाई और कहा-‘‘मेरा चाचा भी परदेश से आ रहा है, वह मेरे लिए बहुत से जेवर, गहने और कीमती कपडे लायेगा।’’ एक बिसाती, जो गाँव में अपना सामान बेचने आया था, कहीं पास ही बैठा लड़कियों की यह बातें सुन रहा था। वह बिसाती एक चालक ठग था और सामान बेचने के बहाने लोगों के भेद मालूम किया करता था। जब उसका दाँव लगता था, लोगों को लूट लेता था। लच्छो की बात सुनकर वह मन ही मन प्रसन्न हुआ और दूसरे दिन भेस बदलकर उसके घर चला गया। वह अपने साथ कीमती वस्त्र और भूषण भी लाया था। उसने लच्छो से कहा-‘‘मैं तुम्हारा चाचा हूँ। कई साल परदेश में रहकर बहुत सा धन कमाकर लौटा हूँ। मैं तुम्हारा ब्याह अपने एक धनी मित्र के बेटे से करना चाहता हूँ।’’ लच्छो भोली-भाली सरल स्वभाव की लड़की थी। उसने ठग की बातों का सहज में विश्वास कर लिया। उसने घर का सारा सामान बाँधा और ठग के साथ चल पड़ी। जब वे दोनों ठग के घर की ओर चले जा रहे थे, एक चिड़िया ने चीं-चीं करते हुए कहा ‘बहन लच्छो, तेरी अकल कहाँ खो गई जो तू एक ठग से ठगी गई। लच्छो पक्षियों की भाषा समझती थी। उसने अपने चाचा से पूछा-‘‘यह चिड़िया क्या कह रही ?’’ ठग ने उत्तर दिया-‘‘चीं-चीं करना और शोर मचाना इन चिड़ियों की आदत है। हमें इसमे क्या मतलब?’’ थोड़ी दूर आगे बढ़े तो उन्हें एक मोर मिला, उसने भी वही बात कही। फिर एक गीदड़ मिला, उसने भी यही बात दोहराई। लच्छो के पूछने पर ठग हर बार कह देता था कि शोर मचाना इन पशुओं और पक्षियों की आदत है, हमे इससे क्या मतलब ? वह ठग लच्छो को साथ लिए अपने घर पहुँचा और घर पहुँचते उसने सारा भेद अपने आप खोल दिया और लच्छो से कहा-‘‘मैं तुम्हारा चाचा या कोई दूसरा सगा- सम्बन्धी नहीं हूँ। मैं तो तुम्हारी सुन्दरता पर मुग्ध हूँ ओर तुम्हारे साथ ब्याह करने के लिए तुम्हे यहाँ लाया हूँ।’’ लच्छो सुनकर बहुत रोई लेकिन अब क्या हो सकता था। उसके लिए अब वहां से भाग जाना भी सम्भव नहीं था। उसे मार्ग के पशु-पक्षियो की बातें याद आई और उसे दुःख हुआ कि उसने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया। वह वाकई ठग से ठगी गई थी। ठग जब चोरी और ठगई के लिए बाहर जाता तो लच्छो को अपनी माँ के सुपुर्द कर जाता कि वह उस पर कड़ी निगरानी रखे ओर उसे कहीं बाहर न जाने-दे। ठग की माँ बहुत बूढ़ी थी। उसके मुख पर झुरियाँ थी, गालों का मास लटक गया था और सिर गंजा था। लच्छो के बाल बहुत लम्बे थे-काले और सुन्दर! नागिन की तरह लहराते हुए। बुढिया को लच्छो के यह बाल बहुत पसन्द थे। एक दिन जब उसका बेटा ठग घर से बाहर गया हुआ था तो उसने लच्छो से पूछा-‘‘तुम्हे यह सुन्दर बाल कहाँ से मिले हैं?’’ लच्छो ने एकदम बात बनाई, बोली-‘‘यह सब मेरी माँ की कृपा है। उसने एक दिन मेरा सिर ओखली मे रखकर ऊपर से मूसल मारे। जैसे-जैसे मूसल पड़ते थे, मेरे बाल लम्बे होते जाते थे। हमारे गाँव में बाल बढ़ाने का यह पुराना रिवाज है।’’ बुढ़िया बोली-‘‘मेरा सिर तो गंजा है। ओखली में सर देकर और ऊपर से मूसल मार कर क्या मेरे बाल भी लम्बे हो जायेंगे?’’ लच्छो ने झट उत्तर दिया-‘‘क्यों नहीं? जरूर हो जायेंगे। बुढ़िया बाल उगाने की खुशी में ओखली में सिर देने के लिए तैयार हो गई। दूसरे दिन ठग जब काम से बाहर गया, बुढ़िया ने लच्छो से अपने बाल बढ़ाने को कहा। लच्छो ने ओखली में उसका सिर रख कर ऊपर से धड़ाधड़ मूसल मारना शुरू किया। मूसल की चोटों के नीचे बुड़िया तड़पने लगी, और पाँच-सात चोटों में ही मर गई। लच्छो ने बुढ़िया को विवाह के वस्त्र पहनाये और घूँघट निकाल कर दीवार के सहारे एक कोने में बैठा दिया। इसके बाद लच्छो ने घर का थोड़ा धन और सामान समेटा और वहाँ से भाग खड़ी हुई। रास्ते में उसे ठग मिला। वह कहीं से चक्की के दो पाट चुरा कर लौट रहा था। लच्छो उसे देखते ही एक झाड़ी में छिप गई। ठग ने लच्छो को देख तो लिया, मगर पहचाना नहीं। वह समझा कि कोई औरत किसी काम से घर आई है और इस ख्याल से कि कहीं वह चोरी का माल देख कर शोर न मचादे, वह खुद छिपता हुआ अपनी राह चलता रहा। जब वह बहुत दूर चला गया तो लच्छो झाडी की ओट से बाहर निकली और अपने गाँव की और चल पड़ी। ठग जब घर पहुँचा तो उसने लच्छो को आवाज दी। उसे कोई उत्तर नहीं मिला। जब बार-बार पुकारने पर लच्छो न बोली, तो उसे क्रोध आ गया, और उसने चक्की के पाट बुढ़िया के सिर पर दे मारे। वह नये वस्त्रों में बुढ़िया को लच्छो समझ रहा था। लेकिन जब उसे मालूम हुआ कि वह लच्छो नहीं उसकी माँ है तो वह फफक-फफक कर रोने लगा। उसने समझा कि उसकी माँ चक्की के पाटों ही से मरी है। ठग ने मन ही मन में निश्चय किया कि वह लच्छो को वापस लाकर ही दम लेगा। लच्छो गाँव में लौटकर आई तो ठग के डर से अपनी एक सखी के घर रहने लगी। जब एक महीना इसी प्रकार बीत गया तो उसने सोचा कि ठग अब नहीं आयेगा तो वह अपने घर में रहने लगी। जब रात को सोती तो अपनी रक्षा के लिए एक तेज खंजर अपने सिरहाने रख लेती । एक रात जब वह गहरी नींद में सोई पड़ी थी तो ठग आया। उसके साथ तीन ठग और भी थे। उन्होंने सोई हुई लच्छो को चारपाई के साथ बांध दिया, और उठा कर चलते बने। लच्छो की आँख खुल गई थी, लेकिन वह चुपचाप लेटी रही। जब वह जंगल में पहुँचे तो लच्छो ने धीरे से खंजर निकाला ओर पिछले दो आदमियों के सिर काट डाले, और फिर तीसरे आदमी का भी सफाया कर दिया। लेकिन ठग जान बचा कर पेड़ पर चढ़ गया। लच्छो ने पेड़ को आग लगा दी। ठग उसके साथ ही जल कर राख का ढेर हो गया। यों लच्छो ने अपनी वीरता और साहस से ठग पर विजय पाई। वह उसके घर गई और उसका सारा धन ओर सामान छुकड़े पर लाद कर अपने घर ले आई। आसपास के देहात में उसकी वीरता की चर्चा होने लगी। बहुत से नौजवान उसके साथ ब्याह करने को तैयार थे। लच्छो ने अपनी पसन्द के एक लड़के से ब्याह कर लिया और वे दोनों सुख ओर आनन्द से एक साथ रहने लगे।

❗ऊंचे संकल्प - ऊंची सफलता❗* 〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️ *आपकी सोच, विचारधारा जितनी ऊंची होगी, आपके संकल्प जितने ऊँचे और दृढ़ होंगे, आपको उपलब्धियाँ भी उतनी अधिक मिलेंगी।* *नेपोलियन* का यह कथन आज भी पूर्णरूपेण सत्य सिद्ध होता है कि *मानव मन जो भी सोचता है और उस पर विश्वास करता है, जीवन में वह उसे प्राप्त कर सकता है।* आपकी सोच जितनी ऊँची होगी, आपके लक्ष्य जितने महान होंगे, उतना आप जीवन में प्राप्त कर लेते हैं। संकुचित विचारधारा से उपलब्धियाँ छोटी मिलती हैं। *विस्तृत विचारधारा बड़ी उपलब्धियाँ दिलाती है।* असफल व्यक्तियों के संकल्प और माँग बहुत छोटी होती हैं। *सफल व्यक्ति बड़े सपने देखते हैं। "बाटा", "रिलायंस" "मेकडोनाल्ड", "पिज्जाहट" जैसे संस्थान बहुत छोटे से प्रारंभ हुए लेकिन स्वप्न ऊँचे होने के कारण उपलब्धियाँ बड़ी हासिल कर सके।* यदि लक्ष्य और स्वप्न ऊँचे हों तो प्रयास भी अधिक बड़े और ऊँचे होंगे। 👉सिनधिक जर्सी ने अनस्टॉपेबल में जार्ज डेनजिंग की कहानी लिखी है जो बहुत प्रेरणाप्रद और याद रखने योग्य है। *जार्ज रात्रि देर तक पढ़ते रहे। अगले दिन देर तक सोते रहने से कक्षा में देर से पहुँचे। ब्लैकबोर्ड पर अध्यापक ने दो सवाल लिखे थे, जार्ज ने उन्हें कॉपी पर उतार लिया और कई घंटे के श्रम से उन्होंने उन्हें घर पर होम वर्क के रूप में हल कर लिया। बाद में पता चला कि अध्यापक ने उन प्रश्नों के बारे में बताया था कि अलबर्ट आइंस्टीन जैसे बड़े-बड़े गणितज्ञ भी इन्हें हल नहीं कर सके थे। जार्ज ने यह बात नहीं सुनी थी। यदि सुन ली होती तो वह भी यह प्रश्न हल नहीं कर पाता क्योंकि सोच का दायरा सीमित हो जाता। असीमित सोच के साथ उत्साह और लगन के सहारे वह प्रश्न हल करने में सफल हो गया।*आपके अंदर अद्भुत अपार आंतरिक शक्ति विद्यमान है।* उस शक्ति को जाग्रत करना है। *असीमित सोच और बड़ी चुनौतियाँ इस शक्ति को जाग्रत करती हैं।* जितनी बड़ी चुनौती होगी शक्ति का विस्फोट भी उतना ही बड़ा होगा। यदि कोई आपसे लक्ष्य निर्धारित कर तेज दौड़ने के लिए कहे तो आप अपनी क्षमता के अनुसार दौड़ते हैं। लेकिन यदि वही लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दूसरा प्रतियोगी आपके साथ हो और जीतने वाले को पुरस्कार भी निर्धारित हो तो आपकी दौड़ भी तेज हो जाएगी क्योंकि अब बड़ी चुनौती सामने हैं। *कल्पना करें कि आपके सामने अचानक खुंखार शेर आ जाए तो आप इतना तेज दौड़ेंगे कि ओलम्पिक के धावक भी पीछे रह जाएँगे।* बड़ी चुनौतियाँ अंदर छिपी शक्तियों को जाग्रत कर देती हैं। ➖➖➖➖🪴➖➖➖➖

इसी गिद्ध की बात तो योगी जी कह रहे थे तुम चाहते तो यह भी लिख सकते थे कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की संसद महुआ माजी जी के कार एक्सीडेंट में घायल होने का समाचार चिंताजनक है लेकिन तुमने जानबूझकर यह लिखा कि “महाकुंभ से लौटते हुए" क्योंकि तुम्हें यह बताना था कि उनका एक्सीडेंट महाकुंभ की वजह से हुआ है तुमने यह भी नहीं बताया कि जब एक्सीडेंट हुआ तब कार उनका नाबालिक बेटा चल रहा था अब समझ में आया कि योगी जी किन सूअर और किन गिद्धों की बात कर रहे थे ?? जनता को हर बात से ऊपर उठाकर ऐसी घृणित मानसिकता को समझना चाहिए और सबक के सीखना चाहिए