
Krishi Darshan
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Fusion of Farmers and Information Technology for Future Agriculture.
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विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 का शुभारंभ करते माननीय मुख्य मंत्री महोदय, उत्तर प्रदेश।

मक्का (Zea mays) की कई प्रमुख प्रजातियाँ (varieties) होती हैं, जो उनके उपयोग, दाने के आकार, रंग, और संरचना के आधार पर वर्गीकृत की जाती हैं। प्रमुख प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं: 1. फ्लिंट कॉर्न (Flint Corn - Z. mays indurata) इसे "भारतीय मक्का" (Indian corn) भी कहा जाता है। दाने कठोर और चमकदार होते हैं, जिनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है। यह ठंडे जलवायु में भी अच्छा उत्पादन देती है। 2. डेंट कॉर्न (Dent Corn - Z. mays indentata) इसे "फील्ड कॉर्न" भी कहते हैं। दानों के ऊपरी भाग में गड्ढे (dent) होते हैं। मुख्य रूप से पशु आहार, स्टार्च और इथेनॉल उत्पादन में उपयोग होता है। 3. स्वीट कॉर्न (Sweet Corn - Z. mays saccharata या Z. mays rugosa) खाने योग्य और मीठे स्वाद वाली मक्का। इसमें चीनी की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह नरम और मीठी रहती है। ताजे, डिब्बाबंद और फ्रोजन फॉर्म में सेवन किया जाता है। 4. वैक्सी कॉर्न (Waxy Corn - Z. mays ceratina) इसमें मुख्य रूप से एमिलोपेक्टिन (Amylopectin) स्टार्च होता है। औद्योगिक उपयोग के लिए उपयुक्त, विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण और चिपकने वाले पदार्थों के निर्माण में। 5. पॉपकॉर्न (Popcorn - Z. mays everta) दाने छोटे, कठोर और पानी की थोड़ी मात्रा वाले होते हैं। गर्म करने पर दाने फटकर फूल जाते हैं, जिससे पॉपकॉर्न बनता है। 6. फ्लोर कॉर्न (Flour Corn - Z. mays amylacea) इसमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है और यह पीसने में आसान होती है। मुख्य रूप से मैदा (flour) और पारंपरिक खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जाता है। 7. पॉड कॉर्न (Pod Corn - Z. mays tunicata) यह एक दुर्लभ प्रजाति है, जिसमें प्रत्येक दाना एक अलग खोल (husk) से घिरा होता है। इसे मुख्य रूप से शोध और सजावटी उद्देश्यों के लिए उगाया जाता है। भारत में उगाई जाने वाली कुछ लोकप्रिय संकर (Hybrid) और उन्नत किस्में: संकरीय किस्में: पीएमएच 1, पीएमएच 2, डीएचएम 117, डीएमएच 121, एचएम 4 उन्नत किस्में: वीएल 88, पर्ली स्वीट, वीएल 85, जेएच 3459 पॉपकॉर्न किस्में: प्रगति, अमृत, जेएचपीसी 6 भारत में मक्का पशु आहार, औद्योगिक उपयोग, और खाद्य पदार्थों के रूप में व्यापक रूप से उगाई जाती है।

उत्तर प्रदेश को जलवायु, मृदा के प्रकार, वर्षा पैटर्न और कृषि उत्पादकता के आधार पर नौ कृषि-जलवायु क्षेत्रों (Agro-Climatic Zones) में विभाजित किया गया है। ये क्षेत्र कृषि योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने और फसलों की उपयुक्तता को समझने में मदद करते हैं। उत्तर प्रदेश के 9 एग्रो-क्लाइमेटिक जोन: 1. तराई एवं भावर क्षेत्र (Tarai and Bhabar Zone) स्थान: उत्तर-पश्चिमी तराई क्षेत्र (पश्चिमी नेपाल से सटे जिलों में) मिट्टी: दोमट एवं बलुई दोमट, अच्छी जल धारण क्षमता वाली वर्षा: 1200-1400 मिमी मुख्य फसलें: धान, गन्ना, गेहूं, दालें, मक्का, सब्जियां 2. पश्चिमी सीमान्त क्षेत्र (Western Plain Zone) स्थान: पश्चिमी उत्तर प्रदेश (सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर आदि) मिट्टी: गंगा-यमुना दोआब की उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी वर्षा: 850-1100 मिमी मुख्य फसलें: गन्ना, गेहूं, धान, आलू, सरसों, बाजरा 3. मध्य पश्चिमी क्षेत्र (Central Western Zone) स्थान: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मध्य भाग (कानपुर, हरदोई, उन्नाव आदि) मिट्टी: जलोढ़ एवं दोमट मिट्टी वर्षा: 800-1000 मिमी मुख्य फसलें: गेहूं, धान, गन्ना, आलू, सरसों 4. दक्षिण पश्चिमी अर्ध-शुष्क क्षेत्र (South Western Semi-Arid Zone) स्थान: बुंदेलखंड (झांसी, ललितपुर, जालौन आदि) मिट्टी: काली मिट्टी, पथरीली मिट्टी वर्षा: 600-850 मिमी मुख्य फसलें: चना, अरहर, मूंगफली, बाजरा, गेहूं 5. मध्य पूर्वी क्षेत्र (Central Eastern Zone) स्थान: पूर्वी उत्तर प्रदेश का मध्य भाग (अमेठी, सुल्तानपुर, फैजाबाद आदि) मिट्टी: जलोढ़ एवं दोमट वर्षा: 1000-1200 मिमी मुख्य फसलें: धान, गेहूं, सरसों, आलू, दालें 6. पूर्वी क्षेत्र (Eastern Plain Zone) स्थान: गंगा-घाघरा का दोआब (गोरखपुर, बलिया, देवरिया, कुशीनगर आदि) मिट्टी: उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी वर्षा: 1100-1400 मिमी मुख्य फसलें: धान, गेहूं, मक्का, दलहन, गन्ना 7. विंध्याचल क्षेत्र (Vindhyan Zone) स्थान: सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली मिट्टी: लाल, काली और पथरीली मिट्टी वर्षा: 800-1000 मिमी मुख्य फसलें: ज्वार, बाजरा, मूंगफली, चना 8. उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (North Eastern Zone) स्थान: नेपाल सीमा से सटा क्षेत्र (महराजगंज, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर आदि) मिट्टी: जलोढ़ मिट्टी वर्षा: 1200-1500 मिमी मुख्य फसलें: धान, गेहूं, मक्का, दलहन 9. बुंदेलखंड क्षेत्र (Bundelkhand Zone) स्थान: बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर मिट्टी: काली मिट्टी, पथरीली मिट्टी वर्षा: 600-800 मिमी मुख्य फसलें: ज्वार, बाजरा, मूंगफली, अरहर निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश का कृषि परिदृश्य बहुत विविध है, और प्रत्येक एग्रो-क्लाइमेटिक जोन में अलग-अलग फसलें उगाई जाती हैं। जलवायु, मिट्टी और वर्षा के आधार पर इन क्षेत्रों में खेती के लिए अलग-अलग रणनीतियां अपनाई जाती हैं।