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RAZA E MUSTAFAﷺ

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About RAZA E MUSTAFAﷺ

Assalamu Alaikum Wa Rahmatullahi Wa Brakatuhu Ummid Karta Hun Aap Tamam Ahbab Khair O Aafiyat Se Honge Is Channel Ko Sirf Islamic Malomaat Ke Liye Banaya Ja Raha Hai https://whatsapp.com/channel/0029VapBPUyKAwElq2xqf20J Channel Me Shamil Hone Ke Liye Shukriya😊🥰

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3/1/2025, 2:35:14 PM
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2/28/2025, 1:30:15 AM

*JUMMAH MUBARAK DUROOD SHAREEF* ✨💞 `RECITE ATLEAST 3 TIMES` 💫 *ﺑِﺴْــــــﻢِ ﷲِ ﺍﻟـــﺮَّﺣْﻤٰﻦِ ﺍلـرَّﺣِــــــﻴْﻢ۝* اللَّهُمَّ صَلِّ وَسَلَّمْ وَبَارِكْ عَلَى سَيِّدِنَا وَمَوْلَنَا مُحَمَّدِنِ النَّبِيِّ الْأُمِّيِّ الْحَبِيبِ الْعَالِي الْقَدْرِ الْعَظِيمِ الْجَاءِ وَعَلَى آلِهِ وَصَحْبِهِ وَبَارِك وَسَلَّم اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَاَنْزِلُهُ الْمَقْعَدَ الْمُقَرَّبَ عِنْدَكَ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۝ *اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِي رَجَبَ وَ شَعْبَانَ وَ بَلَغْنَا رَمَضَان*💫

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2/27/2025, 1:48:49 PM

*Coming Soon Ramzan Ul Mubarak🤍*

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2/26/2025, 3:21:44 PM

مرد بھی انسان ہیں۔ ان کے دل میں بھی جذبات ہوتے ہیں، اور وہ بھی محبت کرتے ہیں۔ لیکن معاشرتی توقعات کی وجہ سے وہ اپنے آنسوؤں کو دنیا سے چھپاتے ہیں۔ مردوں کا رونا ان کی انسانیت کی علامت ہے، نا کہ کمزوری کی۔ محمد کاشف رضا ثقافی

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2/27/2025, 1:54:31 PM

टेंशन में हो दुरुद पढ़ो, बीमार हो दरुद पढ़ो, रोज़ी का प्रॉब्लम है दुरुद पढ़ो, उदास हो दुरुद पढ़ो, मदीने जाना है दुरुद पढ़ो दीदारे मुस्तफ़ा ﷺ करना है दुरुद पढ़ो! गुमी हुई चीज़ पाना है तो दुरुद पढ़ो, हर दर्द की दवा है सल्ले अ़ला मुह़म्मद ﷺ✨ ﷺﷺﷺﷺ ﷺﷺﷺﷺﷺﷺ

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2/27/2025, 2:09:55 PM

عبادت کے لائق صرف الله تعالیٰ ہے اور کیوں ہے ؟ امام فخرالدین رازی رحمة الله عليه فرماتے ہیں : جس ذات میں یہ ستائیس صفتیں ہوں بس وہی ”اله“ ہو سکتا ہے جس میں یہ صفتیں نہ ہوں وہ کسی کا ”معبود“ نہیں بن سکتا۔ نہ اس کو سجدہ جائز ہے۔ اور یہ صفتیں صرف ”الله وحده لا شریك له“ میں ہی ہے۔ 1) : قدرت کاملہ والا ہونا۔ 2) : علم تامہ والا ہو، ہر ذرے کی خبر ہو۔ 3) : بطشِ شدید یعنی سخت پکڑ والا ہو۔ 4) : قبض مضبوط یعنی مضبوط قابو والا ہو۔ 5) : خالق کائنات، یعنی پوری کائنات کا پیدا کرنے والا ہو۔ 6) : مالک عالمین ہو۔ 7) : اولیت والا ہو۔ 8) : کمال والا ہو۔ 9) : غنا والا یعنی بے نیاز ہو۔ 10) : عطا والا ہو۔ 11) : اختیار والا ہو۔ 12) : صفات والا ہو۔ 13) : غیر منتہی ، یعنی جس کی کوئی انتہا نہ ہو۔ 14) : کسی کا محتاج نہ ہو۔ 15) : لا زوال یعنی کبھی ختم نہ ہو۔ 16) : ربوبیت والا یعنی پالنہار ہو۔ 17) : حکمت والا ہو۔ 18) : وحدت والا ، یعنی ایک ہو۔ 19) : ہر شان میں اکمل، یعنی کسی قسم کی کوئی کمی نہ ہو 20) : ہر چیز کا ذاتی مالک ہو۔ 21) : ہر صفت میں یکتا لا شریک ہو، انوکھا ہو۔ 22) : ہر بلندی اور پستی پر بادشاہی والا ہو۔ 23) : ہر فرد یعنی سب پر اس کی حکمرانی ہو۔ 24) : لیس کمثله شیئ یعنی ”اس کے جیسا کوئی نہیں“ 25) : موت دے سکے۔ 26) : عدم کو وجود ، اور مردوں کو زندہ کر سکے۔ 27) : کائناتِ شمس و قمر کو چلا سکے۔ ~ مفتی کاشف رضا ثقافی ______Mufti Kashif Raza Saquafi ______

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2/26/2025, 1:43:57 PM

شہرہ آفاق عربی ادیب و مصنف ادہم شرقاوی کے ناول "نطفة" کا صفحۂ انتساب : اپنے والد کے نام ، جنھوں نے ایک دن مجھ سے کہا تھا : مجھ جیسا مت بننا؛ تاکہ میں تم پر فخر کرسکوں، تو میں نے بالارادہ ان کے جیسا بننے کی کوشش کی ؛ تاکہ خود پر فخر کر سکوں ! #أدهم_شرقاوي #نطفة #قس_بن_ساعدة

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2/28/2025, 7:30:14 AM

माहे शअ़बान का आखरी जुमआ़ है माहे रमज़ान की आमद आमद है अल्लाह हम सब को इसमें खूब इबादत करने की तौफीक़ अता फरमाए "आमीन"

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2/28/2025, 1:32:19 AM

*शादी के लिऐ इस्तिखारह* *________________________________________* *_किसी नए काम को शुरू करने से पहले इस्तिखारह करना चाहिये- इस्तिखारह उस अमल को कहते हैं जिसके करने से गैबी तौर पर यह मालूम हो जाता है कि फुलां काम करने में फाईदा है या नोक़सान अगर वह काम आपके लिए अच्छा है तो इस्तिखारह की बरकत से गैब से असबाब पैदा हो जाते हैं और अगर वह काम आपके लिए बेहतर नहीं है तो क़ुदरती तौर पर इन्सान उस काम से बाज़ रहता है_* *📕 क़रीन ए ज़िन्दगी सफह 38* *_इस्तिखारह किसी नए काम के शुरू करने से पहले जैसे सफर,तामीरी काम,निकाह,माले तिजारत,किसी की उसमें शिरकत,सवारी और सवारी का जानवर,पालने वाले जानवर नौकरी वगैरह वगैरह कामों को शुरू करने से पहले कर लेना बहतर है इस्तिखारह अल्लाह तआला से दुआ करना और उसकी रिज़ा मालूम करना मक़सद होता है और ये हुज़ू़र सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की सुन्नत और सहाबा ए कराम व बुज़ुर्गाने दीन का तरीक़ा है एक हदीस पेश करता हूं पढ़िए_* *हदीस:- हज़रते जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजियल्लाहु तआला अन्हुमा फरमाते हैं:* *रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम हमें हर काम में इस्तिखारा करने की ऐसी तल्कीन फरमाते थे जैसे कु़रआन की कोई सूरत सिखाते।* *📕 बुखारी शरीफ जिल्द 1 बाब 738 हदीस 1088 सफह 455* *📕 तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द 1,बाब 343 हदीस 463 सफह 292* *हदीस:- सरकारे मदीना सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया :* *अल्लाह तआला से इस्तिखारह करना औलादे आदम (यानी इंसानों) की खुश बख्ती है और इस्तिखारह न करना बदबख्ती है।"* *📕 क़रीन ए ज़िनदगी सफह 40* *_हज़रते अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि फरमाया हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैही वसल्लम ने कि ऐ अनस जिस काम का भी क़सद करे यानि (इरादा करे ) तो इस्तिखारह कर अल्लाह से, 7, बार फिर जो कुछ तेरे दिल में आए उस पर अमल कर वही बेहतर है और फरमाया कि हरगिज़ नोकसान ना उठाऐगा वह शख्स जिसने इस्तिखारह किया अल्लाह तआला से,और निदामत शरमिन्दगी ना उठाऐगा जो आपस में मशवरह करेगा और फक़ीर ना होगा जो मियाना रवी अख्तियार करेगा_* *📕 शमऐ शबिसताने रज़ा हिस्सा 4 सफह 31* *इन कामों में इसतिखारह नहीं करना चाहिऐ:-* *_रोज़ाना की ज़रूरी बातें जैसे खाना पीना पहनने के लिऐ इस्तिखारह नहीं करना चाहिऐ आज कल इस्तिखारह की फिक्र सट्टे बाज़ों,चोरों,ज़ानियों,को ज़्यादा होती है कि कल कौन सा नम्बर आयेगा आज माल हाथ आयेगा या नहीं फुलॉं औरत क़ाबू में आयेगी या नहीं दूसरे की ज़मीन हाथ आयेगी नहीं मआज़ अल्लाह और कुछ जाली बाबावों वह पीर भी सट्टे बाज़ो चोरों को इस्तिखारह सिखाते बताते हैं और अल्लाह रसूल की नराज़गी मोल लेते हैं और अपनी दुनिया वह आखिरत बरबाद करते हैं अल्लाह तआला एैसे लोगों को हिदायत अता फरमाये_* *📕 शमऐ शबिसताने रज़ा हिससा4, सफह 35* *इस्तिखारा किसी भी नए जायज़ काम को शुरू करने से पहले करना चाहिए। जैसे नया कारोबार शुरू करना हो, मकान बनाना या खरीदना हो, किसी सफर पर जाना हो, कोई नई चीज़ खरीदना है। वगैरह वगैरह। इन सब में नोक्सान होगा या फाइदा यह जानने के लिए इस्तिखारह का अमल किया जाना चाहिए।* *अब चूंकि शादी एक ऐसा काम है जिस पर सारी ज़िनदगी के सुकून व आराम व मुसर्रत का दारो मदार है। बीवी अगर नेक परहेज़गार, मुहब्बत करने वाली खुश मिज़ाज होगी तो ज़िन्दगी खुशियों से भरी होगी और आने वाली नस्ल भी एक बेहतर नस्ल साबित होगी। लेकिन अगर बीवी बदमिज़ाज, बदकार,बेवफा हुई तो सारी ज़िन्दगी झगड़ो से भरी और सुकून से खाली होगी,यहाँ तक कि फिर तालाक़ तक नौबत पहुँच जाएगी।* *लिहाज़ा जरूरी है कि शादी से पहले ही मालूम कर लिया जाए कि जिस लड़की या औरत को अपनी शरीके ज़िन्दगी बनाना चाहता है वह दीन व दुनिया के एतबार से बेहतर साबित होगी या नहीं।* *_औरत बद अख्लाक़ और ज़बान दराज़ भी हो सकती है ज़ाहिर है कि जो औरत बद अख्लाक़,ज़बान दराज़,और फितना परवर हो तो तकलीफ व प्रेशानी का सबब ही होगी लिहाज़ा यह जानने के लिए कि जिस लेडकी से आप निकाह करना चाहते हैं वह आप के हक़ में बहतर साबित होगी या नहीं, बद अख्लाक व ज़बान दराज़ होगी या खुश बयॉं व खुश मिज़ाज,इज़्ज़त का सबब होगी या ज़िल्लत का सबब, फितना होगी या मोहब्बत करने वाली, वफादार होगी या बेवफा,ऐ सब जानने कि लिऐ इस्तिखारह ज़रूर करें_* *📕 क़रीन ए ज़िन्दगी सफह 41-44* *इस्तिखारह करने का तरीक़ा:=* *_1, जिस से निकाह करने का इरादा हो तो पैगाम या मंगनी के बारे में किसी से ज़िक्र ना करें अब रात को खूब अच्छी तरह वुज़ू कर के जितनी नफ़ल नमाज़ें पढ़ सकता है दो दो रकअत कर के पढ़ें, फिर नमाज़ खत्म करने के बाद खूब खूब अल्लाह की तसबीह़ बयान करे जो भी तसबीह याद हो ज़्यादा से ज़्यादा पढ़े तसबीह ऐ है_* *اَللّٰہُ اَکْبَرْ- سُبحَانَ اللَّہ- اَلْحَمداللّٰہ-یا رَحمٰن- یا رَحِیم- یا کَرِیم-* *फिर इसके बाद ऐ दुआ पढ़ें* *_اَللّٰھُمَّ اِنَّکَ تَقْدِرُ وَلَا اَقْدِرُ وَ تَعْلَمُ وَلَا اَعْلَمُ وَاَنْتَ عَلَّامُ الْغُیُوْبِ فَاِنَّ رَاَیْتَ اَنَّ فِیْ.......यहां लेड़की का नाम और उसकी मॉं का नाम लें जिस से निकाह करना हो फिर आगे दुआ पढ़े...... خَیْرًالِّیِ فِیْ دِیْنِیْ وَدُنْیَایِ وَاٰخِرَتِیْ فَاقْدُرْھَا لِیْ وَاِنْ کَانَ فِیْ غَیْرِھَا خَیْرًامّنْھَا لِیْ فِیْ دِیْنِی وَاٰخِرَتِیْ فَقْدُرْ ھَالِیْ وَصَلَّی اللَّہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّدِوَّاٰلِہِ وَصَحْبِہِ وَبَارِکْ وَسَلّم_* *_तर्जुमा:- ऐ अल्लाह तू हर चीज़ पर क़ादिर है और मैं क़ादिर नहीं और तू सब कुछ जानता है मैं कुछ नहीं जानता बेशक तू गैब की बातो को खूब जानता है अगर मेरे लिऐ....... (लेडकी का नाम लें.).....मेरे दीन के एतबार से दुनिया व आखिरत के एतबार से बहतर हो तो उसको मेरे लिए मुक़द्दर फर्मा दे और अगर वह मेरे लिए बहतर ना हो तो उसके अलावह और कोई लेडकी या औरत मेरे हक़ में मेरे दीन व आखिरत के एतबार से उस से बहतर हो तो उसको मेरे लिऐ मुक़द्दर फरमा दे_* *📕 शम ए शबिसताने रज़ा हिस्सा 4,सफह 35* *_इस तरह इस्तिखारह करने से इंशाअल्लाह 7 दिनों में ख्वाब या फिर बेदारी में ही अल्लाह की जानिब से एैसा कुछ ज़ाहिर होगा या एैसा कुछ वाक़िया होगा जिस से आपको अंदाज़ा हो जायेगा कि इस लेडकी या औरत से निकाह करने में बहतरी है या नहीं_* *📕 शमऐ शबिसताने रजा हिस्सा-4 सफह 35* *_2., कुछ वोलमा ए कराम ने इस्तिखारह करने का अमल इस तरह भी नक़ल किया है:_* *_रात को पहले दो रकअत नमाज़ इस तरह पढ़ें कि पहली रकअत में सूरे फातिहा (الحمد شریف) के बाद قُل یَاَیُھاالکفرون और दूसरी रकअत में सूरे फातिहा के बाद قل ھو اللہ احد पढ़े और सलाम फेर कर वही दुआ जो हमने ऊपर बयान की है पढ़े दुआ से पहले और बाद में एक मरतबा सूरे फातिहा और ग्यारह ग्यारह मरतबा दुरूद शरीफ ज़रूर पढें_* *_बहतर है कि ऐ अमल सात मरतबा दोहराए यानि 7 दिन लगातार रात को इसी तरह अमल करें और अगर आप चाहैं तो एक ही रात में सात मरतबा भी कर सकते हैं इस्तिखारह करने के बाद फौरन बा तहारत क़िब्ला कि तरफ रूख कर के सो जाऐ- अगर ख्वाब में सफेद या हरे रंग की कोई शै नज़र आऐ तो कामयाबी है यानि उस लेडकी से निकाह करना ठीक होगा और अगर लाल या काली रंग की शै नज़र आऐ तो समझें कि कामयाबी नहीं यानि उस लेडकी से निकाह करने में बुराई है_* *📕क़रीनऐ ज़िन्दगी सफह 44* *📕 शमऐ शबिसताने रज़ा हिस्सा 4 सफह 35* *खत्म........* *_____________________________________* *🌹واللہ تعالیٰ اعلم باالصواب🌹* *_नोट:--- पोस्ट के साथ छेड़छाड़ हरगिज़ हरगिज़ न करें वरना मालूम होने पर सख़्त कार्यवाही की जा सकती है_* *____________________________________________*

RAZA E MUSTAFAﷺ
RAZA E MUSTAFAﷺ
2/26/2025, 3:18:06 PM

*دوست ، راستہ اور سوچ اگر غلط ہو تو انسان کو گمراہ کر دیتے ہیں💯* *दोस्त, रास्ता और सोच अगर गलत हो तो इंसान को गुमराह कर देते हैं💯*

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