
Hindi Poetry, कविताएं
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सुनो ... आवश्यकता पड़ने पर में तुम्हें अपने हिस्से का भोजन तक दे दुँगा परन्तु मैं तुम्हारें लिए किसी भी चाँद तारें जैसी अंतरिक्ष या अन्य किसी भौतिक असाध्य वस्तु को ले आने का दावा नहीं कर सकता मुझे अगर मेरी सादगी के साथ अपना सको तो मेरे जीवन भर के प्रेम की उपभोक्ता सिर्फ तुम हो..

आप कहिए तो निभाते चले जाएँगे मगर इस तअ'ल्लुक़ में अज़िय्यत के सिवा कुछ भी नहीं मैं किसी तरह भी समझौता नहीं कर सकता या तो सब कुछ ही मुझे चाहिए या कुछ भी नहीं 🖤🌸 जव्वाद शेख़

फिर एक दिन मैं तुम्हारा नाम अपनी बेटी को दूंगा , और आवाज़ देकर तुम्हें रोज पुकारा करूँगा ..!! —•प्रज्ञेश✨

प्रेम में पड़ा 'पुरुष' हो, जाता है 'स्वार्थी! उसे हर हाल में चाहिए होती हैं, अपनी 'प्रेमिका' और, उसका 'प्रेम! @

जरूरी नहीं जो बसंत के इंतज़ार में है उसे पतझड़ का एकांत याद नहीं।

इश्क़ घुला और ज़ात ख़तम चाँद खिला और रात ख़तम नए दौर की प्रेम कथा जिस्म मिला जज़्बात ख़तम रिश्ता विश्ता तुम जानो तुम मेरे हो बात ख़तम... -कुमार विश्वास🌷